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एस्ट्रो धर्म :



Today Horoscope: आज मेष राशि वालों को पुराने संबंधा को टटोलना पड़ेगा. छवि को लेकर सर्तक शत्रु सक्रिय रहेंगे. वृष राशि वालों को आज गंगा दशहरा पर दान पुण्य के कार्य करने से लाभ मिलेगा. मानसिक तनाव से निजात मिलेगी. मिथुन राशि के जातकों को आज के दिन कोई शुभ समाचार मिल सकता है. करियर को लेकर कुछ अच्छा हो सकता है. जानें अन्य राशियों का राशिफल.

मेष- आज के दिन उन लोगों से संपर्क करिए, जिनसे बहुत दिनों से बात नहीं हुई है. ऑफिशियल कार्यों को देख सुनकर करें, क्योंकि लापरवाही आपकी छवि को खराब कर सकती है. साथ ही किसी भी डॉक्यूमेंट पर बिना पढ़े हस्ताक्षर न करें. व्यवसाय में निवेश करने से पहले अपने अंतर्ज्ञान का पालन करें. हृदय रोग से ग्रसित व्यक्ति अपना रूटीन चेकअप अवश्य कराएं, क्योंकि हृदय से संबंधित समस्या होने की आशंका है. साथ ही बहुत गरिष्ठ भोजन करने से भी बचें. आपका अहंकार घरेलू सौहार्द को प्रभावित कर सकता है. इसलिए कूल रहें. घरेलू मोर्चे पर आप कुछ महत्वपूर्ण निर्णय ले सकते हैं.

वृष- आज के दिन विचारों में नकारात्मकता आ सकती है, इसलिए सकारात्मक सोच रखनी होगी. किसी भी काम में कॉन्फिडेंस कम न होने दें. ऑफिस में फायर सिक्योरिटी सिस्टम पर ध्यान देना होगा, अग्नि दुर्घटना को लेकर सचेत रहें. जो लोग पैतृक व्यापार करते है उन्हें व्यापार से संबंधित कोई भी निर्णय सलाहकारों व बड़ों के साथ विचार करके ही लेना चाहिए. सेहत की बात करें तो ग्रहों की स्थिति अग्नि तत्व को बढ़ा रही है, इसलिए आहार में ठंडी चीजों का सेवन करें, और दिमाग भी ठंडा रखें. जीवनसाथी का प्रतिनिधित्व करने वाले ग्रह तनाव दे सकते हैं,इसलिए उनसे  वैचारिक मतभेद होने की आशंका है.

मिथुन- आज के दिन की शुरुआत महादेव जी की पूजा-अर्चना व जलाभीषेक से करें, जिससे सभी कष्टो का निवारण होगा. ऑफिस में बॉस का सानिध्य प्राप्त होगा साथ ही ऑफिशियल कार्यों को और अच्छे से करने के लिए वह आपको  नई-नई टिप्स भी बता सकते हैं. व्यापार को बढ़ाने के लिए कोई योजना बनानी चाहिए, जिससे व्यापार में लाभ के साथ उनकी आर्थिक स्थिति में भी सुधार होगा. पेट में किसी प्रकार की  दिक्कत हो सकती है इसलिए ध्यान रखें छोटी-सी भी परेशानी को नजरअंदाज न करें. घर के सदस्यों के साथ समय व्यतीत करते हुए प्रफुल्लित वातावरण में रहना आपके लिए अच्छा रहेगा.

कर्क- आज के दिन थोड़ा सजग रहना होगा. क्योंकि आज कोई व्यक्ति आपसे झूठ बोलकर अपना उल्लू सीधा कर सकता है. ग्रहों की स्थिति ऐसी है कि सहयोगियों के ऊपर क्रोध आ सकता लेकिन आपको बहुत कूल रहना है. चिकित्सा से संबंधित जो लोग काम करते हैं उनको आज पर्मार्थी स्वभाव रखना होगा. किसी की मदद भी करनी पड़ेगी. व्यापार को लेकर चिंता हो सकती है साथ ही जमा पूंजी को लेकर भी अनिश्चितता बढ़ेगी. अनावश्यक क्रोध करने से बचें साथ ही जिन लोगों को बी.पी की समस्या है उनको अधिक सचेत रहने की आवश्यकता है. छोटे भाई की तरफ से कुछ तनाव मिल सकता है.

सिंह- आज के दिन आपका दूसरों के प्रति अधिकार पूर्ण व्यवहार रहने वाला है. लेकिन ध्यान रहे आपका अधिकार किसी के लिए परेशानी का कारण न बन जाए. यानी अधिकार उतना ही दिखाना है जितना सामने वाला आपको समझ सके. ऑफिस में कार्य के प्रति आप ऊर्जावान रहेंगे वहीं दूसरी ओर सहयोगियों का पूर्ण सहयोग प्राप्त होगा. टीम को लीड करते हैं तो दिन आपके लिए बेहद महत्वपूर्ण है सबके साथ सामंजस्य बैठाकर चले. व्यापारी छोटे निवेशकों पर धन लगा सकते हैं. स्वास्थ्य के लिए दिन सामान्य रहने वाला है. संतान को  यदि पढ़ाई में कोई दिक्कत है तो उसका समाधान भी आपको ही निकाल कर देना होगा.

कन्या- आज के दिन बेवजह की मानसिक उलझने हो सकती है न चाहते हुए भी जिम्मेदारीयों का भार उठाना पड़ेगा. कैरियर में तकनीकी का प्रयोग उन्नति दिलाने में बहुत सहायक होगा. कर्मक्षेत्र में बॉस के सामने ज्ञान का बखान करना आपको मुश्किलों में डाल सकता है. व्यापारियों को धन के लेन-देन में सावधानी बरतनी होगी, अन्यथा आर्थिक चोट लग सकती है. सेहत में ग्रहीय स्थिति लीवर संबंधित समस्या दे सकती है, इसलिए अधिक मिर्च-मसले वाले भोजन से बचें. वहीं मां के स्वास्थ्य का भी विशेष ध्यान रखना होगा. पारिवारिक वातावरण सुखमय रहने वाला है. बड़े भाई के साथ संबंध प्रगाढ़ होंगे, उनसे संबंध बनाए रखें.

तुला- आज के दिन दूसरों की ऊंचाईयों को देखकर ईर्ष्या की भावना जन्म ले सकती है, जो आपके लिए ठीक नहीं. बॉस की बातों को प्राथमिकता देनी होगी. आपके कठोर परिश्रम को देखते हुए बॉस प्रसन्न रहेंगे. व्यापारियों को धन लाभ होने की संभावना है. विद्यार्थियों के लिए आज आलस्य भरा दिन रहेगा, पढ़ाई में मन न लगे तो बेमन से पढ़ाई करने की आवश्यकता नहीं है. आपकी गिरती सेहत का कारण बिगड़ी दिनचर्या हो सकती है इसका अवलोकन करें और उसे ठीक करने की व्यवस्था बनाएं, जिससे आप स्वस्थ्य रहेंगे. परिवार के साथ संध्या आरती करें  व भगवान को फलों का भोग भी लगा सकते है.

वृश्चिक- आज के दिन  मन में अनावश्यक द्वंद जैसी स्थिति रह सकती है. आज लोगों से ज्यादा अपेक्षाएँ न रखें. नहीं तो यह आपके दुख का कारण बन सकता है. ऑफिशियल कार्यों को बहुत ही तल्लीनता से करना होगा साथ ही कार्यों को री-चेक भी करते चले क्योंकि कार्यों में त्रुटि होना अच्छी बात नहीं. व्यापारी वर्ग जल्दबाजी में कोई निर्णय न लें, साथ ही व्यवसाय में अपेक्षित लाभ न मिलने से निराशा उत्पन्न हो सकती है. स्वास्थ्य की दृष्टि से देखे तो बदलते मौसम के कारण स्वास्थ्य में नरमी रह सकती है. परिवार के लोगों का व्यवहार कुछ कठोर हो सकता है उसे देखकर निराश न हो.

धनु- आज के दिन नकारात्मक ऊर्जा से खुद को दूर रखना है, वहीं किसी बात को लेकर मन में अनावश्यक शंका न पाले. कर्मक्षेत्र में परिस्थितियाँ प्रतिकूल रह सकती है, साथ ही कार्य का अतिरिक्त दबाव भी रहेगा. व्यापार में जो लोग प्रॉपर्टी डीलिंग का काम करते हैं उनकी आज बड़े क्लाइंटो के साथ मीटिंग हो सकती है, जिसका परिणाम सकारात्मक मिलने की संभावना है. सन्तान की शिक्षा में ध्यान देने की आवश्यकता है. युवाओं को कला और संगीत में रुचि जागृत होगी. सेहत में अपने खान-पान पर ध्यान रखें. वहीं माता-पिता की सेहत का भी विशेष ख्याल रखना है. जीवनसाथी के साथ समय व्यतीत करना सुखदायक रहेगा.

मकर- आज के दिन मानसिक तनाव दूर होता दिखाई दे रहा है. ईर्ष्या और द्वेष रखने वाले लोग आपसे दूर रहेंगे.  कर्मक्षेत्र में जो उतार-चढ़ाव चल रहें थे उनमें भी अब कुछ राहत देखने को मिल सकती है. जो लोग पार्टनरशिप में व्यापार करते है उन्हें पार्टनर से ताल-मेल बना कर चलना होगा जिससे व्यापार में लाभ होगा. विद्यार्थियों को ऑनलाइन क्लासेस को गंभीरता से लेना चाहिए, अन्यथा आप अन्य से पिछड़ सकते है. कफ संबंधित रोग आपको परेशान कर सकते है. परिवार के साथ स्वादिष्ट पकवानों का आनंद लेंगे. परिवार की स्थिति अनुकूल रहेगी. विवाह योग्य लोगों का विवाह तय हो सकता है.

कुम्भ- आज के दिन धैर्य और विवेक के द्वारा अपने मन में आने वाले विचारों को फिल्टर करते रहना है. कर्मक्षेत्र में स्थितियां लगभग सामान्य रहने वाली है वहीं दूसरी ओर पिछले किए गए प्रयासों के अच्छे परिणाम मिलने से मन प्रसन्न रहेगा. व्यापार को बढ़ाने के लिए अवसर प्राप्त हो सकते है. साथ ही एक बात का ध्यान रहें की जल्दबाजी में कोई गलत निर्णय नहीं लेना है, जिससे की धन हानि का सामना करना पड़े. विद्यार्थियों को अपने पढ़ाई पर अधिक फोकस करने की आवश्यकता है. स्वास्थ्य सामान्य रहने वाला है. छोटे भाई-बहनों के व्यवहार से प्रसन्न रहेंगे. सुख और विलासिता का भरपूर आनंद उठायेंगे.

मीन- आज के दिन नये कार्यों का शुभारम्भ कर सकते हैं. आईटी और ई-कॉमर्स से जुड़े लोगों को अत्यधिक व्यस्तता रहने वाली है. कर्मक्षेत्र में अपनी किसी पुरानी गलती से आज कुछ सीखने को मिलेगा जो कि आपके सफलता में सहायक साबित होगा. व्यवसाय में गति मन्द रहेगी लेकिन इसको लेकर बिल्कुल भी परेशान नहीं होना है. वहीं उधार लेन-देन से भी दूरी बनाकर रखें. आंखों से संबंधित परेशानियां  हो सकती है अगर आप अधिक देर लैपटॉप व मोबाईल का उपयोग करते है तो थोड़ी-थोड़ी देर में अपने आंखों को ठंडे पानी से धोतें रहना चाहिए. ससुराल पक्ष से कोई शुभ समाचार प्राप्त हो सकता है.
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  • चंद्र पर्वत पर वृत्त की उपस्थिति से व्यक्ति का स्वास्थ्य कमजोर रहता है। हस्‍तरेखा के अनुसार ऐसे व्यक्तियों को जलीय स्रोतों दूर रहना चाहिए। इन स्‍थानों पर ऐसे लोगों के लिए मृत्‍यु योग बनता है। बुध पर्वत पर वृत्त का होना व्यापार की दृष्टि से लाभकारी होता है। ऐसे चिन्ह वाले जातक व्यापार में सफलता अर्जित करते हैं और विलासिता पूर्ण जीवन जीते हैं। पर्वतों के समान ही रेखाओं पर भी वृत्त के चिन्ह मिलते हैं। पर इनका प्रभाव नकारात्मक होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जीवन रेखा पर बना वृत्त का चिन्ह जातक की आंखें कमजोर होने की तरफ संकेत करता है। मस्तिष्क रेखा पर बना वृत्त मानसिक रोगों को जन्म देता है। हृदय रेखा पर उपस्थित वृत्त व्यक्ति के हृदय रोगी होने की भविष्यवाणी करता है।
     
  • हथेली में गुरु पर्वत पर बना वृत्त का चिह्न फलदायी होता है। ऐसे जातक अत्यंत प्रभावशाली होते हैं और अपने प्रयत्नों से सहज ही उच्च पद प्राप्त करने में सफल हो जाते हैं। ऐसे व्यक्तियों को ससुराल से भी विशेष धन की प्राप्ति होती है।
  • शनि पर्वत पर वृत्त की उपस्थिति व्यक्ति के लिए आकस्मिक धन प्राप्ति का योग बनाती है। ऐसे व्यक्तियों की लॉटरी, जुए, सट्टे आदि में विशेष रुचि होती है और इनके माध्यम से धन प्राप्ति के विशेष योग बनते हैं। यदि सूर्य पर्वत पर वृत्त का चिन्ह हो तो वह व्यक्ति उच्च एवं सात्विक विचारों वाला होता है। ऐसा व्यक्ति अपने कर्मों से पूरे विश्व में प्रसिद्धि पाता है।
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भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म में सूर्य को भगवान का दर्जा मिला है। ग्रह विज्ञान के हिसाब से भी सूर्य को सभी ग्रहों से श्रेष्ठ माना गया है। सूर्य ऊर्जा का स्रोत है और अन्‍य ग्रह इसकी परिक्रमा करते हैं। वे इसकी रोशनी प्राप्त करते हैं। सनातन धर्म नें भी इसके महत्व को समझा है और इसिलिए सबसे श्रेष्ठ मानते हुए सूर्य देव की पूजा को कहा गया है। सूर्य को जल अर्पित जाता है। सूर्य को जल अर्पण करने के पीछे धार्मिक कारणों के साथ साथ कुछ वैज्ञानिक तथ्‍य हैं।
  • जिन लोगो की कुंडली मे सूर्य कमजोर होता है या जिनमें आत्मविश्वास की कमी होती है या फिर जो निराशावादी होते है और जिन्हें घर-परिवार में मान-सम्मान की अभिलाषा होती है उनके लिए सूर्य को जल चढाना महत्वपूर्ण माना गया है।
  • सूर्य की किरणों में सात रगों का समावेश होता है जो रंग हम कृत्रिम रोशनी में नही देख पाते वे सभी सूर्य की रोशनी में सपष्ट दिखाई देते हैं। सूर्य की रोशनी के कारण ही हम रंगों की सही पहचान करने में सक्षम होते हैं।
  • माना जाता है कि सुबह जब कोई व्यक्ति सूर्य को जल चढ़ाता है तो सूर्य से निकलने वाली किरणें उसको स्वास्थ्य लाभ देती हैं। सुबह के समय सूरज की जो किरणें निकलती हैं वे शरीर में होने वाले रंगों के असंतुलन को सही करती हैं। सूरज की किरणों में सात रंगों का समावेश होता है। यह रंग 'रंगो के विज्ञान' पर काम करते हैं। माना जाता है कि सुबह के समय सूर्य को जल चढ़ाते समय इन किरणों के प्रभाव से रंग संतुलित हो जाते हैं और साथ ही साथ शरीर में प्रतिरोधात्मक शक्ति बढ़ती है।
  • धार्मिक दृष्टिकोण से देखें तो सूर्य देव को आत्मा का कारक माना गया है। प्रात:काल सूर्य देव के दर्शन से मन को बेहतर कार्य करने की प्रेरणा मिलती है। यह शरीर में स्फूर्ति लाता है। सूर्य प्रकाश का सबसे बड़ा स्रोत है और प्रकाश को सनातन धर्म में सकारात्मक भावों का प्रतीक माना गया है। दुख, तकलीफ और परेशानियों को रात या अंधेरे से जोड़ा गया है। जब सूर्य का उदय होता है तो अंधकार गायब होने लगता है। अर्थात सूर्य के आने से सभी नकारात्मक उर्जा नष्ट हो जाती हैं। यही वजह है सूर्य को श्रेष्ठ ईश्वर का दर्जा दिया गया है।
  • सूर्य को जल चढाने के लिए सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नानादि करके तांबे के लोटे से सूर्य को जल अर्पित करने का विधान है। इस विधि के दौरान जल की धारा में से उगते सूरज को देखना चाहिए इससे धातु और सूर्य कि किरणो का असर आपकी दृष्टि के साथ-साथ आपके मन पर भी पडेगा और आपको सकारात्मक उर्जा का आभास होता रहेगा। सूर्य को जल अर्पित करते वक्त इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए की अर्घ्‍य किया हुआ जल बेकार ना जाए। वो जल किसी वनस्पति में गिरे तो आपको सौभाग्य की प्राप्ति होगी। इसके साथ साथ जल चढाते वक्त सूर्य मंत्र ऊँ सूर्याय नम: का जाप करते रहना चाहिए। सूर्य को जल चढाने का सही वक्त सूर्योदय होता है।
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सनातन धर्म में सभी जीव, जंतुओ और वनस्पतियों को महत्व मिला है। यही कारण है की किसी ना किसी रुप में नदी, पहाड़ जीव और वनस्पतियों को धार्मिक आस्थाओं के साथ जोड़ा गया ताकि लोग इन्‍हें अपने जीवन का हिस्‍सा बनाए रखें। सनातन धर्म के सिद्धांतों में पीपल वृक्ष को सर्वोत्तम माना गया है। पीपल को दैवीय वृक्ष माना गया है। पीपल की पूजा की जाती है। जानिए पीपल से जुड़े कुछ तथ्‍य। 
  • पद्मपुराण में पीपल वृक्ष को भगवान विष्णु का रुप माना गया है। इसी के चलते धर्म के क्षेत्र में पीपल के वृक्ष को दैवीय पेड़ के रुप में मान्यता मिली और सभी विधि-विधानों के साथ इसकी पूजा की जाने लगी। हिंदू धर्म में अनेक अवसरों पर पीपल वृक्ष की पूजा का विधान है और मान्यता यह भी है की सोमवती अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष में भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी का वास होता है। स्कंद पुराण के अनुसार पीपल के मूल में विष्णु, तने में केशव, शाखाओं में नारायण, पत्तो में हरि आदि देव रहते हैं। ऐसे में पीपल वृक्ष की पूजा करने से सभी देव प्रसन्न होते हैं। पीपल में पितरों का निवास भी माना गया है। इसमें सब तीर्थों का निवास होता है इसलिए ज्यादातर संस्कार इसके नीचे कराए जाते हैं।
  • ज्‍योतिष विज्ञान के अनुसार अगर किसी जातक की शनि साढेसाती चल रही हो तो ऐसे वक्त में हर शनिवार पीपल वृक्ष में जल अर्पित करके इसके सात चक्कर लगाने से लाभ होता है। इसके साथ-साथ शाम के समय पीपल के पेड़ की जड़ में दीपक जलाना भी फायदेमंद होता है।
  • हिंदु धर्म मान्यताओं के अनुसार अगर कोई व्यक्ति पीपल के पेड़ के नीचे भगवान शिव की स्थापना करके नित्य नियम से पूजा आराधना करता हो तो उसके समस्‍त कष्‍ट दूर हो जाते हैं।
  • पीपल के वृक्ष की महत्‍ता का पुराणों और अन्‍य धार्मिक ग्रंथों में खूब वर्णन किया गया है। इस वृक्ष की सकारात्मक उर्जा को देखते हुए ऋषि-महात्माओं नें पीपल वृक्ष के नीचे बैठ कर तप किया और ज्ञान अर्जित किया। महात्मा बुद्ध नें भी पीपल के नीचे बैठकर ही जन्म-मृत्यु और संसार के रहस्यों को जाना था।
  • पीपल के वृक्ष का सिर्फ धर्म और पुराणों में नहीं बल्कि विज्ञान में भी काफी महत्व है। प्रकृति विज्ञान के अनुसार पीपल का वृक्ष दिन-रात आक्सीजन छोड़ता है जो हमारे पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण है। इसके अलावा पीपल के पेड़ को अक्षय वृक्ष भी कहा जाता है क्योंकि ये पेड़ कभी भी पत्ते विहीन नही होता। मतलब इसमें एकसाथ पतझड़ नही होती। पत्ते झड़़ते रहते हैं और नए आते रहते हैं। पीपल के वृक्ष की इस खूबी के कारण इसके जीवन-मृत्यु चक्र का घोतक बताया गया है।
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बच्चों के स्वभाव में गुस्सा और जिद्दीपन कभी कभी माता पिता को बड़ी चिंता में डाल देता है। अगर बच्चों के व्यवहार में आए इस बदलाव को शीघ्र ही गंभीरता से नहीं लिया तो आने वाले समय में इसके परिणाम घातक हो सकते हैं। वास्तु में कुछ आसान से उपाय बताए गए हैं जिन्हें अपनाकर हम अपने बच्चों को सही राह पर ला सकते हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में।
ध्यान रखें कि बच्चों के आसपास नकारात्मक ऊर्जा का वास होने के कारण उनके व्यवहार में इस तरह के परिवर्तन आते हैं। घर से नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने के लिए घर में गंगाजल रखें। गंगाजल के प्रभाव से घर से नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाती है। गंगाजल को कभी अंधेरे वाले स्थान पर न रखें। हनुमान जी बल और बुद्धि प्रदान करते हैं। बच्चों को हनुमानजी की उपासना के लिए प्रेरित करें। अगर बच्चा हनुमान चालीसा का पाठ कर सके तो सबसे अच्छा रहेगा। हर मंगलवार और शनिवार बच्चों के हाथों से हनुमानजी को भोग लगवाएं। प्रसाद अर्पित कराएं। बजरंग बली का सिंदूर बच्चे के मस्तक पर लगाएं। अगर बच्चे को नजर लग जाती है तो भी इस उपाय को कर सकते हैं। बच्चों को ज्यादा समय तक नाराज न रहने दें। उनसे बात करने का प्रयास करें। बच्चों को हमेशा अहसास कराएं कि आप उन पर विश्वास करते हैं। बच्चों को रचनात्मक कार्यों में लगाएं। घर में कभी कलह न हो इसका विशेष रूप से ध्यान रखें।
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घर में परिजनों के साथ अगर शारीरिक, मानसिक और आर्थिक परेशानियां बनी रहती हैं तो सावधान हो जाएं। घर में तत्काल सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाने के उपाय करें। घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना हुआ है इसी कारण ऐसी परेशानियां लगातार बनी रहती हैं। वास्तु में कुछ आसान से उपाय बताए गए हैं, जिन्हें अपनाने से हम घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ा सकते हैं और नकारात्मक ऊर्जा को हटा सकते हैं। आइए जानते हैं इन उपायों के बारे में।
घर की दक्षिण दिशा में संगीत के उपकरण रखने से शांति प्राप्त होती है। मानसिक तनाव दूर करने के लिए घर में भगवान श्रीकृष्ण का चित्र जिसमें गोमाता हों लगाना चाहिए। घर के पूजाघर में बांसुरी रखें। समय समय पर घर में अखंड रामायण का पाठ कराएं। घर में पानी की टंकी को समय समय पर साफ करते रहें। पानी की टंकी में चांदी का सिक्का रखें। घर में तुलसी का पौधा होने से कई बीमारियां दूर हो जाती हैं। सूखे हुए फूलों को घर में न रखें। घर में गोल किनारे वाला फर्नीचर शुभ माना जाता है। घर के दरवाजे कभी बाहर की तरफ न खोलें, ऐसा करने से सकारात्मक ऊर्जा बाहर चली जाती है। कभी भी जल को व्यर्थ न बहाएं। यह धन हानि का प्रतीक है। घर में बने मंदिर में रात्रि में शयन से पहले पर्दा अवश्य डालें। रविवार के दिन तुलसी को स्पर्श करना वर्जित है। घर के मुख्य द्वार पर आम के पत्तों का वंदनवार बांध देने से सकारात्मक ऊर्जा प्रवेश करती है। घर में गाय के गोबर से बना कंडा जलाएं और इसमें लोबान, गुग्गल, कर्पूर, देशी घी और चदंन डालकर धुआं करें।
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घर के भीतर कई ऐसी बातें होती हैं जो कि वास्तु के अनुरूप नहीं। न ही कभी इनकी तरफ हमारा ध्यान जाता है और न ही कभी इनके बारे में आमतौर पर सुना जाता है। ऐसी कई बातें हमारे घर में नकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाने का काम करती हैं। आइए जानते हैं वास्तु में बताए गए कुछ आसान से उपायों के बारे में जिनकी सहायता से हम इन दोषों को दूर कर सकते हैं।
घर की छत पर लगी पानी की टंकी को यूं ही किसी भी जगह लगा दिया जाता है, लेकिन हमेशा ध्यान रखें कि पानी के टैंक के ठीक नीचे किसी कमरे में बेड तो नहीं आ रहा। अगर ऐसा हो तो टैंक या बेड को थोड़ा खिसका दें। ओवरहेड टैंक का ऊपरी भाग गोल होना चाहिए। जलसंग्रह का स्थान घर के पश्चिम भाग में शुभ माना जाता है। अगर घर से निकलने वाले व्यर्थ जल का प्रवाह रुक रहा है तो इसे अशुभ माना जाता है। व्यर्थ जल का प्रवाह ठीक से होना चाहिए। घर के किसी नल से पानी का रिसाव नहीं होना चाहिए। पानी का बर्तन रसोईघर के उत्तर-पूर्व या पूर्व में भरकर रखें। रसोई में कभी भी दर्पण नहीं लगाएं। घर को तीन माह से अधिक समय तक खाली न छोड़ें। कभी भी तहखाने को खाली न रखें। बाथरूम और शौचालय के दरवाजे जितना संभव हो उतना बंद रखें।

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बुध की राशि मिथुन और कन्या से जब शनि का गोचर होता है उस समय राशि से सम्बन्ध होने पर यह व्यक्ति को व्यवसाय के क्षेत्र में सफलता दिलाता है। बुध के साथ शुभ सम्बन्ध होने पर शनि व्यक्ति को जनसम्पर्क के क्षेत्र, लेखन एवं व्यापार में कामयाबी दिलाता है। इन ग्रह योग वाले लोग यदि जनसंपर्क, लेखन या व्‍यापार के क्षेत्र में जाते हैं उनमें सफलता हासिल करने के चांस उतने ही अधिक बढ़ जाते हैं। शुक्र की राशि वृष या तुला में शनि उपस्थित हो एवं शुक्र से शनि का किसी प्रकार सम्बन्ध हो तो शनि के वृष या तुला राशि में गोचर के समय अगर व्यक्ति विलासिता एवं सौन्दर्य से सम्बन्धित क्षेत्र में नौकरी करता है।
शनि स्वराशि यानी मकर या कुम्भ में हो तो गोचर में शनि के आने पर व्यक्ति को नौकरी मिलती है अथवा अपना कारोबार शुरू करता है। इस राशि में शनि होने पर व्यक्ति को प्रबंधन के क्षेत्र में सफलता मिलती है। मंगल की राशि मेष अथवा वृश्‍चिक में शनि होने पर मशीनरी, अभियंत्रिकी एवं निर्माण क्षेत्र में कामयाबी मिलती है। मंगल और शनि का गोचन इन क्षेत्रों में लाभ दिलाता है। ऐसे लोग बीटेक, आईटीआई, टेक्‍निशियन आदि के जरिए अपना कॅरियर बना सकते हैं।
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वास्‍तु दोष में आग्नेय दिशा का विशेष दोष माना जाता है। आग्‍नेय दिशा में दोष होने पर व्‍यक्‍ति घर में कई तरह की दिक्‍कतों का सामना करता है। वास्‍तु विशेषज्ञ सुखविंदर सिंह के मुताबिक आग्‍नेय कोण का दोष खत्‍म करने के लिए इस दिशा में लाल रंग का एक बल्ब या एक दीपक इस प्रकार से जलाएं कि वह लगभग एक प्रहर यानी तीन घंटे तक जलता रहे। इसके लिए गणेश जी की मूर्ति स्‍थापित करनी चाहिए। इस दोष निवारण के लिए आग्‍नेय दिशा में मनीप्लांट लगाना भी शुभ माना जाता है। आग्‍नेय दिशा में सूरजमुखी फूल, पालक, तुलसी, गाजर, अदरक, हरी मिर्च, मेथी, हल्दी, पुदीना और करी पत्ता का पौधा भी लगाया जा सकता है।
सुखविंदर सिंह के मुताबिक इस दिशा का दोष करने लिए रेशमी परिधान, वस्त्र, सौंदर्य की वस्तुएं उपहार स्‍वरूप देकर घर की स्त्रियों को देकर हमेशा प्रसन्न रखें। इस दिशा में शुक्र यंत्र लगाना भी अच्‍छा है। इसी तरह दक्षिण दिशा दोष निवारण के लिए घर का भारी से भारी सामान इस दिशा में रखनी चाहिए। साथ में मंगल ग्रह के मंत्रों का दान करना चाहिए। दक्षिण दिशा की दीवार पर लाल रंग का हनुमान जी का चित्र लगाना चाहिए। दक्षिण दिशा की दीवार पर मंगल यंत्र की स्थापना की जानी चाहिए। यदि इस क्षेत्र में खाली जगह हो तो गमले रखने चाहिए। नेत्रत्य दिशा का दोष खत्‍म करने के लिए भारी मूर्तियां भी रखी जा सकती हैं। ऐसे व्‍यक्‍ति को वाणी पर नियंत्रण रखना चाहिए। नेत्रत्‍य दिशा में राहु के मंत्रों का जाप करना चाहिए। चांदी, सोने,या तांबे के सिक्के या नाग-नागिन के जोड़े की पूजा करके इन्‍हें नेत्रत्य कोण की दिशा में दबा दें। साथ ही राहु यंत्र की स्थापना इस दिशा में करनी चाहिए।
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आपने बहुत से लोग देखें होंगे जो बहुत ही डरपोक होते हैं। उनके अंदर जरा सा भी साहस नहीं होता। लेकिन क्‍या आपको मालूम है कि इसके लिए चंद्रमा बहुत हद तक जिम्‍मेदार होता है। यदि व्‍यक्‍ति के हाथों में चंद्र पर्वत सामान्य से अधिक विकसित हो तो वे हद से ज्यादा भावुक होते हैं। छोटी सी बात उन्‍हें झकझोर देती है। ऐसे लोगों के अंदर साहस ना के बराबर होता है औा ये लोग निराशा होकर जल्दी पलायन भी कर जाते हैं।
हस्‍तरेखा विज्ञान में चंद्र ग्रह को इंसान के सबसे करीब माना गया है। हथेली में चंद्रमा शुक्र ग्रह के उल्टी ओर होता है। पं.शिवकुमार शर्मा के अनुसार चंद्र ग्रह सुंदरता एवं भावना का कारक ग्रह भी है। चंद्र पर्वत विकसित हो जाए तो व्‍यक्‍ति भावुक, कल्‍पनाशील हो जाता है। ऐसे लोग प्रकृति प्रेमी, सौंदर्यप्रिय और इंसानी दुनिया से हटकर सपनों की दुनिया में विचरण करने वाले हाते हैं। ऐसे लोग हमेशा सपनों में खोए रहते हैं।
खास बात यह भी है कि इस तरह के लोग जीवन में परेशानियों का सामना नहीं कर पाते और बहुत जल्‍द विचलित हो जाते हैं। ये लोग एकांत माहौल पसन्द करते हैं। कलाकार ,संगीतज्ञ, साहित्यकार और वाचक इस श्रेणी में आते हैं। ऐसे लोग किसी के दबाव में काम करते। स्‍वतंत्रतापूर्वक काम करना ऐसे लोगों को अच्‍छा लगता है।  यदि चंद्र पर्वत का झुकाव शुक्र पर्वत की ओर हो जाए तो व्‍यक्‍ति बेहद कामुक प्रवृत्‍ति का हो जाता है। ऐसा व्‍यक्‍ति अच्‍छे एवं बुरे काम में फर्क नहीं कर पाता। चंद्र पर्वत पर आड़ी-टेड़ी रेखाएं हों तो जातक अपने जीवन में जल यात्रा करता है।
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एक कहावत है कि हाथों की रेखाएं बदली नहीं जा सकती। जो इनमें लिखा है उसे तो भोगना ही पड़ेगा। हस्‍तरेखा विज्ञान में माना जाता है कि हाथों की इन लकीरों में मनुष्‍य के पूरे जीवन का हिसाब लिखा रहता है। व्‍यक्‍ति के जीवन के इन रहस्‍यों को जीवन रेखा से समझा जा सकता है। जीवन रेखा का घेराव अंगूठे के निचले क्षेत्र में होता है। यह शुक्र का क्षेत्र भी माना जाता है। जीवनरेखा तर्जनी और अंगूठे के मध्य से शुरू होकर मणिबंध तक जाती है। इसका फैलाव आर्क की तरह से होता है। ज्‍योतिषाचार्य शिवकुमार शर्मा के मुताबिक जीवनरेखा से बहुत से रहस्‍यों का पता लगाया जा सकता है।
जीवन रेखा से जातक के जीवन और इससे जुड़़ी घटनाओं की जानकारी मिलती है। जीवन रेखा को पढ़ने से व्‍यक्‍ति की आयु और उसके जीवन में रोगों आदि का पता चल पाता है। व्‍यक्‍ति के हाथ में जीवन रेखा लंबी,पतली, साफ और बिना किसी रुकावट के होनी चाहिए। अगर व्‍यक्‍ति के हाथों में जीवन रेखा पर कई जगह छोटी-छोटी रेखाएं क्रॉस कर रही हैं तो यह अच्छी नहीं है।
जीवन रेखा पर अगर कहीं कोई रेखा तारे का निशान बनाए तो इसका मतलब है कि व्‍यक्‍ति को रीढ़ की हड्डी से जुड़ी बीमारियां हो सकती है। जीवन रेखा पर सफेद बिंदु का होना आंखों की समस्‍या का संकेत देता है। जीवनरेखा पर काला धब्बा, तिल या क्रॉस होने का मतलब है कि निकट भविष्‍य में दुर्घटना हो सकती है, लेकिन अगर जीवन रेखा इनको पार कर जाए तो इसका अर्थ है कि जातक जीवन में परेशानियों से उबर जाएगा।
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सूर्य पर्वत व्‍यक्‍ति के जीवन को व्‍यापक स्‍तर पर प्रभावित करता है। प्रकाशमान सूर्य समस्‍त जीव-जगत का आधार है। कुंडली में सूर्य की स्‍थिति पूरे जीवन को प्रभावित करती है। इसी तरह हाथ में सूर्य पर्वत व्‍यक्‍ति के जीवन के बारे में बहुत कुछ बताता है। हाथ में अनामिका उंगली के मूल में सूर्य का स्थान होता है। इस क्षेत्र का उभार जितना अधिक होगा, सूर्य भी उतना ही प्रभावकारी रहेगा।
सूर्य पर्वत का उभार अच्छा और स्पष्ट होने के साथ सरल सूर्य रेखा हो तो व्यक्ति श्रेष्‍ठ प्रशासक, पुलिसकर्मी और सफल उद्यागेपति होता है। यदि ये पर्वत अधिक उभार वाला हो और रेखा कटी या टूटी हो तो व्यक्ति अभिमानी, स्वार्थी, क्रूर, कंजूस और अविवेकी होता है। यदि हथेली में सूर्य पर्वत शनि की ओर झुका हो तो व्यक्ति जज एवं सफल अधिवक्ता होता है। इसी तरह यदि सूर्य पर्वत दूषित हो जाए तो व्‍यक्‍ति अपराधी हो जाता है।
यदि सूर्य तथा शुक्र पर्वत उभार वाले है तो विपरीत लिंग के प्रति शीघ्र एवं स्थायी प्रभाव डालने वाला, धनवान, परोपकारी, सफल प्रशासक, सौंदर्य और विलासिताप्रिय होता है। सूर्य पर्वत पर जाली हो तो गर्व करने वाला, लेकिन कुटिल स्वभाव का होता है। ऐसा व्‍यक्‍ति किसी पर भी विश्वास नहीं करता। तारे का चिह्न होने पर धनहानि होती है, लेकिन प्रसिद्धि अप्रत्याशित रूप से मिलती है। गुणा का चिन्ह हो तो सट्टा या शयेर में धन का नाश हो सकता है। सूर्य पर्वत पर त्रिभुज हो तो उच्च पद की प्राप्ति, प्रतिष्ठा तथा प्रशासनिक लाभ होते हैं। सूर्य पर्वत पर चौकड़ी हो तो सर्वत्र लाभ तथा सफलता की प्राप्ति होती है।
सूर्य पर्वत तथा बुध पर्वत के संयुक्त उभार की स्थिति में योग्यता, चतुराई तथा निर्णय शक्ति अधिक होती है। ऐसा व्‍यक्‍ति श्रेष्ठ वक्ता, सफल व्यापारी या उच्च स्थानों का प्रबंधक होता है। ऐसे व्यक्तियों में धन पाने की असीमित महत्वाकांक्षा होती है। हथेली में सूर्य पर्वत के साथ यदि बृहस्पति का पर्वत भी उन्नत हो तो व्यक्ति विद्वान, मेधावी और धार्मिक विचारों वाला होता है।
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सामुद्रिक शास्त्र को भारतीय ज्योतिष का विशेष भाग माना गया है। सामुद्रिक शासत्र से हम शरीर के विभिन्‍न अंगों की सरंचना को देखकर उसके व्‍यक्‍तित्‍व और भविष्‍य का अनुमान लगाते हैं। इन्‍हीं में शामिल है किसी पुरुष का मस्‍तक। 
  • यदि किसी व्‍यक्ति का माथा या ललाट साफ, सरल और स्‍पष्‍ट रेखा वाला हो तो वह सुखी और दीर्घायु होता है। यदि माथे पर छिन्न-भिन्न रेखा हैं तो वह दुःखी और अल्पायु माना जाता है। ललाट पर बनी उद्धव रेखा, त्रिशूल एवं स्वास्तिक जैसे चिह्न व्‍यक्‍ति के सुखमयी जीवन का इशारा करते हैं। 
  • छोटे मस्‍तक वाला मनुष्‍य के अधिक पुत्रियां होती हैं। ऐसे व्‍यक्‍ति कड़ा परिश्रम करने के बाद ही अपने जीवन का निर्वहन कर पाते हैं। 
  • व्‍यक्‍ति के माथे पर जितनी रेखाएं विद्यमान हों, उसके उतने ही भाई-बहन होने की संभावना रहती है। सामुद्रिक शास्‍त्र में मोटी रेखा भाई और छोटी रेखा बहन का इशारा करती हैं। 
  • यदि व्‍यक्‍ति का माथा नीचे से ऊपर की ओर उठा हुआ जतो वह धैर्यवान, धनवान और मेधावी होता है। ऐसे लोग प्रेम में आगे रहते हैं। वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है। 
  • यदि व्‍यक्‍ति के माथे पर छोटा सा चांद बना हो तो ऐसे व्‍यक्‍ति पर ईश्‍वर की विशेष कृपा बनी रहती है। ऐसे लोग सन्यासी, उपदेशक अथवा योगी होते हैं।
  • जिस व्‍यक्‍ति के माथे पर रेखा नहीं हो तो वह पुरुष धनवान और लंबी आयु वाला होता है। लेकिन यदि ललाट गहरा हो तो वह पुरुष अपराध करने से भी पीछे नहीं हटता। ऐसा व्‍यक्‍ति किसी की हत्‍या भी कर सकता है। 
  • यदि व्‍यक्‍ति का माथा ऊपर से उठा हुआ और नीचे से झुका हो तो ऐसा व्‍यक्‍ति कई स्‍त्रियों से विवाह संबंध बनाने वाला होता है। ऐसे माथे वाले लोग उच्‍च शिक्षा के जरिए उच्‍च पद हासिल करते हैं, लेकिन स्‍वास्‍थ्‍य इनका साथ नहीं देता। 
  • यदि माथा चौड़ा है तो ऐसा व्‍यक्‍ति अधिक पुत्रों वाला होता है। लेकिन वह हमेशा काम धंधों को लेकर परेशान रहता है। ऐसे लोगों की संतान भाग्‍यशाली और मेहनती होती है। 
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राशियों का असर
12 राशियों में से हर व्यक्ति की अलग राशि होती है, जिसकी मदद से व्यक्ति यह जान सकता है कि उसका आज का दिन कैसा होगा? ज्योतिष में ग्रहों की चाल से शुभ और अशुभ घड़ियां बनती हैं, जो हमारे जीवन को प्रभावित करती हैं। अगर आपकी राशि के बारे में आज का दिन अच्छा है, तो आप उसे सेलिब्रेट कर सकते हैं, वहीं अगर आज का दिन आपके लिए खराब है तो आप पंडित जी के दिए गए सुझावों को अपनाकर कुछ अच्छा कर सकते हैं।
आज का पंचांग
दिन: रविवार, ज्येष्ठ मास, शुक्ल पक्ष, नवमी का राशिफल।
आज का राहुकाल: शाम 04:30 बजे से 06:00 बजे तक।
आज का दिशाशूल: पश्चिम।
आज का पर्व एवं त्योहार: शुक्ला नवमी।
विशेष: शुक्र अस्त।
राशिफल
मेष: विरोधी से तनाव मिल सकता है। कोई ऐसी घटना भी हो सकती है, जिससे पारिवारिक वातावरण कलुशित हो। ईश्वर की आराधना करें, कष्ट मिटेंगे।
वृष: संतान के दायित्व की पूर्ति होगी। किया गया प्रयास फलीभूत होगा। उच्च अधिकारी से सहयोग लेने में सफल होंगे। रचनात्मक प्रयास सार्थक होगा।
मिथुन: कोई ऐसी घटना घट सकती है, जिससे आत्मबल में वृद्धि होगी। मन के अज्ञात भय पर नियंत्रण होगा। सकारात्मक सोच रखें। ईश्वर की आराधना में मन लगाएं। 
कर्क: आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। मैत्री संबंध मधुर होगा, लेकिन संतान या शिक्षा के कारण मन खिन्न रहेगा। भौतिक सुख में अच्छी वृद्धि होगी। 
सिंह: रोग और विरोधी बुद्धि कौशल से परास्त होगा। उच्च अधिकारी से सहयोग मिलेगा। किया गया पुरुषार्थ सार्थक होगा। जीवन में गति आएगी।
कन्या: व्यावसायिक गति बढ़ेगी। उच्च अधिकारी या राजनेता से सहयोग भी मिल सकता है। संतान के दायित्व की पूर्ति में सहायक होंगे। आपसी संबंध मधुर होंगे।
तुला: रिश्तों में सुधार होगा, लेकिन पड़ोसी या आधीनस्थ कर्मचारी से तनाव मिल सकता है। पिता या धर्म गुरु से वैचारिक मतभेद होंगे। शांत रहना ही हितकर होगा।
वृश्चिक: आर्थिक स्थिति में किसी सीमा तक सुधार होगा। किया गया पुरुषार्थ सार्थक होगा। दूसरे शहर जाने की योजना को स्थगित कर दें। सचेत रहें।
धनु: महात्वाकांक्षा बढ़ेगी। पुरुषार्थ के काम करें। आर्थिक स्थिति में किसी सीमा तक सुधार होगा, लेकिन स्वास्थ्य की अनदेखी न करें। ईश्वर की आराधना में मन लगाएं।
मकर: धार्मिक प्रवृति में वृद्धि होगी। व्यावसायिक प्रतिष्ठा बढ़ेगी। बुद्धि कौशल से रुका हुआ कार्य संपन्न होगा। रचनात्मक कार्यों में मन लगाएं, सफलता मिलेगी।
कुंभ: रचनात्मक प्रयास फलीभूत होंगे, लेकिन कोई ऐसी बात भी हो सकती है, जो आपको प्रभावित करे। संतान या शिक्षा के कारण चिंतित भी रहेंगे। 
मीन: आपकी राशि से मंगल बारहवें होने से आर्थिक दबाव बनाएगा। किसी भी क्षेत्र में रिस्क न लें। धन हानि की आशंका है। रचनात्मक प्रयास सफल होंगे।
तो मित्रों यह रहा आज का आपका अपना राशिफल। आपका दिन शुभ हो। धन्यवाद।
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एक जून को गंगा दशहरा है। इस दिन साधक गंगा नदी में आस्था की डुबकी लगाते हैं। धार्मिक ग्रंथों में लिखा है कि गंगा दशहरा के दिन गंगा माता धरा पर अवतरित हुई है। इस दिन पितरों को तर्पण करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। चिरकाल में राजा भगीरथ ने अपने पितरों को भी इस दिन मोक्ष दिलाई थी। आइए, गंगा अवतरण की कथा को जानते हैं-


गंगा माता की उत्पत्ति
पौराणिक कथानुसार, चिरकाल में इक्ष्वाकु वंश के राजा सगर की दो पत्नियां थीं, लेकिन दोनों निःसंतान थीं। इसके बाद राजा सगर ने ब्रह्मा जी की कठिन तपस्या की, जिससे ब्रह्मा जी ने प्रसन्न होकर सगर को दो वरदान दिया। इसमें एक वरदान से 60 हजार अभिमानी पुत्र और दूसरे से वंश वृद्धि हेतु संतान की प्राप्ति हुई, लेकिन इंद्र उन बच्चों को कपिल मुनि के आश्रम में छोड़ आए।
जब राजा सगर अपने बच्चों को ढूंढते-ढूंढते कपिल मुनि के आश्रम पहुंचे तो उन्हें अपने बच्चे दिखे। जब वह लेने पहुंचे तो उनके इस कार्य से कपिल मुनि की तपस्या भंग हो गई। इसके बाद कपिल मुनि के शाप से सभी बच्चे जलकर राख हो गए। उस समय राजा सगर ने ब्रह्मा जी का आह्वान कर उपाय बताने को कहा। तब ब्रह्मा जी ने कहा कि इन्हें मोक्ष दिलाने के लिए गंगा को पृथ्वी पर लाना होगा।
कालांतर में राजा सगर ने कठिन तपस्या की लेकिन गंगा को लाने में असफल रहे। इसके बाद राजा भगीरथ ने गंगा माता की कठिन तपस्या की। तब जाकर गंगा माता ने जलधारा की वेग को रोकने का उपाय ढूंढ़ने को कहा।
फिर भगीरथ ने शिव जी की तपस्या की। इससे गंगा के पृथ्वी पर आने का मार्ग मिल गया। भगवान शिव ने गंगा माता को अपनी जटाओं में स्थान दिया। कालांतर में शिव जी की जटाओं से गंगा माता का उद्धभव हुआ, जिससे भगीरथ के वंशजों को मोक्ष की प्राप्ति हुई।
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शनिवार का दिन शनि देव को समर्पित होता है। इस दिन लोग शनि देव की पूजा-उपासना करते हैं। साथ ही हुनमान जी की भी पूजा की जाती है। शनि देव को न्याय का देवता माना जाता है। लोग शनि देव को प्रसन्न करने के लिए शनिवार के दिन सच्ची श्रद्धा और विधिपूर्वक पूजा-पाठ और उपासना करते हैं। हालांकि, शनि देव को प्रसन्न करने के लिए शनिवार के दिन कुछ चीज़े भूलकर नहीं करनी चाहिए। ऐसा करने से शनि देव नाराज हो जाते हैं, जिससे उनके जीवन से सुख और शांति छिन जाती है। अगर आपको इन चीजों के बारे में नहीं पता है तो आइए जानते हैं-
-शनिवार के दिन भूलकर भी तामसी भोजन नहीं करना चाहिए। इस दिन आसुरी प्रवृति से भी बचना चाहिए।
-शनिवार के दिन घर में कोई कलह पैदा न करें। अगर मन में कोई चिंता है तो उसे शनि देव से साझा करें।
-इस दिन किसी विवाद में न फंसे, न ही किसी से कोई विवाद करें। शनिदेव को शांति प्रिय लोग अति प्रिय होते हैं।
-ऐसी मान्यता है कि इस दिन सरसों तेल नहीं खरीदना चाहिए। इससे शनि देव रुष्ट हो जाते हैं।
-लोहे से बनी चीज़ें भी न खरीदें। इससे भी शनि देव नाराज होते हैं।
शनिवार को क्या करें
-इस दिन पूजा जप तप और दान का अति विशेष महत्व है। शनिवार के दिन काले कपड़े, सरसों का तेल, लोहे, उड़द दाल आदि का दान करने से शनि देव प्रसन्न होते हैं। इस दिन गरीबों एवं जरूरतमंदों को अनाज दान देने से शनि देव जल्दी प्रसन्न होते हैं। इस दिन निम्न मंत्र का जाप जरूर करें।
ॐ श्री शनिदेवाय: नमों नमः
ॐ श्री शनिदेवाय: शुभम फलः
ॐ श्री शनिदेवाय: फलः प्राप्ति फलः
ॐ श्री शनिदेवाय: शान्ति भवः
धार्मिक मान्यता है कि इस दिन पीपल वृक्ष को जल का अर्घ्य देना और दीपक जलाना अति शुभ होता है। इससे व्रती की सभी मनोकामनाएं यथाशीघ्र पूरी होती है।
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धार्मिक ग्रंथों में समुद्र मंथन का विस्तार से वर्णन है। ऐसा कहा जाता है कि जब राजा बलि तीनों लोकों के स्वामी बन गए थे। उस समय स्वर्ग के देवता इंद्र सहित सभी देवताओं और ऋषियों ने भगवान विष्णु जी से तीनों लोकों की रक्षा के लिए याचना की। तब भगवान विष्णु जी ने उन्हें समुद्र मंथन करने की युक्ति दी। भगवान नारायण ने कहा कि समुद्र मंथन से अमृत की प्राप्ति होगी, जिसके पान से आप देवता अमर हो जाएंगे। 
कालांतर में क्षीर सागर में वासुकी नाग और मंदार पर्वत की सहायता से समुद्र मंथन किया गया। इस मंथन से 14 रत्न, विष और अमृत प्राप्त हुए थे। भगवान शिव जी ने विष का पान किया तो देवताओं ने अमृत पान किया। इसके बाद दानवों और देवताओं के बीच महासंग्राम हुआ। इस युद्ध में देवताओं को विजय प्राप्त हुई। कालांतर में जिस मंदार पर्वत से समुद्र मंथन हुआ है। वह वर्तमान में बिहार राज्य के बांका जिले में अवस्थित है। मंदार पर्वत के पृथ्वी पर अवस्थित होने की भी अनोखी कथा है। आइए जानते हैं-
चिरकाल में मधु और कैटभ नामक दो दैत्य थे। जो आसुरी प्रवृति के थे। इनके अत्यचार और दुःसाहस से तीनों लोकों में हाहाकार मच गया। इसके बाद भगवान विष्णु जी ने दोनों को वध कर दोनों के धड़ को दो विपरीत दिशा में फेंक दिया। हालांकि, धड़ एकजुट होकर फिर से मधु और कैटभ बन गए और तीनों लोकों में अपना आतंक मचाना शुरू कर दिया।
इसके बाद भगवान विष्णु जी ने आदिशक्ति का आह्वान किया और मां दुर्गा ने दोनों का विध किया। कालांतर में भगवान श्रीहरि विष्णु जी ने मधु और कैटभ को पृथ्वी लोक पर लाकर मंदार पर्वत के नीचे उन्हें दबा दिया, ताकि वह फिर से उत्पन्न न हो सके। तब मधु और कैटभ ने मकर संक्रांति के दिन उनसे दर्शन देने का वरदान मांगा। दानवों के इस वरदान को विष्णु जी ने स्वीकार कर लिया। कालांतर से भगवान नारायण मकर संक्रांति के दिन मंदार पर्वत दानवों को दर्शन देने आते हैं।
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कर्नाटक सरकार ने 1 जून से राज्य के सभी मंदिरों को खोलने का एलान किया है। साथ ही मस्जिद और चर्चों के भी 1 जून से खुलने की पूरी उम्मीद है। इस बारे में कर्नाटक मुज़राई मंत्री कोटा श्रीनिवास पुजारी ने मीडिया से मुखातिब होते हुए कहा कि सरकार ने सभी मंदिरों को 1 जून से खोलने का निर्णय लिया है, जो कि पिछले दो महीने से बंद है। हम कोरोना को हराने में कामयाब होंगे।
इसके लिए श्रद्धालुओं को कोरोना वायरस संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए आवश्यक सावधानियां बरतने की सलाह  दी जाएगी। साथ ही सरकार की तरफ से शारीरिक दूरी और साफ़-सफाई पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। हालांकि, धार्मिक समारोहों और मेले पर पाबंदी जारी रहेगी।
पुजारी ने आगे कहा कि मानक संचालन प्रोटोकॉल संबंधित अधिकारियों से बातचीत के बाद जारी किया जाएगा। राज्य के सभी प्रमुख मंदिर ऑनलाइन टिकट बेच सकते हैं। यह सेवा जल्द ही (1-2 दिन में) शुरू कर दी जाएगी। मीडिया रिपोर्ट की मानें तो इस संबंध में गुरुवार यानि आज कैबिनेट स्तर की मीटिंग हो रही है, जिसमें मस्जिद और चर्चों को खोलने पर विचार-विमर्श किया जा रहा है।
मंदिर मुज़राई ( हिन्दू धर्म के मंदिर और हिन्दू धर्म के कार्य ) प्रबंधन के अंतर्गत आता है। ऐसे में मस्जिदों और चर्चों को खोलने पर अभी फैसले नहीं लिया गया है। वहीं, दूसरी ओर तिरुपति बालाजी मंदिर को खोलने की तैयारी भी जोर शोर पर है।
हालांकि, राज्य सरकार का यह आदेश केंद्र सरकार पर निर्भर है। अगर लॉकडाउन को चरणबद्ध तरीके से बढ़ाया जाता है तो राज्य सरकार का यह आदेश निरस्त हो जाएगा। ऐसे में अब सबकी निगाहें केंद्र सरकार पर टिकी है। गौरतलब है कि लॉकडाउन 4.0 , 31 मई को समाप्त हो रहा है। इसके लिए केंद्रीय स्तर की मीटिंग चल रही है। जल्द ही अगले लॉकडाउन के बारे में फैसला आ सकता है।
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हिंदी पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी मनाई जाती है। इस बार 2 जून को निर्जला एकादशी है। इस दिन साधक भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा एवं व्रत उपासना करते हैं। इस एकादशी का अति विशेष महत्व है। इस व्रत के पुण्य प्रताप से व्रती की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही व्रती को मरणोपरांत मोक्ष की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यता है कि निर्जला एकादशी का व्रत फल सभी एकादशी के समतुल्य होता है।


निर्जला एकादशी पूजा शुभ मुहूर्त 
निर्जला एकादशी 1 जून को दोहपर 2 बजकर 57 मिनट से आरंभ होकर 2 जून को 12 बजकर 04 मिनट पर समाप्त हो रहा है। अतः व्रती इस दिन भगवान श्रीहरि विष्णु जी की पूजा दोपहर 12 बजकर 04 मिनट तक कर सकते हैं। 
निर्जला एकादशी पूजा विधि 
व्रती गंगा दशहरा के दिन से तामसी भोजन का त्याग कर दें। साथ ही लहसुन और प्याज मुक्त भोजन ग्रहण करें। रात में भूमि पर शयन करें। अगले दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सबसे पहले भगवान श्रीहरि विष्णु जी का स्मरण करें। इसके पश्चात नित्य कर्मों से निवृत होकर गंगाजल युक्त पानी से स्नान ध्यान करें। अब आमचन कर व्रत संकल्प लें। फिर पीला वस्त्र (कपड़े) पहनें। इसके बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें।
तदोपरांत, भगवान श्रीहरि विष्णु जी की पूजा पीले पुष्प, फल, अक्षत, दूर्वा, चंदन आदि से करें। इसके लिए सबसे पहले षोडशोपचार करें। इस समय ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें। अब निर्जला एकादशी की कथा का पाठ करें। अंत में आरती-अर्चना करें। इस दिन निर्जला उपवास रखने का विधान है। इसलिए अपनी सेहत के अनुसार व्रत करें। दिन भर निर्जला उपवास रखें। संध्या बेला में आरती-अर्चना के बाद फलाहार करें। अगले दिन नित्य दिनों की तरह पूजा कर व्रत खोल पहले ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा देने के बाद भोजन ग्रहण करें।
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हिन्दू धर्म में मुंडन का विधान है। यह सोलह मुख्य संस्कारों में आठवां संस्कार है। इस संस्कार में शिशु के सिर से बाल हटाए जाते हैं। यह संस्कार एक साल के बाद किया जाता है। यह संस्कार चूड़ाकर्म के नाम से भी जाना जाता है। इस संस्कार के पहले अन्नप्राशन संस्कार होता है, जिसमें शिशु को अन्न खिलाया जाता है। हालांकि, इस संस्कार को लेकर लोगों के मन में कल्मष ( सवाल ) पैदा होने लगे हैं कि क्या यह जरूरी है? अगर आपके मन में भी मुंडन संस्कार को लेकर कोई सवाल है तो आइए जानते हैं कि मुंडन के वैज्ञानिक ( शारीरिक ) और धार्मिक लाभ क्या हैं-
डॉक्टर हमेशा शिशुओं को सुबह-सुबह धूप में नंगे बिठाने या लिटाने की सलाह देते हैं। इस बारे में उनका कहना होता है कि इससे शिशुओं को विटामिन डी प्राप्त होता है, जो कि उनकी सेहत के लिए बहुत जरूरी है। अगर शिशु के सिर से बाल हटा दिए जाए तो उन्हें विटामिन डी अधिक मात्रा में प्राप्त होता है। इसके साथ ही डॉक्टर का कहना है कि मुंडन करने से बालों का विकास सही से होता है।
जबकि धार्मिक मान्यता है कि हिन्दू धर्म में 84 लाख योनियों के बाद आत्मा को मानव तन प्राप्त होता है। ऐसा माना जाता है कि प्रत्येक योनी का मानव जन्म पर अपना प्रभाव पड़ता है। इन प्रभावों से शिशु को बचाने के लिए मुंडन किया जाता है।
इस संस्कार को करने से शिशु को पिछली योनियों से मुक्ति मिल जाती है और शिशु का शरीर शुद्ध हो जाता है। कुछ जानकारों का ऐसा भी कहना है कि मुंडन करने से शिशु के मस्तिष्क का विकास सही ढंग से होता है। मुंडन संस्कार में कुछ रीति-रिवाजों को पूरा करने के बाद शिशु के सिर से बाल हटाए जाते हैं। इसलिए यह संस्कार किया जाता है।