Articles by "नवीनतम"
Showing posts with label नवीनतम. Show all posts
एस्ट्रो शैलजा, एस्ट्रो धर्म।
शनि का खौफ सच या झुठ ऊँ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्‌। छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्‌। नमस्कार दोस्तों आज मैं शनि ग्रह से जुड़े डर को दूर करने की कोशिश करूंगी | ब्रह्माण्ड के सात ग्रहों में से शनि पृथ्वी से सबसे दूर ग्रहों में से एक हैं| इसकी गति धीरे होने की वजह से इसे संस्कृत में शनैश्चर कहा गया और हिन्दी में शनिचर | ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि ग्रह की प्रकृति तामसिक, ठंडी व रूखी हैं और इसका मूल तत्व वायु हैं | इसे हानिकारक ग्रहों की गिनती में रखा गया हैं | शनि न्याय, मर्यादा,विदेशी भाषा का ज्ञान, विरासत, खेती-बाड़ी का काम, तेल, मृत्यु, डर, दुख , कष्ट,अनुशासन,सेवक, चाचा, नीलम रत्न, काला रंग, लोहा, सेवा, पर असर डालता हैं| शनि अपने मार्ग पर एक चककर को 30 साल में पुरा करता हैं और ढाई साल तक नक्षत्र राशि में रहता हैं जिसे शनि की ढाईया कहते हैं| जब यह कुंडली के तीन उपर्युक्त घरों से गुजरता है तो यह मनुष्य को साढ़े 7 साल तक प्रभावित करता है जब किसी की कुंडली में शनि अशुभ स्थान पर बैठा हुआ हो तो वह उस व्यक्ति को लालची, उदास और रोगी बनाता हैं| बार-बार हानि करवाता है या वायु तत्व होने की वजह से शारीरिक रोग लगाये रखता है| शनि मनुष्यों की सही और गलत के निर्णय पर असर करता हैं| बहुत ही अशुभ दशा में शनि मुकदमे, जेल, बदनामी तक करवा देता हैं| यह अकेलापन, निराशावादी, डरपोक, नशो की लत और आत्महत्या की भावना को जगाता हैं| रुखे स्वभाव व कठोर दिल वाला बनाता हैं| टांग, दाँत, लकवा, कैंसर, दौरे, तनाव, ब्लडप्रेशर, कब्ज, गंजापन शनि के अशुभ असर के कारण होने वाली बीमारीया है| यही कारण है पौराणिक कथाओ में मनुष्य तो क्या भगवान भी शनि के प्रकोप से डरते दिखाये गये है| लेकिन यह आधा सत्य हैं| कुंडली में शनि किस घर में कौनसी राशि में बैठा है यह निर्धारित करता हैं शनि का शुभ और अशुभ असर| कुंडली में शनि तुला राशि व 6, 8 और दसवें घर में शुभ होता हैं| तीसरे और छठे घर में भी शुभ असर देता हैं| ग्यारहवे घर में सबसे शुभ होता हैं| मकर व कुंभ राशि में भी शुभ असर देता हैं| मेष, सिंह, कर्क व वृश्चिक राशि में अशुभ होता हैं| पूर्व जन्म में गरीबों को, सेवको को या कमजोर को प्रताड़ित करना भी वर्तमान जीवन में शनि का अशुभ असर देता हैं| वही शनि शुभ का प्रभाव मनुष्यों को व्यवहारिक, जिम्मेदार, ज्ञानी, ईमानदार, न्यायप्रिय, मोहमाया से दूर, लम्बी उम्र, संगठनात्मक क्षमता, नेतृत्व करने वाला बनाता हैं| अंक विज्ञान के अनुसार जिनका जन्म किसी भी महीने की 8, 17 या 26 को होता हैं उनके देव ग्रह शनि है| ऐसे लोगो के जीवन में प्रेम संबधो को लेकर हमेशा दिक्कत रहती हैं| समाजिक तौर पर ये सबके प्रिय होते हैं| ये कर्मठ होते है और दूसरो की मदद कम लेना पसंद करते हैं| इनकी इच्छा शक्ति और गंभीर सोच इन्हें किसी भी कार्य सफलता से करने की ताकत देती हैं| इनका जीवन संघर्ष से भरा होता हैं लेकीन ये कभी हार नहीं मानते| उपरोक्त जन्मतिथि वाले और अगर आपके जीवन में शनि का अशुभ प्रभाव दिखाई दे रहा हो तो यह उपाय जरूर करे| * अशुभ शनि की स्थित में बबूल या कीकर की दातुन करे| * अशुभ स्थित में अपने से कमजोर लोगो को सम्मान दे| * शनि मंत्र, शनि चालीसा या हनुमान चालीसा का जाप करे| * नौकर, मजदुर या गरीबों से अच्छा व्यवहार करे| * पक्षियों को खास कर कौऐ को रोजाना दाना खिलाए | * शनि की कारक वस्तुएं जैसे तिल या सरसों का तेल, गहरे रंग के कपडे, लोहा, उड़द दाल खुद भी इस्तेमाल करे और कुष्ठ रोगियों को दान भी करे | * शनिवार को पीपल में जल चढ़ाए और तेल का दिया जलाए| * बुजुर्गों की सेवा करे| * मध्य उंगली में लोहे का छल्ला पहने| नीलम भी पहना जा सकता हैं लेकिन बिना परामर्श के ना पहने| * घर में या दफ़्तर में गहरे रंगो का इस्तेमाल करे| Aaj Ki Delhi.in/ The 24x7 news/ Indian news Online/ Prime News.live/Astro Dharm/ Yograaj Sharma/ 7011490810
एस्ट्रो  धर्म :



मंदिरों से लोगों की आस्था जुड़ी होती है और भारत देश में कई प्रमुख मंदिर हैं। ये प्रसिद्ध मंदिर बहुत ही प्राचीन और अनोखे मंदिर भी हैं। मान्यताओं के अनुसार इन मंदिरों में लोग अपनी मनोकामना लेकर आते हैं और उन्हें पूरी होने का आशीर्वाद लेकर जाते हैं।
वहीं भारत के अद्भुत मंदिरों में से एक मंदिर ऐसा भी है जहां लोग अपनी गंभीर बीमारियों से छुटकारा पाने के लिये आते हैं। हालांकि चिकित्सकों का इस मामले में कुछ कहना नहीं है। ऐसे ही कुछ अनोखे मंदिरों के बारे में बताते हैं जो व्यक्ति की हर समस्या का समाधान कर देते हैं...
नवाबगंज, उन्नाव की कुछ दूरी पर ही मां दुर्गा और कुशहरी मंदिर बहुत ही प्रसिद्ध मंदिर हैं। इन मंदिरों में दुर्गा मां की प्रतिमा और उनका विग्रह रुप बहुत ही मनमोहक है। श्रृद्धालुओं के अनुसार दोनों मंदिरों में स्थापित देवी मां की प्रतिमाएं एक जैसी हैं, मानों दोनों जुड़वा बहने हैं। लेकिन आपको बता दें की कुशहरी देवी मंदिर परिसर में एक सुंदर सरोवर है जो कि गऊ घाट झील में मिलती है। इस मंदिर में आने वाले भक्त सरोवर के दर्शन पाकर स्वयं को धन्य मानते हैं।

मंदिर के बारे में लोगों का कहना हे कि स्‍थानीय निवासी बताते हैं कि, कुशहरी देवी सभी प्रकार के रोगों से भी मुक्ति दिलाती हैं। इसी क्रम में एक उल्‍लेख मिलता है उन्‍नाव के पुरवा निवासी एक नर्तकी के शरीर में लकवा मार गया था। कई जगह इलाज करवाने के बावजूद वह सही नहीं हो पाई तब वह माता कुशहरी के मंदिर आई। माता से प्रार्थना की और कुछ ही दिनों में वह स्‍वस्‍थ हो गई। इसके बाद उसने मंदिर के जीर्णोद्धार भी करवाया।

पधाई माता मंदिर, शिमला
ऐसा ही एक चमत्कारी मंदिर शिमला के दुधली नामक जगह पर स्थित है। यहां देवी मां का एक चमत्कारी मंदिर स्थापित है। जो की पधाई माता मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है। यह मंदिर पधाई नामक पहाड़ी पर स्थित है, इसलिए इसे पधाई माता मंदिर कहा जाता है। मंदिर को लेकर कहानी मिलती है कि, एक बार एक स्‍थानीय निवासी को देवी मां ने स्‍वप्‍न में पिंडी रूप में दर्शन दिए थे। इसके बाद उसे एक जगह विशेष पर खुदाई करने का आदेश दिया। साथ ही यह भी कहा कि वह उसी स्‍थान पर मां का जलाभिषेक भी करें।
अगले दिन वह उठते ही उस स्थान पर पहुंचा, जो मातारानी ने जगह बताई थी। वहां पर उसने देखा कि जिस पिंडी के उसने सपने में दर्शन किए थे। सामने वही पिंडी विराजमान थी। इसके बाद उसने मां को प्रणाम करके स्‍वप्‍न में बताई गई जगह पर खुदाई करनी शुरू की। बताते हैं कि उस स्‍थान पर जल की धारा निकली। जिससे उसने मां की पूजा-अर्चना की और फिर उसी स्‍थान पर मंदिर का निर्माण हो गया। तब से उसी जल से मां का जलाभिषेक किया जाता है। यही नहीं मान्‍यता है कि जो भी सच्‍ची श्रद्धा से मां को यह जल अर्पित करता है। साथ ही इससे स्‍नान करता है उसके सभी रोग दूर हो जाते हैं।
पातालेश्वर शिव मंदिर, मुरादाबाद
मुरादाबाद-आगरा राजमार्ग पर सद्ध्दी गांव में एक शिव मंदिर स्थापित है। यह शिव मंदिर करीब 150 साल पुराना है। इस मंदिर को पातालेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता है। यहां शिवलिंग पर दूध-दही और झाडू चढ़़ाया जाता है। माना जाता है कि इससे अगर किसी व्यक्ति को त्वचा रोग हैं तो वो दूर हो जाते हैं। शिव जी को झाडू चढ़ाने से त्वचा रोग से संबंधित सभी समस्याएं खत्म हो जाती है। स्‍थानीय लोग बताते हैं कि भोले की ऐसी महिमा है कि झाड़ू चढ़ाते ही गंभीर से गंभीर बीमारी सही हो जाती है।
इसलिये चढ़ाई जाती है झाडू
भिखारीदास नाम का एक व्‍यापारी था जो कि गंभीर रूप से त्‍वचा की बीमारी से परेशान था। एक दिन वह दवा के लिए किसी दूसरे शहर जा रहा था। उसी समय उसके रास्‍ते में यह गांव पड़ा। भिखारीदास को प्‍यास लगी थी तो वह सामने स्थित आश्रम में गया। जहां पर महंत आश्रम की सफाई कर रहे थे और उनकी झाड़ू उस व्‍यापारी को छू गई। इसके बाद उसकी त्‍वचा की सारी बीमारी ठीक हो गई। इसके बाद भिखारीदास ने उस स्‍थान पर शिवालय का निर्माण करवा दिया। धीरे-धीरे यह मान्‍यता हो गई कि मंदिर में झाड़ू चढ़ाने से त्‍वचा रोग से मुक्ति मिल जाती है।
Aaj Ki Delhi.in/ The 24x7 news/ Indian news Online/ Prime News.live/Astro Dharm/ Yograaj Sharma/ 7011490810
ऐस्ट्रो धर्म 

अब तक जो सूचना सामने आ रही है उसके अनुसार 29 अप्रैल 2020 को भगवान शिव के एक ऐसे ज्योतिर्लिंग कपाट खुलने जा रहे हैं, जिन्हें जागृत महादेव माना जाता है। माना जाता है कि इस मंदिर में शिव आज भी जागृत अवस्था में हैं और समय समय पर भक्तों की मदद के लिए अपने चमत्कार दिखाने के साथ ही भक्तों को दर्शन भी देते हैं।
इस मंदिर का द्वार आम दर्शनों के लिए मेष लग्न में सुबह 6:10 पर खोला जाएगा। इसके बाद छह माह तक अराध्य की पूजा-अर्चना धाम में ही होगी। दरअसल हम बात कर रहे हैं भगवान शिव के 11वें ज्योतिर्लिंग केदारनाथ की।
इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने के लिए भक्त करीब 6 माह तक का इंतजार करते हैं। यहां की चढ़ाई को बेहद ही मुश्किल माना जाता है, लेकिन ऐसा कहा जाता है कि भोले बाबा जिसे दर्शन देने की ठान लेते हैं उसे दर्शन देकर ही रहते हैं। इसी बात से जुड़ी भगवान शिव के एक भक्त की कहानी है, जिसके बाद से केदरनाथ को जागृत महादेव कहा जाने लगा।
केदारनाथ को ‘जागृत महादेव’ कहा जाता है। इसके पीछे एक प्रसंग प्रचलित है। प्रसंग के मुताबिक,बहुत समय पहले एक बार एक शिव-भक्त अपने गांव से केदारनाथ धाम की यात्रा पर निकला। पहले यातायात की सुविधाएं तो थी नहीं वह पैदल ही निकल पड़ा। रास्ते में जो भी मिलता उससे केदारनाथ का मार्ग पूछ लेता और मन में भगवान शिव का ध्यान करता रहता। चलते चलते उसको केदारनाथ धाम तक पहुंचने में महीनों लग गए।
आखिरकार एक दिन वह केदार धाम पहुंच ही गया। केदारनाथ में मंदिर के द्वार 6 महीने खुलते है और 6 महीने बंद रहते हैं। भक्त जब वहां पहुंचा तो उस समय केदारनाथ के द्वार 6 महीने के लिए बंद हो रहे थे। परंपरा के मुताबिक दोबारा ये द्वार 6 महीने के बाद ही खुलते।
भक्त ने पंडित जी से इस बात का अनुरोध किया कि द्वार खोल दिए जाएं ताकि वह प्रभु के दर्शन कर सके, लेकिन पंडित जी ने परंपरा का पालन करते हुए द्वार को बंद कर दिए, क्योंकि वहां का तो नियम है एक बार द्वार बंद तो बंद।
इससे भक्त बहुत निराश हुआ और रोने लगा। इसके बाद वह बहुत रोया। बार-बार भगवन शिव को याद किया कि प्रभु बस एक बार दर्शन करा दो। वह प्रार्थना कर रहा था सभी से लेकिन उसकी किसी ने भी नहीं सुनी।

शिव भक्त को मिलें सन्यासी बाबा...
पंडित जी ने भक्त से कहा कि वह अपने घर चला जाए और दोबारा 6 महीने के बाद आए। लेकिन भक्त ने उनकी बात नहीं मानी और वहीं पर खड़ा होकर शिव का कृपा पाने की उम्मीद करने लगा। रात में समय भूख-प्यास से उसका बुरा हाल हो गया। इसी दौरान उसने रात के अंधेरे में एक सन्यासी बाबा के आने की आहट सुनी।
बाबा के आने व पूछने पर भक्त ने उनसे समस्त हाल कह सुनाया। फिर बहुत देर तक बाबा उससे बातें करते रहे। बाबा जी को उस पर दया आ गई। वह बोले, “बेटा मुझे लगता है, सुबह मन्दिर जरुर खुलेगा। तुम दर्शन जरूर करोगे।'' इसके कुछ समय बातों-बातों में इस भक्त को ना जाने कब गहरी नींद आ गई।
सुबह सूर्य के मद्धिम प्रकाश के साथ भक्त की आंख खुली। उसने इधर उधर बाबा को देखा किन्तु वह कहीं नहीं थे। इससे पहले कि वह कुछ समझ पाता उसने देखा पंडित आ रहे है अपनी पूरी मंडली के साथ। उस ने पंडित को प्रणाम किया और बोला कल आप ने तो कहा था मन्दिर 6 महीने बाद खुलेगा? इस बीच कोई नहीं आएगा यहां लेकिन आप तो सुबह ही आ गये।
गौर से देखने पर पंडित जी ने उस भक्त को पहचान लिया औरपुछा, तुम वही हो जो मंदिर का द्वार बंद होने पर आये थे? जो मुझे मिले थे। 6 महीने होते ही वापस आ गए!
उस आदमी ने आश्चर्य से कहा नहीं, मैं कहीं नहीं गया। कल ही तो आप मिले थे रात में मैं यहीं सो गया था। मैं कहीं नहीं गया। पंडित के आश्चर्य का ठिकाना नहीं था। उन्होंने कहा लेकिन मैं तो 6 महीने पहले मंदिर बन्द करके गया था और आज 6 महीने बाद आया हूं। तुम 6 महीने तक यहां पर जिन्दा कैसे रह सकते हो? पंडित और सारी मंडली हैरान थी।
इतनी सर्दी में एक अकेला व्यक्ति कैसे 6 महीने तक जिन्दा रह सकता है। तब उस भक्त ने उनको सन्यासी बाबा के मिलने और उसके साथ की गई सारी बाते बता दी कि एक सन्यासी आया था लम्बा था, बढ़ी-बढ़ी जटाये, एक हाथ में त्रिशुल और एक हाथ में डमरू लिए, मृग-शाला पहने हुआ था।
पंडित जी समझ गए कि इस भक्त से उस रात स्वयं शिव जी ही मिलने आए थे। यही वजह है कि केदारनाथ को ‘जागृत महादेव’ कहा जाता है।
इसके बाद पंडित और सब लोग उसके चरणों में गिर गये। बोले हमने तो जिंदगी लगा दी किन्तु प्रभु के दर्शन ना पा सके सच्चे भक्त तो तुम हो। तुमने तो साक्षात भगवान शिव के दर्शन किए हैं। उन्होंने ही अपनी योग-माया से तुम्हारे 6 महीने को एक रात में परिवर्तित कर दिया। काल-खंड को छोटा कर दिया। यह सब तुम्हारे पवित्र मन और तुम्हारे विश्वास के कारण ही हुआ है।
Aaj Ki Delhi.in/ The 24x7 news/ Indian news Online/ Prime News.live/Astro Dharm/ Yograaj Sharma/ 7011490810
असीं तेरे तों बगैर जीणा सिक्खया नहीं , साड्डी कुंडली च होर दर लिखया नहीं , तेरे बच्चेयां दा दिल हुण नहियों लग्गदा , हुण छेती सानुं दर ते बुला दाती, अपने बच्चेयां नूँ चिठ्ठीयां पा दाती, 1. तेरा बच्चेयां दे बिना दिल किवें लग्गदा , तेरा द्वारा बच्चेयां दे बिन किवें सज्जदा , तेरे बच्चे करदे अरजां दाती , अपने बच्चेयां नूँ चिठ्ठीयां पा दाती 2. तूँ गुफा विच कल्ली,असीं घरां विच कल्ले आं , हुण तक मायें तेरे लाड्डां नाल पले आं थोड़ा लाड़ सानुं फेर तूँ लडा दाती , अपने बच्चेयां नूँ चिठ्ठीयां पा दाती , 3. दिल साड्डा हो गया बडा ही ऊचाट माँ , कदों खुल्लने तेरे मन्दरां दे कपाट माँ , बुहे खोल ,सानुं दर्श दिखा दाती , अपने बच्चेयां नूँ चिठ्ठीयां पा दाती , 4. घर बैठे बैठे असीं होये बेचैन माँ, तेरा ही नाम जपदे दिन और रैन माँ , चंचल ते रैम्पी नूँ चरणी ला दाती , अपने बच्चेयां नूँ चिठ्ठियां पा दाती ! जय माता दी 22/04/20(12.42 रात्रि) रैम्पी साज़

खबर - पंकज पोरवाल
भीलवाड़ा। श्री मनोकामनापूर्ण बालाजी सेवा समिति, छोटी हरणी की और से आयोजित “नानी बाई रो मायरो” कथा के द्वितीय दिवस पर कथा प्रवक्ता सुश्री जया किशोरी जी ने धर्मसभा को को संबोधित करते हुए की भगवान को पाने के लिए आज के समय में निष्काम भक्ति बहुत जरुरी हे, आज के समय में लोग प्रभु को केवल अपना कार्य पूरा कराने के लिए याद करते और अपना कार्य पूरा होते ही प्रभु को भूल जाते हे | भक्ति बिना स्वार्थ की होनी चाहिए, निस्वार्थ भक्ति से ही प्रभु की प्राप्ति संभव हे |
पूज्या जी ने कृष्ण सुदामा मिलन प्रसंग का वाचन वाचन करते हुए कहा की मित्रता हो तो सुदामा और कन्हैया के जैसी होनी चाहिए जोकि एक दुसरे की परिस्थिति को बखूबी समझते हो | आपका भगवान पर इतना अटूट विश्वास होना चाहिए कि आपका कोई भी कार्य हो प्रभु पर छोड़ दे और ये विश्वास रखे कि भगवान जो भी करेंगे अच्छा ही करेंगे, उसकी मर्जी के बिना एक पत्ता भी नहीं हिलता हे | भगवान को अपने वश में करने का मंत्र बताते हुए कहा की प्रेम ही एकमात्र ऐसा जरिया हे जिससे प्रभु को बड़े ही आसानी से पाया जा सकता हे, अपने वशीभूत किया जा सकता हे |
समिति उपाध्यक्ष छगनलाल जैन ने बताया की आज के मायरे की शुरुआत मुख्य अतिथि जिला प्रमुख शक्ति सिंह हाडा, कंचन इंडिया के श्री लादूलाल बांगड़, प्रदीप मोहन शर्मा, गोपाल स्वरुप मेवाड़ा, गोपाल शर्मा (गोपी दादा), ने दीप प्रज्वलित कर की व मायरे के अंत में लाल बाबा, श्री प्रकाशानंद जी महाराज, बब्बू बन्ना, जोनी बन्ना, मधुसुदन शर्मा, शिव सेना राज्य प्रमुख आशीष जोशी, शम्भू लाल तेली ने महाआरती कर कथा को विराम दिया | कथा में आज पूज्या जया किशोरी जी ने राधे, राधे, गोविन्द राधे..., अरे द्वारपालों कन्हैया से कह दो..., भगत के वश में हे भगवान..., सांवरिया रे आगे खड़ा हु कर जोड़..., बात मेरी मानले..., गाडी में बिठाले रे कान्हा..., आदि भजनों पर श्रद्धालु झूम उठे | कथा के दौरान कृष्ण सुदामा मिलन, भक्त के वश में हे भगवान भजन, नरसी जी का अंजार नगर की और प्रस्थान आदि प्रसंगों की जीवंत व अनोखी झांकिया प्रदर्शित की गयी | आज मायरे में कृष्ण सुदामा मिलन, नरसी जी का अंजार नगर प्रस्थान आदि प्रसंगों का वाचन जया किशोरी जी द्वारा मारवाड़ी भाषा में किया गया | कथा में अंतिम दिवस अर्थात कल नानी बाई का मायरा भरा जायेगा | मायरे का सञ्चालन सुश्री हंसा व्यास द्वारा किया गया | कथा के दौरान आज विश्व नव निर्माण सेना के सेवा प्रकल्प माता पिता की सेवा का पोस्टर पूज्या जया किशोरी जी द्वारा किया गया | नानी बाई को मायरो कथा का आयोजन 25 से 27 अक्टूम्बर 2017 तक दोपहर 1 से 5 बजे तक छोटी हरणी स्थित काठिया बाबा आश्रम में किया जा रहा हे | 27 अक्टूबर को शाम को भी भीलवाड़ा के स्थानीय कलाकार श्री आशुतोष जी सोनी, मास्टर सुनील, दिनेश मानसिंहका के द्वारा भव्य भक्ति संध्या आयोजित की जाएगी |
Aaj Ki Delhi.in/ The 24x7 news/ Indian news Online/ Prime News.live/Astro Dharm Aaj Ki Delhi.in/ The 24x7 news/ Indian news Online/ Prime News.live/Astro Dharm/ Yograaj Sharma/ 7011490810
अनिल शर्मा 
शिमला  – ग्राम शिमला निवासी आचार्य अभिमयू पाराशर को कानपुर मे आयोजीत ज्योतिष महा सम्मेलन मे भाग लेने पर संस्थान द्वारा उन्हे पाराशर ऋषी की मानद उपाधी से अलंकृत किया। यहं सम्मान उन्हे अखिल भारतीय ज्योतिष संस्थान दिल्ली व कानपुर के राष्ट्रीय अध्यक्ष अरूण कुमार बंसल, संरक्षक जयप्रकाश शर्मा व कार्यक्रम संयोजक शरद त्रिपाठी ने संयुक्त रूप से प्रदान किया। सम्मान स्वरूप उन्हे सम्मान पत्र, प्रतिक चिन्ह प्रदान किया। सम्मान मिलने पर शिमला सरपंच धर्मेन्द्र यादव, भाजपा किसान मोर्चा उपाध्यक्ष रमेश यादव, युकां उपाध्यक्ष शीशराम यादव, पं गोविन्दराम शर्मा सहित अनेक प्रबुद्ध जनो ने बधाई दी।  
Aaj Ki Delhi.in/ The 24x7 news/ Indian news Online/ Prime News.live/Astro Dharm
एस्ट्रो धर्म। स्त्री का मातृत्व ही उसकी महत्ता का द्योतक है। अत: गर्भधारण संस्कार अत्यधिक गौरवशाली संस्कार माना गया है।

गर्भ: सन्धार्यते येन कर्मणा तत् गर्भाधानम्।
गृहस्थ जीवन की सार्थकता संतानोत्पत्ति में ही मानी गई है, क्योंकि इसी से तो सृष्टि का विकास होता है। अत: गर्भाधान संस्कार में सात्त्विकता एवं तामसिकता का ध्यान रखना चाहिए। माता-पिता की प्रवृत्ति का प्रभाव ही उनकी भावी पीढ़ी पर पड़ेगा।
2. पुंसवन संस्कार
गर्भस्थ शिशु पर माता-पिता, परिवार एवं वातावरण का प्रभाव अवश्य पड़ता है। महाभारत का अभिमन्यु तो गर्भावस्था में ही अपने पिता अर्जुन द्वारा बताए चक्रव्यूह-भेदन की क्रिया को सीख गया था। अत: गर्भस्थ शिशु के कल्याण के लिए गर्भवती मां को पौष्टिक व सात्त्विक आहार के साथ सुसंस्कारक साहित्य, शास्त्रोक्त सदुपदेश, चरित्र, आचरण के निखार विषयक कथाएं सुनानी चाहिए। यह संस्कार गर्भाधान के तीसरे या चौथे महीने में किया जाता है—
गर्भे तृतीये तु मासि पुंसवनं भवेत्।
3. सीमंतोन्नयन संस्कार
गर्भस्थ शिशु को किसी प्रकार की क्षति न हो। बाह्य आपदाएं, पैशाचिक प्रकोप अथवा इसी प्रकार की अन्य आकस्मिक शिशु घातक घटनाओं से बचाने के प्रयास के क्रम में इस संस्कार की महत्ता है। प्राय: असामयिक गर्भपात की घटनाएं सुनने में आती हैं। वैसे भी गर्भावस्था में स्त्रियां कहीं दूर आना-जाना पसंद नहीं करतीं, जबकि भूत-प्रेत बाधा का डर भी रहता है। अत: गर्भस्थ शिशु की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता इस संस्कार में दिए जाने का संकेत लक्षित होता है। गर्भस्थ शिशु की दीर्घायु एवं सुरक्षा के विषय में तो बताया गया है—
सीमन्तोन्नयनं कार्य तत्स्त्री संस्कार इष्यते।
यह संस्कार छठे या आठवें महीने में किए जाने का प्रावधान है, क्योंकि तब तक शिशु उदर में चलने लगता है। इस संस्कार मे गर्भवती स्त्री के केश संवारने के भाव से यही प्रतीत होता है कि उसकी देख-रेख बड़ी सावधानी से की जानी चाहिए। अधिक श्रम, रात्रि-जागरण, दिवा-शयन आदि न करें।
4. जातकर्म संस्कार
नवजात शिशु के मुख में घी-मधु का स्पर्श कराते हैं। इसी के साथ यह मंत्र-वाचन भी किया जाता है— 
मन्त्रवत्प्राशनं चास्य हिरण्यमधुसर्पिषाम्।

शिशु के कान में भी दीर्घायु-यशस्वी होने के लिए मंत्र पढ़े जाते हैं। नवजात शिशु के नाल-छेदन (नाल काटने की) क्रिया की जाती है, जच्च-बच्चा की सुरक्षा का विशेष ध्यान रखा जाता है।
5. नामकरण संस्कार
शिशु के नामकरण संस्कार के विषय में शास्त्रोक्त कथन है-
एकादशे अहनि पिता नाम कुर्यादिति।
जन्म के ग्यारहवें दिन नवजात शिशु का नामकरण होना चाहिए। नामकरण संस्कार की महत्ता भी शास्त्रों में बताई गई है। नाम का मनुष्य के काम पर तथा व्यक्तित्व पर प्रभाव पड़ता है, अत: शिशु के शुभाशुभ के परिप्रेक्ष्य में नामकरण संस्कार किया जाना चाहिए। ‘शतपथब्राह्मण’ में भी बताया गया है—
तस्मात्पुत्रस्य जातस्य नाम कुर्यात्।
6. निष्क्रमण संस्कार
नवजात शिशु को अच्छे मुहूर्त में अनुष्ठानों के साथ घर से प्रथम बार निकालने को ‘निष्क्रमण संस्कार’ कहते हैं। निष्क्रमण संस्कार प्राय: गांवों में संपन्न किए जाने पर गाय के गोबर से आंगन को लीपकर, चौक पूरकर, विविध अनुष्ठानों के साथ नवजात शिशु को प्रसूतिका-गृह से बाहर लाकर चौक में रखे अनाज का स्पर्श कराया जाता है तथा सूर्य और चंद्रमा  के दर्शन शुभ तिथियों पर कराए जाते हैं।
7. अन्नप्राशन संस्कार
शिशु के मुख में सर्वप्रथम अन्न का स्पर्श कराने को ‘अन्नप्राशन संस्कार’ कहा जाता है। यह प्राय: छह महीने के पश्चात् किया जाता है, क्योंकि तब तक बच्चा बड़ा हो जाता है और उसकी तृप्ति मां के दूध से नहीं हो पाती। ‘चरक संहिता’ में भी छह महीने पश्चात् बच्चों को पथ्य भोजन दिए जाने को श्रेयस्कर बताया गया है। इस अवधि में बच्चों को दांत भी आने लगते हैं तथा पाचनक्रिया भी प्रभावित होती है।
8. चूड़ाकर्म/मुंडन संस्कार
बच्चों के प्रथम वर्ष के अंत में अथवा तृतीय वर्ष के अंत में मुंडन संस्कार कराया जाता है, जिसमें विविध अनुष्ठानों के साथ बच्चों के सिर के बाल उतारे जाते हैं। प्राय: यह संस्कार किसी देवस्थान पर कराने की परंपरा है।
9. कर्णवेध संस्कार
इस संस्कार में कानों को छेदने की प्रथा है। कर्ण-छेदन का संस्कार प्राय: छठे, सातवें, आठवें या ग्यारहवें वर्ष में संपन्न कराया जाता है।  लड़के के दाहिने कान को छेदने तथा लड़कियों के दोनों कानों को छेदने की प्रथा प्रचलित है।
10. विद्यारंभ संस्कार
बच्चे का विद्याध्ययन के लिए प्रारंभ किए जाने वाले इस संस्कार को ‘अक्षरारंभ संस्कार’ भी कहते हैं। अच्छे मुहूर्त के साथ इस संस्कार का शुभारंभ विधि-विधान के साथ कराया जाता है, जिससे बच्चा पढ़-लिखकर यशस्वी बने। यह बच्चे के भविष्य के लिए यह अत्यधिक महत्वपूर्ण संस्कार है।
11. उपनयन संस्कार
इस संस्कार को यज्ञोपवीत अथवा ‘जनेऊ संस्कार’ भी कहते हैं। अथर्ववेद में इसे ‘ब्रह्मचारी’ शब्द से समलंकृत किया गया है, जबकि सामान्य अर्थ में इसे प्राचीन काल के ‘दीक्षादान’ से जाना जाता है। आज भी लोग यज्ञोपवीत संस्कार हर्षोल्लास के साथ संपन्न कराते हैं।
12. वेदारंभ संस्कार
प्राचीन काल में उपनयन संस्कार के साथ ही वेदारंभ अर्थात् वेदों के अध्ययन का संस्कार कराया जाता था, किंतु परवर्ती काल में जब संस्कृत बोलचाल की भाषा नहीं रही तो इसका प्रचलन बहुत कम हो गया। आंशिक रूप से कहीं-कहीं यह संस्कार आज भी संपन्न कराया जाता है।
13. केशांत अथवा गोदान संस्कार
प्राचीन काल में इसके अंतर्गत ब्रह्मचारी (वेदाभ्यासी) के श्मश्रुओं का क्षौर किया जाता था तथा गोदान कराया जाता था।
14. समावर्तन संस्कार
प्राचीन काल में वेदाध्ययन के पश्चात् गुरुकुल से अपने घर प्रत्यावर्तन (लौटने) को ‘समावर्तन संस्कार’ कहा जाता था। इसे ‘दीक्षांत संस्कार’ भी कहा जाता था। आज दीक्षांत समारोह उसी परंपरा का रूप कहा जा सकता है।
15. विवाह संस्कार
इस संस्कार का अत्यधिक महत्व है। आज भी प्रत्येक परिवार में वैवाहिक कार्यक्रम अत्यधिक हर्षोल्लास एवं अपनी-अपनी सामथ्र्य के अनुसार संपन्न कराया जाता है। वैदिक वा्मय में भी विवाह संस्कार की महत्ता सर्वाविदित है।
16. अंत्येष्टि संस्कार
मृत्यु के बाद यह संस्कार अपनी-अपनी परंपरा के अनुसार संपन्न कराया जाता है। ऐहिक जीवन का अंतिम संस्कार परलोकवास की प्रार्थना के साथ किया जाता है। लोक-परलोक दोनों सुधारने का सतत प्रयास मनुष्य करता है और मोक्ष-प्राप्ति उसका अंतिम उद्देश्य होता है। इस परिप्रेक्ष्य में भी संस्कार की अत्यधिक महत्ता है। जीवन की सार्थकता के लिए संस्कारों से स्वयं को, अपनी संतानों को एवं समाज को संवारना आवश्यक है
ज्योतिषियों के अनुसार रविवार के दिन नए साल की शुरुआत रहेगी लाभकारी
बीकानेर (जयनारायण बिस्सा)। नववर्ष 2017 में नव ग्रह अपना स्थान यानी राशि को बदलकर दूसरी राशि में जाएंगे। आम तौर पर सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, शुक्र ग्रह ही अपनी राशि परिवर्तित करते हैं। शनि, बृहस्पति, राहु और केतु हर वर्ष अपना स्थान परिवर्तन नहीं करते मगर नए साल में कुछ अलग ही होने जा रहा है। ज्योतिषियों के अनुसार वर्ष 2017 में नौ ग्रह अपना स्थान परिवर्तित करेंगे।ज्योतिषियों का कहना है कि वर्ष 2017 रविवार के दिन शुरू हो रहा है। रविवार के गुरु सूर्यदेव हैं। इसलिए नया साल सूर्यदेव के प्रभाव में रहेगा। वर्ष की शुरुआत रविवार के दिन होने को ज्योतिषि काफी शुभकारी मानकर चल रहे हैं। ज्योतिषियों के अनुसार रविवार के स्वामी सूर्यदेव हैं। इस तरह 2017 में सूर्यदेव का प्रभाव रहेगा। रविवार के दिन नववर्ष का आगाज होने से 2017 के अधिपति ग्रह सूर्यदेव रहेंगे। नए साल में नव ग्रह 2017 में राशि को छोडक़र दूसरी राशि में जाएंगे। ज्योतिषियों के अनुसार सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध और शुक्र हर वर्ष अपनी राशि बदलते हैं मगर शनि, बृहस्पति, राहु और केतु हर वर्ष अपनी राशि परिवर्तित नहीं करते।ज्योतिषियों का कहना है कि शनि अपनी राशि ढाई वर्ष में, बृहस्पति 13 महीने में तथा राहु और केतु 18 महीने में अपनी राशि परिवर्तित करते हैं। सन् 2000 में नई सदी शुरू होने के बाद अलग-अलग वर्षों में शनि, बृहस्पति, राहु और केतु अपनी राशि परिवर्तन कर चुके हैं। चालू शताब्दी में यह पहली बार होगा, जब नवग्रह अपनी राशि एक ही वर्ष में बदलेंगे।
ज्योतिषियों के अनुसार बृहस्पति 12 सितंबर को कन्या राशि का परित्याग कर तुला राशि में प्रवेश करेंगे। शनि देव 25 अक्टूबर को वृश्चिक राशि का त्याग कर धनु-राशि में जाएंगे। वहीं राहु 17 अगस्त को सिंह राशि का त्याग कर कर्क राशि में प्रवेश करेंगे।  केतु भी 17 अगस्त को कुंभ राशि का त्याग कर मकर राशि में जाएंगे।
नए साल में रविवार का महत्व: नया साल रविवार के दिन से आरंभ होगा और वर्ष भर रविवार का महत्व बरकरार रहेगा। नए साल के पहले महीने जनवरी में पांच रविवार पड़ रहे हैं। नया साल एक जनवरी रविवार को आरंभ होगा। इसके बाद 8, 15, 22 एवं 29 जनवरी को रविवार हैं। नए साल में अनेक त्योहार भी रविवार को ही पड़ रहे हैं।
इनका कहना है: नए साल का शुभारंभ रविवार के दिन से होना बहुत शुभ रहेगा। सूर्य सबसे प्रभावी और प्रत्यक्ष नजर आने वाले देवता हैं। उनकी कृपा से सुख-समृद्धि के द्वार नए साल में खुलेंगे।  -भैरवरतन बोहरा ज्योतिषाचार्य, 
Aaj Ki Delhi.in/ The 24x7 news/ Indian news Online/ Prime News.live/Astro Dharm/ Yograaj Sharma/ 7011490810
अंक ज्योतिष की दृष्टि से इस वर्ष आप पर शनि देव शासन करेंगे। अपनी नौकरी व बिज़नेस को लेकर आप काफी सीरियस रहेंगे। आपका प्लानिंग करके काम करना नौकरी में अचानक तरक़्क़ी दे सकता है। जोश व उत्साह से आप भरपूर रहेंगे। नौकरी में अपने टैलेंट के चलते इस दौरान आप विरोधियों की ईंट-से-ईंट बजा सकते हैं। स्टील, लोहा, मशीनरी, लेदर, प्रॉपर्टी, ऑयल व जूतों से जुड़ा बिज़नेस अगर कर रहे हैं तो सफलता मिलने की पूर्ण सम्भावना है। बिज़नेस में ईमानदारी बरतें व छल-कपट से दूर रहें। अगर आप रिसर्च, साइंस, जियोग्राफ़ी से जुड़े स्टूडेंट हैं तो ज़बरदस्त सफलता आपका इंतज़ार कर रही है। आर्कियोलॉजी से जुड़े लोगों को भी मन चाहा परिणाम मिल सकता है। इस साल आपकी आध्यात्मिक क्रियाशीलता बढ़ेगी। इससे जुड़ी कोई ट्रिप भी संभव है। जीवनसाथी व बच्चों के साथ किसी मल्टीप्लेक्स में मनपसंद मूवीज़ देखने का मौक़ा मिलता रहेगा। बच्चों के साथ किसी ऐतिहासिक म्यूज़ियम्स की यात्राएँ भी संभव हैं। लव लाइफ़ अगर बे-जान हुई पड़ी है तो किसी रेस्टोरेंट में अपने प्रेमी से आपका सामना हो सकता है। पुराने प्रेमी पैसों का इंतज़ाम करके रखें क्योंकि गर्लफ्रेंड की शॉपिंग आप पर भारी पड़ सकती है; भले ही खाएँ-पीएँ कुछ नहीं मगर गिलास पूरे बारह आने का ही टूटेगा। हेल्थ का थोड़ा ख़्याल रखें। बाहर पिज़्ज़ा, बर्गर खाने की आदत पर लगाम लगाएँ। अगर जिम जाने का टाइम नहीं है तो घर पर ही साइकिल मंगा लें या फिर योग का सहारा लेना बेहतर होगा। 16 जुलाई से 16 अगस्त तक का समय यादगार साबित हो सकता है।
मूलांक 7 के लिए उपाय
आपके लिए गुरुवार व शनिवार शुभ हैं। अगर इन वारों को 7, 16, 25 तारीख़ें पड़ जाएँ तो समझिए आपकी निकल पड़ी।
आपके लिए नीला, क्रीम, पीला, हल्का हरा व गुलाबी रंग शुभ है। इन रंगों के कपड़ों को ज़्यादा पहनें।
पॉकेट में नीला, पीला या क्रीम कलर का रुमाल हमेशा रखें।
शनि देव की रोज़ाना पूजा करें।


आचार्य रणजीत स्वामी 
मंदिर श्री गिरधारी जी 
किरोड़ी तीर्थ स्थल 
जिला झुंझुनू ( राजस्थान )
अभी हरिद्वार में है 
फ़ोन।  -9412326907
Aaj Ki Delhi.in/ The 24x7 news/ Indian news Online/ Prime News.live/Astro Dharm/ Yograaj Sharma/ 7011490810
मूलांक छः का फलादेश
इस साल आप पर नेपच्यून ग्रह का दबदबा रहेगा। 2017 का यह समय आपके लिए अच्छा है। आप अपनी नौकरी व बिज़नेस मीटिंग्स के चलते काफ़ी व्यस्त रहने वाले हैं। कोई नया बिज़नेस शुरू करने की प्लानिंग भी आप करने वाले हैं, जिससे आप अच्छा-ख़ासा मुनाफ़ा कमा सकते हैं। किसी बड़े प्रोजेक्ट को समय से पूरा करने के कारण आप अपने बॉस की वाहवाही लूटेंगे। नौकरी में आपका अनुशासन देखकर आपके विरोधी भी आपकी तारीफ़ करने पर मजबूर हो जायेंगे। अपने बॉस के साथ आप बड़ी-बड़ी बिज़नेस मीटिंग्स अटेंड करेंगे। पढ़ाई को लेकर आप काफ़ी संजीदा रहेंगे व अपने दोस्तों के साथ भी ख़ूब आउटिंग करेंगे। पिछले साल जिस इंजीनियरिंग कॉलेज में आपका दाख़िला होते-होते रह गया था, इस साल उसी कॉलेज में आपका एडमिशन होने की सम्भावना है। अपने जीवनसाथी व बच्चों के साथ आप कुछ रोमांचक जगहों पर घूमेंगे। बच्चों के साथ वॉटर व एम्यूज़मेंट पार्क का आनंद उठाना आपको सुखद अनुभव व मानसिक शांति दे सकता है। फ़ेसबुक व व्हाट्सएप पर अपने जिस ख़ास दोस्त से आजकल आप बात कर रहे हैं, मुमकिन है कि वह आपको चाहने लगा हो। इसलिए प्यार के मामले में परेशान होने की ज़रूरत नहीं है, क्योंकि कुआँ ख़ुद प्यासे के पास चलकर आने वाला है। अंक ज्योतिष 2017 के मुताबिक़ इस दौरान हेल्थ बढ़िया रहेगी। अपनी दिनचर्या से समय निकालकर थोड़ा वर्क-आउट भी करिए क्योंकि आपका बढ़ा हुआ पेट आपकी आकर्षक व्यक्तित्व को सूट नहीं करेगा। 13 मई से 14 जून तक का समय आपके लिए कुछ अच्छे सरप्राइज़ ला सकता है।
मूलांक 6 के लिए उपाय
आपके लिए सफ़ेद व नीला रंग अनुकूल है। इसलिए इन रंगों के कपड़ों को ज़्यादा पहनें।
जेब में सफ़ेद रुमाल रखें।
आपके लिए बुधवार, शुक्रवार व शनिवार शुभ हैं, अगर इन वारों में 6, 15 व 24 तारीख़ें पड़ जाएँ तो लाभदायक रहेंगी।
शुक्रवार का व्रत रखना आपके लिए फ़ायदेमंद है।

आचार्य रणजीत स्वामी 
मंदिर श्री गिरधारी जी 
किरोड़ी तीर्थ स्थल 
जिला झुंझुनू ( राजस्थान )
अभी हरिद्वार में है 
फ़ोन।  -9412326907
Aaj Ki Delhi.in/ The 24x7 news/ Indian news Online/ Prime News.live/Astro Dharm/ Yograaj Sharma/ 7011490810
मूलांक चार का फलादेश
इस अवधि में आपके ऊपर बुध ग्रह की कृपा रहेगी। आपके दिमाग़ में नए-नए आइडिया आने वाले हैं, जिनसे आप कुछ अलग करके दिखायेंगे। इस साल अपनी क्रिएटिविटी से आप काफ़ी सफलता प्राप्त करेंगे। नौकरी व बिज़नेस में आप कुछ हटकर करने वाले हैं जिससे आपके विरोधियों को भी जलन होगी। आपके ऊपर अपने बॉस की कृपा बनी रहेगी। अंक विज्ञान 2017 कहता है कि आप अपनी बातों के जादू से अपने सहकर्मियों को इम्प्रेस कर देंगे जिससे कई नए लोग भी आपके मुरीद बनेंगे। अगर आप सेल्स, एकाउंट्स, ऑडिट व कम्युनिकेशन से जुड़ा बिज़नेस या नौकरी कर रहे हैं तो दोनों हाथों में लड्डू लेने के लिए तैयार हो जाइए। आप कोई नया बिज़नेस भी शुरू कर सकते हैं जिसमें सफलता मिलेगी। इस साल पढ़ाई में आपका ख़ूब मन लगेगा। मनचाहे विषय मिल सकते हैं व कॉलेज में पढ़ने का मौक़ा मिलेगा। मास कम्युनिकेशन, जर्नलिज़्म से जुड़े छात्र सफलता के झंडे गाड़ सकेंगे। आपकी पारिवारिक ज़िंदगी मज़ेदार चलने वाली है। अपने परिवार को आप पूरा समय दे सकेंगे और उनके साथ सुकून के कुछ पल बिता सकेंगे। आपकी कोई संतान इस साल रिकॉर्ड-तोड़ सफलता प्राप्त कर सकती है। अगर अपनी पर्सनल लाइफ से बोर हो चुके हैं तो चिंता न करें, जल्दी ही किसी अनजान व्यक्ति की घुसपैठ आपकी ज़िंदगी में प्यार के रंग भरने वाली है। इन प्यार के रंगों से आप अपने को सराबोर पायेंगे और लाइफ़ काफ़ी हसीन लगने लगेगी। इस साल आपके दोस्तों की गिनती बढ़ेगी और आप उनके साथ ख़ूब हैंगआउट मारेंगे। इस दौरान आप सेहत को लेकर काफ़ी सचेत रहेंगे व अपनी फ़िटनेस का पूरा ध्यान रखेंगे। साइकिलिंग व मैडिटेशन करना आपकी सेहत में चार चांद लगाएगा। 17 अगस्त से 16 सितम्बर तक का समय जीवन में ख़ुशियों की बहार ला सकता है।
मूलांक 4 के लिए उपाय
आपके लिए बुधवार और शनिवार फ़ायदेमंद रहेंगे। अगर इन वारों में 4, 13, 22 व 31 तारीख़ें पड़ जाएँ तो सफलता निश्चित जानिए।
आपके लिए काला व नीला रंग विशेष शुभ है इसलिए इन रंगों के कपड़ों का ज़्यादा उपयोग करें।
जेब में भूरा, काला या नीला रुमाल रखें।


आचार्य रणजीत स्वामी 
मंदिर श्री गिरधारी जी 
किरोड़ी तीर्थ स्थल 
जिला झुंझुनू ( राजस्थान )
अभी हरिद्वार में है 
फ़ोन।  -9412326907
Aaj Ki Delhi.in/ The 24x7 news/ Indian news Online/ Prime News.live/Astro Dharm/ Yograaj Sharma/ 7011490810
मूलांक तीन का फलादेश
यह साल आपके लिए सामान्य रहेगा और आप यूरेनस ग्रह की शरण में रहेंगे। आपके साथ कुछ रहस्यमयी व आकस्मिक घटनाएँ घट सकती हैं। जीवन में अचानक उतार-चढ़ाव आने की सम्भावना है। बिज़नेस करने वाले बंधुओं को काम-धंधे में बड़ी इन्वेस्टमेंट करने से पहले सोच लेना चाहिए। अपने बॉस या ऊँचे अधिकारियों से उलझना आपके लिए घाटे का सौदा साबित होगा। अपने भेद किसी को न बताएँ; कोई घर का भेदी आपकी लंका को ढहा सकता है। इसलिए कार्य स्थल पर तालमेल बना कर चलें। अगर आप नौकरी बदलने की सोच रहे हैं तो 15 दिसंबर से 13 जनवरी का टाइम आपके लिए बेहतर रहेगा। बिज़नेस में आपको साधारण लाभ मिलता रहेगा। पढ़ाई की बजाय मौज-मस्ती में आपका ध्यान ज़्यादा रहने की सम्भावना है। अंक विज्ञान के मुताबिक़ जो लोग स्टडीज़ के लिए विदेश जाने की सोच रहे हैं, उन्हें इस साल के अंत में मौक़ा मिल सकता है। अपने जीवनसाथी के साथ बेकार की बहसबाज़ी से बचना ही आपके लिए बेहतर है वरना दाँत खट्टे होने की पूरी-पूरी सम्भावना है। प्रेमी-जोड़ों को गुपचुप प्यार करने के मौक़े मिलते रहेंगे। अपने पार्टनर से कोई बेहतरीन गिफ़्ट मिलेगा। इस साल स्वास्थ्य वैसे तो ठीक रहेगा, मगर पिज़्ज़ा-बर्गर से बचें वरना पेट की समस्याएँ बिना निमंत्रण के आ धमकेंगी। सुबह की ब्रिस्क वॉक और एरोबिक्स करना आपको फ़िट रखेगा। 14 मार्च से 12 अप्रैल तक का समय आपके लिए सुनहरा अवसर लेकर आएगा।
मूलांक 3 के लिए उपाय
आपके लिए गुरुवार, सोमवार और मंगलवार काफ़ी अनुकूल रहेंगे। अगर गुरुवार को 3, 12, 21 व 30 तारीख़ें पड़ जाएँ तो समझ लीजिए आपकी निकल पड़ी।
आपके लिए पीला, सफ़ेद व लाल रंग शुभ है। इन रंगों के कपड़ों को ज़्यादा-से-ज़्यादा पहनें।
जेब में पीला रुमाल हमेशा रखें।
गुरुवार का व्रत रखें।

आचार्य रणजीत स्वामी 
मंदिर श्री गिरधारी जी 
किरोड़ी तीर्थ स्थल 
जिला झुंझुनू ( राजस्थान )
अभी हरिद्वार में है 
फ़ोन।  -9412326907
Aaj Ki Delhi.in/ The 24x7 news/ Indian news Online/ Prime News.live/Astro Dharm/ Yograaj Sharma/ 7011490810
आचार्य अभिमन्यु पाराशर 
शुभ कार्यो में विशेष रुप से त्याज्य
समय के दो पहलू है. पहले प्रकार का समय व्यक्ति को ठीक समय पर काम करने के लिये प्रेरित करता है. तो दूसरा समय उस काम को किस समय करना चाहिए इसका ज्ञान कराता है. पहला समय मार्गदर्शक की तरह काम करता है. जबकि दूसरा पल-पल का ध्यान रखते हुये कभी चन्द्र की दशाओं का तो कभी राहु काल की जानकारी देता है.
राहु-काल का महत्व :
राहु-काल व्यक्ति को सावधान करता है. कि यह समय अच्छा नहीं है इस समय में किये गये कामों के निष्फल होने की संभावना है. इसलिये, इस समय में कोई भी शुभ काम नहीं किया जाना चाहिए. कुछ लोगों का तो यहां तक मानना है की इससे किये गये काम में अनिष्ट होने की संभावना रहती है.
दक्षिण भारत में प्रचलित:
राहु काल का विशेष प्रावधान दक्षिण भारत में है. यह सप्ताह के सातों दिन निश्चित समय पर लगभग डेढ़ घण्टे तक रहता है. इसे अशुभ समय के रुप मे देखा जाता है. इसी कारण राहु काल की अवधि में शुभ कर्मो को  यथा संभव टालने की सलाह दी जाती है.
राहु काल अलग- अलग स्थानों के लिये अलग-2 होता है. इसका कारण यह है की सूर्य के उदय होने का समय विभिन्न स्थानों के अनुसार अलग होता है. इस सूर्य के उदय के समय व अस्त के समय के काल को निश्चित आठ भागों में बांटने से ज्ञात किया जाता है.
दिन के आठ भाग :
सप्ताह के पहले दिन के पहले भाग में कोई राहु काल नहीं होता है. यह सोमवार को दूसरे भाग में, शनि को तीसरे, शुक्र को चौथे, बुध को पांचवे, गुरुवार को छठे, मंगल को सांतवे तथा रविवार को आंठवे भाग में होता है. यह प्रत्येक सप्ताह के लिये स्थिर है. राहु काल को राहु-कालम् नाम से भी जाना जाता है.
सामान्य रुप से इसमें सूर्य के उदय के समय को प्रात: 06:00 बजे का मान कर अस्त का समय भी सायं काल 06:00 बजे का माना जाता है. 12 घंटों को बराबर आठ भागों में बांटा जाता है. प्रत्येक भाग डेढ घण्टे का होता है. वास्तव में सूर्य के उदय के समय में प्रतिदिन कुछ परिवर्तन होता रहता है.
एक दम सही भाग निकालने के लिये सूर्य के उदय व अस्त के समय को पंचाग से देख आठ भागों में बांट कर समय निकाला जाता है. इससे समय निर्धारण में ग़लती होने की संभावना नहीं के बराबर रहती है.
*संक्षेप में यह इस प्रकार है*:-
1. सोमवार : 
सुबह 7:30 बजे से लेकर प्रात: 9.00 बजे तक का समय इसके अन्तर्गत आता है.

2. मंगलवार : 
राहु काल दोपहर 3:00 बजे से लेकर दोपहर बाद 04:30 बजे तक होता है.

3. बुधवार: 
राहु काल दोपहर 12:00 बजे से लेकर 01:30 बजे दोपहर तक होता है.

4. गुरुवार : 
राहु काल दोपहर 01:30 बजे से लेकर 03:00 बजे दोपर तक होता है.

5. शुक्रवार : 
राहु काल प्रात: 10:30 से 12:00 बजे तक का होता है.

6. शनिवार: 
राहु काल प्रात: 09:00 से 10:30 बजे तक का होता है.

7. रविवार: 
राहु काल सायं काल में 04:30 बजे से 06:00 बजे तक होता है.


राहु काल के समय में किसी नये काम को शुरु नहीं किया जाता है परन्तु जो काम इस समय से पहले शुरु हो चुका है उसे राहु-काल के समय में बीच में नहीं छोडा जाता है. कोई व्यक्ति अगर किसी शुभ काम को इस समय में करता है तो यह माना जाता है की उस व्यक्ति को किये गये काम का शुभ फल नहीं मिलता है. उस व्यक्ति की मनोकामना पूरी नहीं होगी. अशुभ कामों के लिये इस समय का विचार नहीं किया जाता है. उन्हें दिन के किसी भी समय किया जा सकता है.
Aaj Ki Delhi.in/ The 24x7 news/ Indian news Online/ Prime News.live/Astro Dharm/ Yograaj Sharma/ 7011490810
इसे तीसरी आँख पर ध्यान केन्द्रित करने वाला ध्यान माना जाता है. इसके लिए व्यक्ति को अपनी आपको को बंद करके, अपना सारा ध्यान अपने माथे की भौहो के बीच में लगाना होता है. इस ध्यान को करते वक़्त व्यक्ति को बाहर और अंदर पुर्णतः शांति का अनुभव होने लगता है. इन्हें अपने माथे के बीच में ध्यान केन्द्रित कर अंधकार के बीच में स्थित रोशनी की उस ज्वाला की खोज करनी होती है जो व्यक्ति की आत्मा को परमात्मा तक पहुँचाने का मार्ग दिखाती है. जब आप इस ध्यान को नियमित रूप से करते हो तो ये ज्योति आपके सामने प्रकट होने लगती है, शुरुआत में ये रोशनी अँधेरे में से निकलती है, फिर पीली हो जाती है, फिर सफ़ेद होते हुए नीली हो जाती है और आपको परमात्मा के पास ले आती है।
श्रवण ध्यान
इस ध्यान को सुन कर किया जाता है, ऐसे बहुत ही कम लोग है जो इस ध्यान को करके सिद्धि और मोक्ष के मार्ग पर चलते है. सुनना बहुत ही कठिन होता है क्योकि इसमें व्यक्ति के मन के भटकने की संभावनाएं बहुत ही अधिक होती है. इसमें आपको बाहरी नही बल्कि अपनी आतंरिक आवाजो को सुनना होता है, इस ध्यान की शुरुआत में आपको ये आवाजे बहुत धीमी सुनाई देती है और धीरे धीरे ये नाद में प्रवर्तित हो जाती है. एक दिन आपको ॐ स्वर सुनाई देने लगता है. जिसका आप जाप भी करते हो।
प्राणायाम ध्यान
इस ध्यान को व्यक्ति अपनी श्वास के माध्यम से करता है, जिसमे इन्हें लम्बी और गहरी साँसों को लेना और छोड़ना होता है. साथ ही इन्हें अपने शरीर में आती हुई और जाती हुई साँसों के प्रति सजग और होशपूर्ण भी रहना होता है. प्राणायाम ध्यान बहुत ही सरल ध्यान माना जाता है किन्तु इसके परिणाम बाकी ध्यान के जितने ही महत्व रखते है।
मंत्र ध्यान
इस ध्यान में व्यक्ति को अपनी आँखों को बंद करके ॐ मंत्र का जाप करना होता है और उसी पर ध्यान लगाना होता है. क्योकि हमारे शरीर का एक तत्व आकाश होता है तो व्यक्ति के अंदर ये मंत्र आकाश की भांति प्रसारित होता है और हमारे मन को शुद्ध करता है. जब तक हमारा मन हमे बांधे रखता है तब तक हम इस ध्वनि को बोल तो पाते है किन्तु सुन नही पाते लेकिन जब आपके अंदर से इस ध्वनि की साफ़ प्रतिध्वनि सुनाई देने लगती है तो समझ जाना चाहियें कि आपका मन साफ़ हो चूका है. आप ॐ मंत्र के अलावा सो-ॐ, ॐ नमः शिवाय, राम, यम आदि मंत्र का भी इस्तेमाल कर सकते है।
तंत्र ध्यान
इसमें व्यक्ति को अपने मस्तिष्क को सिमित रख कर, अपने अंदर के आध्यात्म पर ध्यान केन्द्रित करना होता है. इसमें व्यक्ति की एकाग्रता सबसे अहम होती है. इसमें व्यक्ति अपनी आँखों को बंद करके अपने हृदय चक्र से निकलने वाली ध्वनि पर ध्यान लगता है. व्यक्ति इसमें दर्द और सुख दोनों बातो का विश्लेषण करता है।
योग ध्यान
क्योकि योग का मतलब ही जोड़ होता है तो इसे करने का कोई एक तरीका नही होता बल्कि इस ध्यान को इनके करने की विधि के अनुसार कुछ अन्य ध्यानो में बांटा गया है. जो निम्नलिखित है 

चक्र ध्यान 
व्यक्ति के शरीर में 7 चक्र होते है, इस ध्यान को करने का तात्पर्य उन्ही चक्रों पर ध्यान लगाने से है. इन चक्रों को शरीर की उर्जा का केंद्र भी माना जाता है. इसको करने के लिए भी आँखों को बंद करके मंत्रो (लम, राम, यम, हम आदि) का जाप करना होता है. इस ध्यान में ज्यादातर हृदय चक्र पर ध्यान केन्द्रित करना होता है।

दृष्टा ध्यान
इस ध्यान को ठहराव भाव के साथ आँखों को खोल कर किया जाता है. इससे अर्थ ये है कि आप लगातार किसी वास्तु पर दृष्टी रख कर ध्यान करते हो. इस स्थिति में आपकी आँखों के सामने ढेर सारे विचार, तनाव और कल्पनायें आती है. इस ध्यान की मदद से आप बौधिक रूप से अपने वर्तमान को देख और समझ पाते हो।
कुंडलिनी ध्यान
इस ध्यान को सबसे मुश्किल ध्यान में से एक माना जाता है. इसमें व्यक्ति को अपनी कुंडलिनी उर्जा को जगाना होता है, जो मनुष्य की रीढ़ की हड्डी में स्थित होती है. इसको करते वक़्त मनुष्य धीरे धीरे अपने शरीर के सभी आध्यात्मिक केन्द्रों को या दरवाजो को खोलता जाता है और एक दिन मोक्ष को प्राप्त हो जाता है. इस ध्यान को करने के कुछ खतरे भी होते है तो इसे करने के लिए आपको एक उचित गुरु की आवश्यकता होती है।
Aaj Ki Delhi.in/ The 24x7 news/ Indian news Online/ Prime News.live/Astro Dharm/ Yograaj Sharma/ 7011490810