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ऐस्ट्रो धर्म :


महाशिवरात्रि (Mahashivratri) हिन्‍दू धर्म के मुख्य त्‍योहरों में से एक है. शिव भक्‍त अपने आराध्‍य भोले भंडारी की विशेष आराधना के लिए इस दिन की प्रतीक्षा करते हैं. महाशिवरात्री (Mahashivratri 2020) के खास अवसर पर शिवालयों में शिवलिंग पर जल, दूध और बेल पत्र चढ़ाकर भक्‍त शिव शंकर को प्रसन्‍न करने की कोशिश करते हैं. मान्‍यता है कि महाशिवरात्रि (Mahashivratri Songs) के दिन जो भी भक्‍त सच्‍चे मन से शिविलंग का अभिषेक या जल चढ़ाते हैं उन्‍हें महादेव की विशेष कृपा मिलती है. भगवान शिव की भक्ति से जुड़े भोजपुरी सिनेमा में ऐसे कई गाने हैं, जिन्हें सुनने के बाद कोई भी शिवभक्ति में लीन हो जाएगा. इन गानों में न केवल भोले भंडारी की महिमा का जिक्र किया गया है, बल्कि उनकी भक्ति से जुड़ी भी कई बातें बताई गई हैं. 

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असीं तेरे तों बगैर जीणा सिक्खया नहीं , साड्डी कुंडली च होर दर लिखया नहीं , तेरे बच्चेयां दा दिल हुण नहियों लग्गदा , हुण छेती सानुं दर ते बुला दाती, अपने बच्चेयां नूँ चिठ्ठीयां पा दाती, 1. तेरा बच्चेयां दे बिना दिल किवें लग्गदा , तेरा द्वारा बच्चेयां दे बिन किवें सज्जदा , तेरे बच्चे करदे अरजां दाती , अपने बच्चेयां नूँ चिठ्ठीयां पा दाती 2. तूँ गुफा विच कल्ली,असीं घरां विच कल्ले आं , हुण तक मायें तेरे लाड्डां नाल पले आं थोड़ा लाड़ सानुं फेर तूँ लडा दाती , अपने बच्चेयां नूँ चिठ्ठीयां पा दाती , 3. दिल साड्डा हो गया बडा ही ऊचाट माँ , कदों खुल्लने तेरे मन्दरां दे कपाट माँ , बुहे खोल ,सानुं दर्श दिखा दाती , अपने बच्चेयां नूँ चिठ्ठीयां पा दाती , 4. घर बैठे बैठे असीं होये बेचैन माँ, तेरा ही नाम जपदे दिन और रैन माँ , चंचल ते रैम्पी नूँ चरणी ला दाती , अपने बच्चेयां नूँ चिठ्ठियां पा दाती ! जय माता दी 22/04/20(12.42 रात्रि) रैम्पी साज़

बजरंग दया करके मुझको अपना लेना |
मैं शरण पड़ा तेरी, चरणों में जगह देना ||

करूणानिधि नाम तेरा, करुणा दिखलाओ तुम |
सोये हुए भावों को हे नाथ जगाओ तुम |
मेरी नावं भवर डोले, उसे पार लगा देना ||
...... बजरंग दया करके .......

तुम सुख के सागर हो, निर्धन के सहारे हो |
इस तन में समाये हो, प्राणों से प्यारे हो |
नित माला जपूँ तेरी, मुझको न भुला देना ||
...... बजरंग दया करके .......

पापी हूँ या कपटी हूँ, जैसा भी हूँ तेरा हूँ |
घर-बार छोड़ कर मैं, जीवन से खेला हूँ |
दुःख का मैं मारा हूँ, मेरे दुःख दर्द मिटा देना ||
...... बजरंग दया करके .......

मैं सबका सेवक हूँ, तेरे चरणों का चेरा (दास) हूँ |
नहीं नाथ भुला देना, इस जग में अकेला हूँ |
तेरे दर का भिखारी हूँ, मेरे दोष मिटा देना ||
...... बजरंग दया करके .......

तर्ज( उड़े जब जब)
मेरा श्याम बड़ा रंगीला,
मस्तियाँ बरसेगी-2, कीर्तन में,
रंगीलो मेरा बाबो श्याम ।। टेर ।।
कोई श्याम को रिझाकर देखे,
उमरिया सुधरेगी-2, कीर्तन में ।। 1 ।।
कोई श्याम को सजाकर देखे,
कि खुशबू महकेगी-2, कीर्तन में ।। 2 ।।
कोई अँखिया लड़ाकर देखे,
कि धड़कन मचलेगी-2, कीर्तन में।। 3 ।।
कोई श्याम को नचाकर देखे,
मुरलिया गुंजेगी-2, कीर्तन में ।। 4 ।।
‘नन्दू’ चलो भजन सुणावाँ,
उमरिया सुधरेगी-2, कीर्तन में।। 5 ।।

ॐ जय श्री श्याम हरे बाबा जय श्री श्याम हरे |
खाटू धाम विराजत अनुपम रूप धरे॥ ॐ जय श्री श्याम हरे....

रत्न जड़ित सिंहासन सिर पर चंवर ढुले |
तन केशरिया बागों कुण्डल श्रवण पडे॥ ॐ जय श्री श्याम हरे....

गल पुष्पों की माला सिर पर मुकुट धरे |
खेवत धूप अग्नि पर दिपक ज्योती जले॥ ॐ जय श्री श्याम हरे....

मोदक खीर चुरमा सुवरण थाल भरें |
सेवक भोग लगावत सेवा नित्य करें॥ ॐ जय श्री श्याम हरे....

झांझ कटोरा और घसियावल शंख मृंदग धरे |
भक्त आरती गावे जय जयकार करें॥ ॐ जय श्री श्याम हरे....

जो ध्यावे फल पावे सब दुःख से उबरे |
सेवक जन निज मुख से श्री श्याम श्याम उचरें॥ ॐ जय श्री श्याम हरे....

श्री श्याम बिहारी जी की आरती जो कोई नर गावे |
कहत मनोहर स्वामी मनवांछित फल पावें॥ ॐ जय श्री श्याम हरे....

ॐ जय श्री श्याम हरे बाबा जय श्री श्याम हरे |
निज भक्तों के तुम ने पूर्ण काज करें॥ ॐ जय श्री श्याम हरे....

ॐ जय श्री श्याम हरे बाबा जय श्री श्याम हरे |
खाटू धाम विराजत अनुपम रूप धरे॥ ॐ जय श्री श्याम हरे....
महाबली भीम और हिडिम्बा के पुत्र वीर घटोत्कच ने शास्त्रार्थ प्रतियोगिता जीतकर राजा मूर की पुत्री, कामकटंकटा (“मौर्वी”) से विवाह किया| उन्होंने एक वीर पुत्र को जन्म दिया जिसके केश बब्बर शेर की तरह दिखते थे| अतः उनका नाम बर्बरीक रखा गया|
आज उन ही वीर बर्बरीक को हम खाटू श्याम बाबा के “श्री श्याम”, “कलयुग के आवतार”, “श्याम सरकार”, “तीन बाणधारी”, “शीश के दानी”, “खाटू नरेश” तथा अन्य अनगिनत नामों से संबोधित करते हैं|
जब विद्वान बर्बरीक ने भगवान श्री कृष्ण से पूछा – “हे प्रभु! इस जीवन का सर्वोतम उपयोग क्या है?” इस कोमल एवं निश्छल हृदय से पूछे गए प्रश्न का उत्तर देते हुए श्री कृष्ण बोले – “हे पुत्र, इस जीवन का सर्वोत्तम उपयोग: परोपकार व निर्बल का साथी बनकर सदैव धर्म का साथ देने से है| इसके लिये तुम्हे बल एवं शक्तियाँ अर्जित करनी पड़ेगी| अत: तुम महीसागर क्षेत्र में नव दुर्गा की आराधना कर शक्तियाँ अर्जन करो|” श्री कृष्ण ने बर्बरीक का निश्चल एवं कोमल हृदय देखकर उन्हें “सुहृदय” नाम से अलंकृत किया|
बर्कारिक ने ३ वर्ष तक सच्ची श्रधा और निष्ठा के साथ नवदुर्गा की आराधना की और प्रसन्न होकर माँ दुर्गा ने बर्बरीक को तीन बाण और कई शक्तियाँ प्रदान की जिनसे तीनो लोको को जीता जा सकता था| तत्पश्चात माँ जगदम्बा ने उन्हें “चण्डील” नाम से संबोधित किया|
जब वीर बर्बरीक ने अपने माँ से महाभारत के युद्ध में हिस्सा लेने की इच्छा व्यक्त की, तब माता मोर्वी ने उनसे हारने वाले पक्ष का साथ देने का वचन लिया और युद्ध में भाग लेने की आज्ञा दी| भगवान श्री कृष्ण जानते थे की कौरवो की सेना हार रही थी| अपनी माता के आज्ञा के अनुसार महाबली बर्बरीक पाण्डव के विपक्ष में युद्ध करेंगे जिससे पाण्डवो की हार निश्चित हो जाएगी| इस अनहोनी को रोकने के लिए श्री कृष्ण ने बर्बरीक को रोका, उनकी परीक्षा ली और अपने सुदर्शन चक्र से उनका सर धड़ से अलग कर दिया|
सुदर्शन चक्र से शीश काटने के बाद माँ चण्डिका देवी ने वीर बर्बरीक के शीश को अमृत से सींच कर देवत्व प्रदान किया| तब इस नविन जाग्रत शीश ने उन सबको प्रणाम किया और कहा -”मैं युद्ध देखना चाहता हूँ| आप लोग इसकी स्वीकृति दीजिए|” श्री कृष्ण बोले – “हे वत्स! जब तक यह पृथ्वी नक्षत्र सहित है और जब तक सूर्य चन्द्रमा है, तब तक तुम सब लोगो के लिए पूजनीय होओगे| तुम सैदव देवियों के स्थानों में देवियों के समान विचरते रहोगे और अपने भक्तगणों के समुदाय में कुल देवियो की मर्यादा जैसी है, वैसी ही बनाई रखोगे और पर्वत की चोटी पर से युद्ध देखो|” इस प्रकार भगवान कृष्ण ने उस शीश को कलयुग में देव रूप में पूजे जाने और अपने भक्तों की मनोकामना पूर्ण करने का वरदान दिया| महाभारत युद्ध की समाप्ति पर महाबली श्री भीमसेन को अभिमान हो गया कि युद्ध केवल उनके पराक्रम से जीता गया है| अर्जुन ने कहा कि वीर बर्बरीक के शीश से पूछा जाये की उसने इस युद्ध में किसका पराक्रम देखा है| तब वीर बर्बरीक के शीश ने उत्तर दिया की यह युद्ध केवल भगवान श्रीकृष्ण की निति के कारण जीता गया| इस युद्ध में केवल भगवान श्रीकृष्ण का सुदर्शन चक्र चलता था, अन्यत्र कुछ भी नहीं था| भगवान श्रीकृष्ण ने पुनः वीर बर्बरीक के शीश को प्रणाम करते हुए कहा – “हे वीर बर्बरीक आप कलियुग में सर्वत्र पूजित होकर अपने सभी भक्तो के अभीष्ट कार्य को पूर्ण करोगे|” ऐसा कहने पर समस्त नभ मंडल उद्भाषित हो उठा एवं बाबा श्याम के देव स्वरुप शीश पर पुष्प की वर्षा होने लगी|
 
आना खाटू श्याम हमारे मन मंदिर में
पाप को हटाना प्रभु क्रोध को हटाना
सत्य की पौध लगाना हमारे मन मंदिर में
आना खाटू श्याम ...............

अहंकार को खोना प्रभु प्रेम को बोना
शीतल गंगा बहाना हमारे मन मंदिर में
आना खाटू श्याम ...............

भाव जगाना प्रभु भक्ति को सिखाना
सत्य की राह दिखाना हमारे मन मंदिर में
आना खाटू श्याम ...............

श्याम जी गुरुवर मेरे देर न करना दास को तुम्हारे चरणों में रखना
सत्य की राह दिखाना प्रभु जी मन मंदिर में
आना खाटू श्याम ...............
खाटू वाले श्याम बाबा तेरा ही सहारा-1
 तेरे सिवा दुनिया में कोई न हमारा – 11
लाख्दातर तू हैं एक जाने जग सारा -1
खाटू वाले श्याम बाबा तेरा ही सहारा –11
बड़े ही दयालु …… तेरी महिमा है भरी-1
दर्शन को आये तेरे लाखो नरनारी – 11
पतित उठारण नाम है तिहरा-1
तेरे सिवा दुनिया में कोई न हमारा –11
खाटू वाले श्याम बाबा तेरा ही सहारा-1
तेरे सिवा दुनिया में कोई न हमारा – 11
पता न ठिकाना …… जानू कहाँ तुझे पाऊ-1
भक्ति न भाव जानू कैसे में रिझाऊँ -11








हमको मनकी शक्ति देना, मन विजय करें .
दूसरोंकी जयसे पहले, खुदकी जय करें .
हमको मनकी शक्ति देना  ..

भेदभाव अपने दिलसे, साफ कर सकें .
दूसरोंसे भूल हो तो, माफ कर सकें .
झूठसे बचे रहें, सचका दम भरें .
      दूसरोंकी जयसे पहले,

मुश्किलें पडें तो हमपे, इतना कर्म कर .
साथ दें तो धर्मका, चलें तो धर्म पर .
खुदपे हौसला रहे, सचका दम भरें .
      दूसरोंकी जयसे पहले,


मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई
जाके सिर मोर मुकुट मेरो पति सोई
तात मात भ्रात बंधु आपनो न कोई
छांड़ी दई कुलकी कानि कहा करिहै कोई
संतन ढिग बैठि बैठि लोक लाज खोई
चुनरी के किये टूक ओढ़ लीन्ही लोई
मोती मूंगे उतार बनमाला पोई
अंसुवन जल सीचि सीचि प्रेम बेलि बोई
अब तो बेल फैल गई आंनद फल होई

दूध की मथनियां बड़े प्रेम से बिलोई
माखन जब काढ़ि लियो छाछ पिये कोई
भगति देखि राजी हुई जगत देखि रोई
दासी मीरा लाल गिरधर तारो अब मोही

पायो जी मैने  राम रतन धन पायो  
 वस्तु अमोलक दी मेरे सतगुरु, किरपा कर अपनायो
जनम जनम की पूंजी पाई, जग में सभी खोवायो
खरचे ना खूटे, चोर न लूटे, दिन-दिन बढ़त सवायो
सत की नाव खेवटिया सतगुरु, भवसागर तर आयो
 मीरा के प्रभु गिरधर नागर, हरष हरष जस गायो
पायो जी मैने  राम रतन धन पायो  










कभी राम बनके कभी श्याम बनके

चले आना प्रभुजी चले आना....

तुम राम रूप में आना, तुम राम रूप में आना
सीता साथ लेके, धनुष हाथ लेके,
चले आना प्रभुजी चले आना...

तुम श्याम रूप में आना, तुम श्याम रूप में आना,
राधा साथ लेके, मुरली हाथ लेके,
चले आना प्रभुजी चले आना...

तुम शिव के रूप में आना, तुम शिव के रूप में आना..
गौरा साथ लेके , डमरू हाथ लेके,
चले आना प्रभुजी चले आना...

तुम विष्णु रूप में आना, तुम विष्णु रूप में आना,
लक्ष्मी साथ लेके, चक्र हाथ लेके,
चले आना प्रभुजी चले आना...

तुम गणपति रूप में आना, तुम गणपति रूप में आना
रिद्धि साथ लेके, सिद्धि साथ लेके ,
चले आना प्रभुजी चले आना....

कभी राम बनके कभी श्याम बनके

चले आना प्रभुजी चले आना...
 
कभी राम बनके कभी श्याम बनके 
चले आना प्रभुजी चले आना....

तुम राम रूप में आना, तुम राम रूप में आना
सीता साथ लेके, धनुष हाथ लेके,
चले आना प्रभुजी चले आना...

तुम श्याम रूप में आना, तुम श्याम रूप में आना,
राधा साथ लेके, मुरली हाथ लेके,
चले आना प्रभुजी चले आना...

तुम शिव के रूप में आना, तुम शिव के रूप में आना..
गौरा साथ लेके , डमरू हाथ लेके,
चले आना प्रभुजी चले आना...

तुम विष्णु रूप में आना, तुम विष्णु रूप में आना,
लक्ष्मी साथ लेके, चक्र हाथ लेके,
चले आना प्रभुजी चले आना...

तुम गणपति रूप में आना, तुम गणपति रूप में आना
रिद्धि साथ लेके, सिद्धि साथ लेके ,
चले आना प्रभुजी चले आना....

कभी राम बनके कभी श्याम बनके 
                          चले आना प्रभुजी चले आना...