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एस्ट्रो धर्म :



Today Horoscope: आज मेष राशि वालों को पुराने संबंधा को टटोलना पड़ेगा. छवि को लेकर सर्तक शत्रु सक्रिय रहेंगे. वृष राशि वालों को आज गंगा दशहरा पर दान पुण्य के कार्य करने से लाभ मिलेगा. मानसिक तनाव से निजात मिलेगी. मिथुन राशि के जातकों को आज के दिन कोई शुभ समाचार मिल सकता है. करियर को लेकर कुछ अच्छा हो सकता है. जानें अन्य राशियों का राशिफल.

मेष- आज के दिन उन लोगों से संपर्क करिए, जिनसे बहुत दिनों से बात नहीं हुई है. ऑफिशियल कार्यों को देख सुनकर करें, क्योंकि लापरवाही आपकी छवि को खराब कर सकती है. साथ ही किसी भी डॉक्यूमेंट पर बिना पढ़े हस्ताक्षर न करें. व्यवसाय में निवेश करने से पहले अपने अंतर्ज्ञान का पालन करें. हृदय रोग से ग्रसित व्यक्ति अपना रूटीन चेकअप अवश्य कराएं, क्योंकि हृदय से संबंधित समस्या होने की आशंका है. साथ ही बहुत गरिष्ठ भोजन करने से भी बचें. आपका अहंकार घरेलू सौहार्द को प्रभावित कर सकता है. इसलिए कूल रहें. घरेलू मोर्चे पर आप कुछ महत्वपूर्ण निर्णय ले सकते हैं.

वृष- आज के दिन विचारों में नकारात्मकता आ सकती है, इसलिए सकारात्मक सोच रखनी होगी. किसी भी काम में कॉन्फिडेंस कम न होने दें. ऑफिस में फायर सिक्योरिटी सिस्टम पर ध्यान देना होगा, अग्नि दुर्घटना को लेकर सचेत रहें. जो लोग पैतृक व्यापार करते है उन्हें व्यापार से संबंधित कोई भी निर्णय सलाहकारों व बड़ों के साथ विचार करके ही लेना चाहिए. सेहत की बात करें तो ग्रहों की स्थिति अग्नि तत्व को बढ़ा रही है, इसलिए आहार में ठंडी चीजों का सेवन करें, और दिमाग भी ठंडा रखें. जीवनसाथी का प्रतिनिधित्व करने वाले ग्रह तनाव दे सकते हैं,इसलिए उनसे  वैचारिक मतभेद होने की आशंका है.

मिथुन- आज के दिन की शुरुआत महादेव जी की पूजा-अर्चना व जलाभीषेक से करें, जिससे सभी कष्टो का निवारण होगा. ऑफिस में बॉस का सानिध्य प्राप्त होगा साथ ही ऑफिशियल कार्यों को और अच्छे से करने के लिए वह आपको  नई-नई टिप्स भी बता सकते हैं. व्यापार को बढ़ाने के लिए कोई योजना बनानी चाहिए, जिससे व्यापार में लाभ के साथ उनकी आर्थिक स्थिति में भी सुधार होगा. पेट में किसी प्रकार की  दिक्कत हो सकती है इसलिए ध्यान रखें छोटी-सी भी परेशानी को नजरअंदाज न करें. घर के सदस्यों के साथ समय व्यतीत करते हुए प्रफुल्लित वातावरण में रहना आपके लिए अच्छा रहेगा.

कर्क- आज के दिन थोड़ा सजग रहना होगा. क्योंकि आज कोई व्यक्ति आपसे झूठ बोलकर अपना उल्लू सीधा कर सकता है. ग्रहों की स्थिति ऐसी है कि सहयोगियों के ऊपर क्रोध आ सकता लेकिन आपको बहुत कूल रहना है. चिकित्सा से संबंधित जो लोग काम करते हैं उनको आज पर्मार्थी स्वभाव रखना होगा. किसी की मदद भी करनी पड़ेगी. व्यापार को लेकर चिंता हो सकती है साथ ही जमा पूंजी को लेकर भी अनिश्चितता बढ़ेगी. अनावश्यक क्रोध करने से बचें साथ ही जिन लोगों को बी.पी की समस्या है उनको अधिक सचेत रहने की आवश्यकता है. छोटे भाई की तरफ से कुछ तनाव मिल सकता है.

सिंह- आज के दिन आपका दूसरों के प्रति अधिकार पूर्ण व्यवहार रहने वाला है. लेकिन ध्यान रहे आपका अधिकार किसी के लिए परेशानी का कारण न बन जाए. यानी अधिकार उतना ही दिखाना है जितना सामने वाला आपको समझ सके. ऑफिस में कार्य के प्रति आप ऊर्जावान रहेंगे वहीं दूसरी ओर सहयोगियों का पूर्ण सहयोग प्राप्त होगा. टीम को लीड करते हैं तो दिन आपके लिए बेहद महत्वपूर्ण है सबके साथ सामंजस्य बैठाकर चले. व्यापारी छोटे निवेशकों पर धन लगा सकते हैं. स्वास्थ्य के लिए दिन सामान्य रहने वाला है. संतान को  यदि पढ़ाई में कोई दिक्कत है तो उसका समाधान भी आपको ही निकाल कर देना होगा.

कन्या- आज के दिन बेवजह की मानसिक उलझने हो सकती है न चाहते हुए भी जिम्मेदारीयों का भार उठाना पड़ेगा. कैरियर में तकनीकी का प्रयोग उन्नति दिलाने में बहुत सहायक होगा. कर्मक्षेत्र में बॉस के सामने ज्ञान का बखान करना आपको मुश्किलों में डाल सकता है. व्यापारियों को धन के लेन-देन में सावधानी बरतनी होगी, अन्यथा आर्थिक चोट लग सकती है. सेहत में ग्रहीय स्थिति लीवर संबंधित समस्या दे सकती है, इसलिए अधिक मिर्च-मसले वाले भोजन से बचें. वहीं मां के स्वास्थ्य का भी विशेष ध्यान रखना होगा. पारिवारिक वातावरण सुखमय रहने वाला है. बड़े भाई के साथ संबंध प्रगाढ़ होंगे, उनसे संबंध बनाए रखें.

तुला- आज के दिन दूसरों की ऊंचाईयों को देखकर ईर्ष्या की भावना जन्म ले सकती है, जो आपके लिए ठीक नहीं. बॉस की बातों को प्राथमिकता देनी होगी. आपके कठोर परिश्रम को देखते हुए बॉस प्रसन्न रहेंगे. व्यापारियों को धन लाभ होने की संभावना है. विद्यार्थियों के लिए आज आलस्य भरा दिन रहेगा, पढ़ाई में मन न लगे तो बेमन से पढ़ाई करने की आवश्यकता नहीं है. आपकी गिरती सेहत का कारण बिगड़ी दिनचर्या हो सकती है इसका अवलोकन करें और उसे ठीक करने की व्यवस्था बनाएं, जिससे आप स्वस्थ्य रहेंगे. परिवार के साथ संध्या आरती करें  व भगवान को फलों का भोग भी लगा सकते है.

वृश्चिक- आज के दिन  मन में अनावश्यक द्वंद जैसी स्थिति रह सकती है. आज लोगों से ज्यादा अपेक्षाएँ न रखें. नहीं तो यह आपके दुख का कारण बन सकता है. ऑफिशियल कार्यों को बहुत ही तल्लीनता से करना होगा साथ ही कार्यों को री-चेक भी करते चले क्योंकि कार्यों में त्रुटि होना अच्छी बात नहीं. व्यापारी वर्ग जल्दबाजी में कोई निर्णय न लें, साथ ही व्यवसाय में अपेक्षित लाभ न मिलने से निराशा उत्पन्न हो सकती है. स्वास्थ्य की दृष्टि से देखे तो बदलते मौसम के कारण स्वास्थ्य में नरमी रह सकती है. परिवार के लोगों का व्यवहार कुछ कठोर हो सकता है उसे देखकर निराश न हो.

धनु- आज के दिन नकारात्मक ऊर्जा से खुद को दूर रखना है, वहीं किसी बात को लेकर मन में अनावश्यक शंका न पाले. कर्मक्षेत्र में परिस्थितियाँ प्रतिकूल रह सकती है, साथ ही कार्य का अतिरिक्त दबाव भी रहेगा. व्यापार में जो लोग प्रॉपर्टी डीलिंग का काम करते हैं उनकी आज बड़े क्लाइंटो के साथ मीटिंग हो सकती है, जिसका परिणाम सकारात्मक मिलने की संभावना है. सन्तान की शिक्षा में ध्यान देने की आवश्यकता है. युवाओं को कला और संगीत में रुचि जागृत होगी. सेहत में अपने खान-पान पर ध्यान रखें. वहीं माता-पिता की सेहत का भी विशेष ख्याल रखना है. जीवनसाथी के साथ समय व्यतीत करना सुखदायक रहेगा.

मकर- आज के दिन मानसिक तनाव दूर होता दिखाई दे रहा है. ईर्ष्या और द्वेष रखने वाले लोग आपसे दूर रहेंगे.  कर्मक्षेत्र में जो उतार-चढ़ाव चल रहें थे उनमें भी अब कुछ राहत देखने को मिल सकती है. जो लोग पार्टनरशिप में व्यापार करते है उन्हें पार्टनर से ताल-मेल बना कर चलना होगा जिससे व्यापार में लाभ होगा. विद्यार्थियों को ऑनलाइन क्लासेस को गंभीरता से लेना चाहिए, अन्यथा आप अन्य से पिछड़ सकते है. कफ संबंधित रोग आपको परेशान कर सकते है. परिवार के साथ स्वादिष्ट पकवानों का आनंद लेंगे. परिवार की स्थिति अनुकूल रहेगी. विवाह योग्य लोगों का विवाह तय हो सकता है.

कुम्भ- आज के दिन धैर्य और विवेक के द्वारा अपने मन में आने वाले विचारों को फिल्टर करते रहना है. कर्मक्षेत्र में स्थितियां लगभग सामान्य रहने वाली है वहीं दूसरी ओर पिछले किए गए प्रयासों के अच्छे परिणाम मिलने से मन प्रसन्न रहेगा. व्यापार को बढ़ाने के लिए अवसर प्राप्त हो सकते है. साथ ही एक बात का ध्यान रहें की जल्दबाजी में कोई गलत निर्णय नहीं लेना है, जिससे की धन हानि का सामना करना पड़े. विद्यार्थियों को अपने पढ़ाई पर अधिक फोकस करने की आवश्यकता है. स्वास्थ्य सामान्य रहने वाला है. छोटे भाई-बहनों के व्यवहार से प्रसन्न रहेंगे. सुख और विलासिता का भरपूर आनंद उठायेंगे.

मीन- आज के दिन नये कार्यों का शुभारम्भ कर सकते हैं. आईटी और ई-कॉमर्स से जुड़े लोगों को अत्यधिक व्यस्तता रहने वाली है. कर्मक्षेत्र में अपनी किसी पुरानी गलती से आज कुछ सीखने को मिलेगा जो कि आपके सफलता में सहायक साबित होगा. व्यवसाय में गति मन्द रहेगी लेकिन इसको लेकर बिल्कुल भी परेशान नहीं होना है. वहीं उधार लेन-देन से भी दूरी बनाकर रखें. आंखों से संबंधित परेशानियां  हो सकती है अगर आप अधिक देर लैपटॉप व मोबाईल का उपयोग करते है तो थोड़ी-थोड़ी देर में अपने आंखों को ठंडे पानी से धोतें रहना चाहिए. ससुराल पक्ष से कोई शुभ समाचार प्राप्त हो सकता है.
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भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म में सूर्य को भगवान का दर्जा मिला है। ग्रह विज्ञान के हिसाब से भी सूर्य को सभी ग्रहों से श्रेष्ठ माना गया है। सूर्य ऊर्जा का स्रोत है और अन्‍य ग्रह इसकी परिक्रमा करते हैं। वे इसकी रोशनी प्राप्त करते हैं। सनातन धर्म नें भी इसके महत्व को समझा है और इसिलिए सबसे श्रेष्ठ मानते हुए सूर्य देव की पूजा को कहा गया है। सूर्य को जल अर्पित जाता है। सूर्य को जल अर्पण करने के पीछे धार्मिक कारणों के साथ साथ कुछ वैज्ञानिक तथ्‍य हैं।
  • जिन लोगो की कुंडली मे सूर्य कमजोर होता है या जिनमें आत्मविश्वास की कमी होती है या फिर जो निराशावादी होते है और जिन्हें घर-परिवार में मान-सम्मान की अभिलाषा होती है उनके लिए सूर्य को जल चढाना महत्वपूर्ण माना गया है।
  • सूर्य की किरणों में सात रगों का समावेश होता है जो रंग हम कृत्रिम रोशनी में नही देख पाते वे सभी सूर्य की रोशनी में सपष्ट दिखाई देते हैं। सूर्य की रोशनी के कारण ही हम रंगों की सही पहचान करने में सक्षम होते हैं।
  • माना जाता है कि सुबह जब कोई व्यक्ति सूर्य को जल चढ़ाता है तो सूर्य से निकलने वाली किरणें उसको स्वास्थ्य लाभ देती हैं। सुबह के समय सूरज की जो किरणें निकलती हैं वे शरीर में होने वाले रंगों के असंतुलन को सही करती हैं। सूरज की किरणों में सात रंगों का समावेश होता है। यह रंग 'रंगो के विज्ञान' पर काम करते हैं। माना जाता है कि सुबह के समय सूर्य को जल चढ़ाते समय इन किरणों के प्रभाव से रंग संतुलित हो जाते हैं और साथ ही साथ शरीर में प्रतिरोधात्मक शक्ति बढ़ती है।
  • धार्मिक दृष्टिकोण से देखें तो सूर्य देव को आत्मा का कारक माना गया है। प्रात:काल सूर्य देव के दर्शन से मन को बेहतर कार्य करने की प्रेरणा मिलती है। यह शरीर में स्फूर्ति लाता है। सूर्य प्रकाश का सबसे बड़ा स्रोत है और प्रकाश को सनातन धर्म में सकारात्मक भावों का प्रतीक माना गया है। दुख, तकलीफ और परेशानियों को रात या अंधेरे से जोड़ा गया है। जब सूर्य का उदय होता है तो अंधकार गायब होने लगता है। अर्थात सूर्य के आने से सभी नकारात्मक उर्जा नष्ट हो जाती हैं। यही वजह है सूर्य को श्रेष्ठ ईश्वर का दर्जा दिया गया है।
  • सूर्य को जल चढाने के लिए सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नानादि करके तांबे के लोटे से सूर्य को जल अर्पित करने का विधान है। इस विधि के दौरान जल की धारा में से उगते सूरज को देखना चाहिए इससे धातु और सूर्य कि किरणो का असर आपकी दृष्टि के साथ-साथ आपके मन पर भी पडेगा और आपको सकारात्मक उर्जा का आभास होता रहेगा। सूर्य को जल अर्पित करते वक्त इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए की अर्घ्‍य किया हुआ जल बेकार ना जाए। वो जल किसी वनस्पति में गिरे तो आपको सौभाग्य की प्राप्ति होगी। इसके साथ साथ जल चढाते वक्त सूर्य मंत्र ऊँ सूर्याय नम: का जाप करते रहना चाहिए। सूर्य को जल चढाने का सही वक्त सूर्योदय होता है।
एस्ट्रो धर्म :



सनातन धर्म में सभी जीव, जंतुओ और वनस्पतियों को महत्व मिला है। यही कारण है की किसी ना किसी रुप में नदी, पहाड़ जीव और वनस्पतियों को धार्मिक आस्थाओं के साथ जोड़ा गया ताकि लोग इन्‍हें अपने जीवन का हिस्‍सा बनाए रखें। सनातन धर्म के सिद्धांतों में पीपल वृक्ष को सर्वोत्तम माना गया है। पीपल को दैवीय वृक्ष माना गया है। पीपल की पूजा की जाती है। जानिए पीपल से जुड़े कुछ तथ्‍य। 
  • पद्मपुराण में पीपल वृक्ष को भगवान विष्णु का रुप माना गया है। इसी के चलते धर्म के क्षेत्र में पीपल के वृक्ष को दैवीय पेड़ के रुप में मान्यता मिली और सभी विधि-विधानों के साथ इसकी पूजा की जाने लगी। हिंदू धर्म में अनेक अवसरों पर पीपल वृक्ष की पूजा का विधान है और मान्यता यह भी है की सोमवती अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष में भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी का वास होता है। स्कंद पुराण के अनुसार पीपल के मूल में विष्णु, तने में केशव, शाखाओं में नारायण, पत्तो में हरि आदि देव रहते हैं। ऐसे में पीपल वृक्ष की पूजा करने से सभी देव प्रसन्न होते हैं। पीपल में पितरों का निवास भी माना गया है। इसमें सब तीर्थों का निवास होता है इसलिए ज्यादातर संस्कार इसके नीचे कराए जाते हैं।
  • ज्‍योतिष विज्ञान के अनुसार अगर किसी जातक की शनि साढेसाती चल रही हो तो ऐसे वक्त में हर शनिवार पीपल वृक्ष में जल अर्पित करके इसके सात चक्कर लगाने से लाभ होता है। इसके साथ-साथ शाम के समय पीपल के पेड़ की जड़ में दीपक जलाना भी फायदेमंद होता है।
  • हिंदु धर्म मान्यताओं के अनुसार अगर कोई व्यक्ति पीपल के पेड़ के नीचे भगवान शिव की स्थापना करके नित्य नियम से पूजा आराधना करता हो तो उसके समस्‍त कष्‍ट दूर हो जाते हैं।
  • पीपल के वृक्ष की महत्‍ता का पुराणों और अन्‍य धार्मिक ग्रंथों में खूब वर्णन किया गया है। इस वृक्ष की सकारात्मक उर्जा को देखते हुए ऋषि-महात्माओं नें पीपल वृक्ष के नीचे बैठ कर तप किया और ज्ञान अर्जित किया। महात्मा बुद्ध नें भी पीपल के नीचे बैठकर ही जन्म-मृत्यु और संसार के रहस्यों को जाना था।
  • पीपल के वृक्ष का सिर्फ धर्म और पुराणों में नहीं बल्कि विज्ञान में भी काफी महत्व है। प्रकृति विज्ञान के अनुसार पीपल का वृक्ष दिन-रात आक्सीजन छोड़ता है जो हमारे पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण है। इसके अलावा पीपल के पेड़ को अक्षय वृक्ष भी कहा जाता है क्योंकि ये पेड़ कभी भी पत्ते विहीन नही होता। मतलब इसमें एकसाथ पतझड़ नही होती। पत्ते झड़़ते रहते हैं और नए आते रहते हैं। पीपल के वृक्ष की इस खूबी के कारण इसके जीवन-मृत्यु चक्र का घोतक बताया गया है।
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बच्चों के स्वभाव में गुस्सा और जिद्दीपन कभी कभी माता पिता को बड़ी चिंता में डाल देता है। अगर बच्चों के व्यवहार में आए इस बदलाव को शीघ्र ही गंभीरता से नहीं लिया तो आने वाले समय में इसके परिणाम घातक हो सकते हैं। वास्तु में कुछ आसान से उपाय बताए गए हैं जिन्हें अपनाकर हम अपने बच्चों को सही राह पर ला सकते हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में।
ध्यान रखें कि बच्चों के आसपास नकारात्मक ऊर्जा का वास होने के कारण उनके व्यवहार में इस तरह के परिवर्तन आते हैं। घर से नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने के लिए घर में गंगाजल रखें। गंगाजल के प्रभाव से घर से नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाती है। गंगाजल को कभी अंधेरे वाले स्थान पर न रखें। हनुमान जी बल और बुद्धि प्रदान करते हैं। बच्चों को हनुमानजी की उपासना के लिए प्रेरित करें। अगर बच्चा हनुमान चालीसा का पाठ कर सके तो सबसे अच्छा रहेगा। हर मंगलवार और शनिवार बच्चों के हाथों से हनुमानजी को भोग लगवाएं। प्रसाद अर्पित कराएं। बजरंग बली का सिंदूर बच्चे के मस्तक पर लगाएं। अगर बच्चे को नजर लग जाती है तो भी इस उपाय को कर सकते हैं। बच्चों को ज्यादा समय तक नाराज न रहने दें। उनसे बात करने का प्रयास करें। बच्चों को हमेशा अहसास कराएं कि आप उन पर विश्वास करते हैं। बच्चों को रचनात्मक कार्यों में लगाएं। घर में कभी कलह न हो इसका विशेष रूप से ध्यान रखें।
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बुध की राशि मिथुन और कन्या से जब शनि का गोचर होता है उस समय राशि से सम्बन्ध होने पर यह व्यक्ति को व्यवसाय के क्षेत्र में सफलता दिलाता है। बुध के साथ शुभ सम्बन्ध होने पर शनि व्यक्ति को जनसम्पर्क के क्षेत्र, लेखन एवं व्यापार में कामयाबी दिलाता है। इन ग्रह योग वाले लोग यदि जनसंपर्क, लेखन या व्‍यापार के क्षेत्र में जाते हैं उनमें सफलता हासिल करने के चांस उतने ही अधिक बढ़ जाते हैं। शुक्र की राशि वृष या तुला में शनि उपस्थित हो एवं शुक्र से शनि का किसी प्रकार सम्बन्ध हो तो शनि के वृष या तुला राशि में गोचर के समय अगर व्यक्ति विलासिता एवं सौन्दर्य से सम्बन्धित क्षेत्र में नौकरी करता है।
शनि स्वराशि यानी मकर या कुम्भ में हो तो गोचर में शनि के आने पर व्यक्ति को नौकरी मिलती है अथवा अपना कारोबार शुरू करता है। इस राशि में शनि होने पर व्यक्ति को प्रबंधन के क्षेत्र में सफलता मिलती है। मंगल की राशि मेष अथवा वृश्‍चिक में शनि होने पर मशीनरी, अभियंत्रिकी एवं निर्माण क्षेत्र में कामयाबी मिलती है। मंगल और शनि का गोचन इन क्षेत्रों में लाभ दिलाता है। ऐसे लोग बीटेक, आईटीआई, टेक्‍निशियन आदि के जरिए अपना कॅरियर बना सकते हैं।
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वास्‍तु दोष में आग्नेय दिशा का विशेष दोष माना जाता है। आग्‍नेय दिशा में दोष होने पर व्‍यक्‍ति घर में कई तरह की दिक्‍कतों का सामना करता है। वास्‍तु विशेषज्ञ सुखविंदर सिंह के मुताबिक आग्‍नेय कोण का दोष खत्‍म करने के लिए इस दिशा में लाल रंग का एक बल्ब या एक दीपक इस प्रकार से जलाएं कि वह लगभग एक प्रहर यानी तीन घंटे तक जलता रहे। इसके लिए गणेश जी की मूर्ति स्‍थापित करनी चाहिए। इस दोष निवारण के लिए आग्‍नेय दिशा में मनीप्लांट लगाना भी शुभ माना जाता है। आग्‍नेय दिशा में सूरजमुखी फूल, पालक, तुलसी, गाजर, अदरक, हरी मिर्च, मेथी, हल्दी, पुदीना और करी पत्ता का पौधा भी लगाया जा सकता है।
सुखविंदर सिंह के मुताबिक इस दिशा का दोष करने लिए रेशमी परिधान, वस्त्र, सौंदर्य की वस्तुएं उपहार स्‍वरूप देकर घर की स्त्रियों को देकर हमेशा प्रसन्न रखें। इस दिशा में शुक्र यंत्र लगाना भी अच्‍छा है। इसी तरह दक्षिण दिशा दोष निवारण के लिए घर का भारी से भारी सामान इस दिशा में रखनी चाहिए। साथ में मंगल ग्रह के मंत्रों का दान करना चाहिए। दक्षिण दिशा की दीवार पर लाल रंग का हनुमान जी का चित्र लगाना चाहिए। दक्षिण दिशा की दीवार पर मंगल यंत्र की स्थापना की जानी चाहिए। यदि इस क्षेत्र में खाली जगह हो तो गमले रखने चाहिए। नेत्रत्य दिशा का दोष खत्‍म करने के लिए भारी मूर्तियां भी रखी जा सकती हैं। ऐसे व्‍यक्‍ति को वाणी पर नियंत्रण रखना चाहिए। नेत्रत्‍य दिशा में राहु के मंत्रों का जाप करना चाहिए। चांदी, सोने,या तांबे के सिक्के या नाग-नागिन के जोड़े की पूजा करके इन्‍हें नेत्रत्य कोण की दिशा में दबा दें। साथ ही राहु यंत्र की स्थापना इस दिशा में करनी चाहिए।
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आपने बहुत से लोग देखें होंगे जो बहुत ही डरपोक होते हैं। उनके अंदर जरा सा भी साहस नहीं होता। लेकिन क्‍या आपको मालूम है कि इसके लिए चंद्रमा बहुत हद तक जिम्‍मेदार होता है। यदि व्‍यक्‍ति के हाथों में चंद्र पर्वत सामान्य से अधिक विकसित हो तो वे हद से ज्यादा भावुक होते हैं। छोटी सी बात उन्‍हें झकझोर देती है। ऐसे लोगों के अंदर साहस ना के बराबर होता है औा ये लोग निराशा होकर जल्दी पलायन भी कर जाते हैं।
हस्‍तरेखा विज्ञान में चंद्र ग्रह को इंसान के सबसे करीब माना गया है। हथेली में चंद्रमा शुक्र ग्रह के उल्टी ओर होता है। पं.शिवकुमार शर्मा के अनुसार चंद्र ग्रह सुंदरता एवं भावना का कारक ग्रह भी है। चंद्र पर्वत विकसित हो जाए तो व्‍यक्‍ति भावुक, कल्‍पनाशील हो जाता है। ऐसे लोग प्रकृति प्रेमी, सौंदर्यप्रिय और इंसानी दुनिया से हटकर सपनों की दुनिया में विचरण करने वाले हाते हैं। ऐसे लोग हमेशा सपनों में खोए रहते हैं।
खास बात यह भी है कि इस तरह के लोग जीवन में परेशानियों का सामना नहीं कर पाते और बहुत जल्‍द विचलित हो जाते हैं। ये लोग एकांत माहौल पसन्द करते हैं। कलाकार ,संगीतज्ञ, साहित्यकार और वाचक इस श्रेणी में आते हैं। ऐसे लोग किसी के दबाव में काम करते। स्‍वतंत्रतापूर्वक काम करना ऐसे लोगों को अच्‍छा लगता है।  यदि चंद्र पर्वत का झुकाव शुक्र पर्वत की ओर हो जाए तो व्‍यक्‍ति बेहद कामुक प्रवृत्‍ति का हो जाता है। ऐसा व्‍यक्‍ति अच्‍छे एवं बुरे काम में फर्क नहीं कर पाता। चंद्र पर्वत पर आड़ी-टेड़ी रेखाएं हों तो जातक अपने जीवन में जल यात्रा करता है।
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सूर्य पर्वत व्‍यक्‍ति के जीवन को व्‍यापक स्‍तर पर प्रभावित करता है। प्रकाशमान सूर्य समस्‍त जीव-जगत का आधार है। कुंडली में सूर्य की स्‍थिति पूरे जीवन को प्रभावित करती है। इसी तरह हाथ में सूर्य पर्वत व्‍यक्‍ति के जीवन के बारे में बहुत कुछ बताता है। हाथ में अनामिका उंगली के मूल में सूर्य का स्थान होता है। इस क्षेत्र का उभार जितना अधिक होगा, सूर्य भी उतना ही प्रभावकारी रहेगा।
सूर्य पर्वत का उभार अच्छा और स्पष्ट होने के साथ सरल सूर्य रेखा हो तो व्यक्ति श्रेष्‍ठ प्रशासक, पुलिसकर्मी और सफल उद्यागेपति होता है। यदि ये पर्वत अधिक उभार वाला हो और रेखा कटी या टूटी हो तो व्यक्ति अभिमानी, स्वार्थी, क्रूर, कंजूस और अविवेकी होता है। यदि हथेली में सूर्य पर्वत शनि की ओर झुका हो तो व्यक्ति जज एवं सफल अधिवक्ता होता है। इसी तरह यदि सूर्य पर्वत दूषित हो जाए तो व्‍यक्‍ति अपराधी हो जाता है।
यदि सूर्य तथा शुक्र पर्वत उभार वाले है तो विपरीत लिंग के प्रति शीघ्र एवं स्थायी प्रभाव डालने वाला, धनवान, परोपकारी, सफल प्रशासक, सौंदर्य और विलासिताप्रिय होता है। सूर्य पर्वत पर जाली हो तो गर्व करने वाला, लेकिन कुटिल स्वभाव का होता है। ऐसा व्‍यक्‍ति किसी पर भी विश्वास नहीं करता। तारे का चिह्न होने पर धनहानि होती है, लेकिन प्रसिद्धि अप्रत्याशित रूप से मिलती है। गुणा का चिन्ह हो तो सट्टा या शयेर में धन का नाश हो सकता है। सूर्य पर्वत पर त्रिभुज हो तो उच्च पद की प्राप्ति, प्रतिष्ठा तथा प्रशासनिक लाभ होते हैं। सूर्य पर्वत पर चौकड़ी हो तो सर्वत्र लाभ तथा सफलता की प्राप्ति होती है।
सूर्य पर्वत तथा बुध पर्वत के संयुक्त उभार की स्थिति में योग्यता, चतुराई तथा निर्णय शक्ति अधिक होती है। ऐसा व्‍यक्‍ति श्रेष्ठ वक्ता, सफल व्यापारी या उच्च स्थानों का प्रबंधक होता है। ऐसे व्यक्तियों में धन पाने की असीमित महत्वाकांक्षा होती है। हथेली में सूर्य पर्वत के साथ यदि बृहस्पति का पर्वत भी उन्नत हो तो व्यक्ति विद्वान, मेधावी और धार्मिक विचारों वाला होता है।
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सामुद्रिक शास्त्र को भारतीय ज्योतिष का विशेष भाग माना गया है। सामुद्रिक शासत्र से हम शरीर के विभिन्‍न अंगों की सरंचना को देखकर उसके व्‍यक्‍तित्‍व और भविष्‍य का अनुमान लगाते हैं। इन्‍हीं में शामिल है किसी पुरुष का मस्‍तक। 
  • यदि किसी व्‍यक्ति का माथा या ललाट साफ, सरल और स्‍पष्‍ट रेखा वाला हो तो वह सुखी और दीर्घायु होता है। यदि माथे पर छिन्न-भिन्न रेखा हैं तो वह दुःखी और अल्पायु माना जाता है। ललाट पर बनी उद्धव रेखा, त्रिशूल एवं स्वास्तिक जैसे चिह्न व्‍यक्‍ति के सुखमयी जीवन का इशारा करते हैं। 
  • छोटे मस्‍तक वाला मनुष्‍य के अधिक पुत्रियां होती हैं। ऐसे व्‍यक्‍ति कड़ा परिश्रम करने के बाद ही अपने जीवन का निर्वहन कर पाते हैं। 
  • व्‍यक्‍ति के माथे पर जितनी रेखाएं विद्यमान हों, उसके उतने ही भाई-बहन होने की संभावना रहती है। सामुद्रिक शास्‍त्र में मोटी रेखा भाई और छोटी रेखा बहन का इशारा करती हैं। 
  • यदि व्‍यक्‍ति का माथा नीचे से ऊपर की ओर उठा हुआ जतो वह धैर्यवान, धनवान और मेधावी होता है। ऐसे लोग प्रेम में आगे रहते हैं। वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है। 
  • यदि व्‍यक्‍ति के माथे पर छोटा सा चांद बना हो तो ऐसे व्‍यक्‍ति पर ईश्‍वर की विशेष कृपा बनी रहती है। ऐसे लोग सन्यासी, उपदेशक अथवा योगी होते हैं।
  • जिस व्‍यक्‍ति के माथे पर रेखा नहीं हो तो वह पुरुष धनवान और लंबी आयु वाला होता है। लेकिन यदि ललाट गहरा हो तो वह पुरुष अपराध करने से भी पीछे नहीं हटता। ऐसा व्‍यक्‍ति किसी की हत्‍या भी कर सकता है। 
  • यदि व्‍यक्‍ति का माथा ऊपर से उठा हुआ और नीचे से झुका हो तो ऐसा व्‍यक्‍ति कई स्‍त्रियों से विवाह संबंध बनाने वाला होता है। ऐसे माथे वाले लोग उच्‍च शिक्षा के जरिए उच्‍च पद हासिल करते हैं, लेकिन स्‍वास्‍थ्‍य इनका साथ नहीं देता। 
  • यदि माथा चौड़ा है तो ऐसा व्‍यक्‍ति अधिक पुत्रों वाला होता है। लेकिन वह हमेशा काम धंधों को लेकर परेशान रहता है। ऐसे लोगों की संतान भाग्‍यशाली और मेहनती होती है। 
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शनिवार का दिन शनि देव को समर्पित होता है। इस दिन लोग शनि देव की पूजा-उपासना करते हैं। साथ ही हुनमान जी की भी पूजा की जाती है। शनि देव को न्याय का देवता माना जाता है। लोग शनि देव को प्रसन्न करने के लिए शनिवार के दिन सच्ची श्रद्धा और विधिपूर्वक पूजा-पाठ और उपासना करते हैं। हालांकि, शनि देव को प्रसन्न करने के लिए शनिवार के दिन कुछ चीज़े भूलकर नहीं करनी चाहिए। ऐसा करने से शनि देव नाराज हो जाते हैं, जिससे उनके जीवन से सुख और शांति छिन जाती है। अगर आपको इन चीजों के बारे में नहीं पता है तो आइए जानते हैं-
-शनिवार के दिन भूलकर भी तामसी भोजन नहीं करना चाहिए। इस दिन आसुरी प्रवृति से भी बचना चाहिए।
-शनिवार के दिन घर में कोई कलह पैदा न करें। अगर मन में कोई चिंता है तो उसे शनि देव से साझा करें।
-इस दिन किसी विवाद में न फंसे, न ही किसी से कोई विवाद करें। शनिदेव को शांति प्रिय लोग अति प्रिय होते हैं।
-ऐसी मान्यता है कि इस दिन सरसों तेल नहीं खरीदना चाहिए। इससे शनि देव रुष्ट हो जाते हैं।
-लोहे से बनी चीज़ें भी न खरीदें। इससे भी शनि देव नाराज होते हैं।
शनिवार को क्या करें
-इस दिन पूजा जप तप और दान का अति विशेष महत्व है। शनिवार के दिन काले कपड़े, सरसों का तेल, लोहे, उड़द दाल आदि का दान करने से शनि देव प्रसन्न होते हैं। इस दिन गरीबों एवं जरूरतमंदों को अनाज दान देने से शनि देव जल्दी प्रसन्न होते हैं। इस दिन निम्न मंत्र का जाप जरूर करें।
ॐ श्री शनिदेवाय: नमों नमः
ॐ श्री शनिदेवाय: शुभम फलः
ॐ श्री शनिदेवाय: फलः प्राप्ति फलः
ॐ श्री शनिदेवाय: शान्ति भवः
धार्मिक मान्यता है कि इस दिन पीपल वृक्ष को जल का अर्घ्य देना और दीपक जलाना अति शुभ होता है। इससे व्रती की सभी मनोकामनाएं यथाशीघ्र पूरी होती है।
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धार्मिक ग्रंथों में समुद्र मंथन का विस्तार से वर्णन है। ऐसा कहा जाता है कि जब राजा बलि तीनों लोकों के स्वामी बन गए थे। उस समय स्वर्ग के देवता इंद्र सहित सभी देवताओं और ऋषियों ने भगवान विष्णु जी से तीनों लोकों की रक्षा के लिए याचना की। तब भगवान विष्णु जी ने उन्हें समुद्र मंथन करने की युक्ति दी। भगवान नारायण ने कहा कि समुद्र मंथन से अमृत की प्राप्ति होगी, जिसके पान से आप देवता अमर हो जाएंगे। 
कालांतर में क्षीर सागर में वासुकी नाग और मंदार पर्वत की सहायता से समुद्र मंथन किया गया। इस मंथन से 14 रत्न, विष और अमृत प्राप्त हुए थे। भगवान शिव जी ने विष का पान किया तो देवताओं ने अमृत पान किया। इसके बाद दानवों और देवताओं के बीच महासंग्राम हुआ। इस युद्ध में देवताओं को विजय प्राप्त हुई। कालांतर में जिस मंदार पर्वत से समुद्र मंथन हुआ है। वह वर्तमान में बिहार राज्य के बांका जिले में अवस्थित है। मंदार पर्वत के पृथ्वी पर अवस्थित होने की भी अनोखी कथा है। आइए जानते हैं-
चिरकाल में मधु और कैटभ नामक दो दैत्य थे। जो आसुरी प्रवृति के थे। इनके अत्यचार और दुःसाहस से तीनों लोकों में हाहाकार मच गया। इसके बाद भगवान विष्णु जी ने दोनों को वध कर दोनों के धड़ को दो विपरीत दिशा में फेंक दिया। हालांकि, धड़ एकजुट होकर फिर से मधु और कैटभ बन गए और तीनों लोकों में अपना आतंक मचाना शुरू कर दिया।
इसके बाद भगवान विष्णु जी ने आदिशक्ति का आह्वान किया और मां दुर्गा ने दोनों का विध किया। कालांतर में भगवान श्रीहरि विष्णु जी ने मधु और कैटभ को पृथ्वी लोक पर लाकर मंदार पर्वत के नीचे उन्हें दबा दिया, ताकि वह फिर से उत्पन्न न हो सके। तब मधु और कैटभ ने मकर संक्रांति के दिन उनसे दर्शन देने का वरदान मांगा। दानवों के इस वरदान को विष्णु जी ने स्वीकार कर लिया। कालांतर से भगवान नारायण मकर संक्रांति के दिन मंदार पर्वत दानवों को दर्शन देने आते हैं।
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हिंदी पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी मनाई जाती है। इस बार 2 जून को निर्जला एकादशी है। इस दिन साधक भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा एवं व्रत उपासना करते हैं। इस एकादशी का अति विशेष महत्व है। इस व्रत के पुण्य प्रताप से व्रती की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही व्रती को मरणोपरांत मोक्ष की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यता है कि निर्जला एकादशी का व्रत फल सभी एकादशी के समतुल्य होता है।


निर्जला एकादशी पूजा शुभ मुहूर्त 
निर्जला एकादशी 1 जून को दोहपर 2 बजकर 57 मिनट से आरंभ होकर 2 जून को 12 बजकर 04 मिनट पर समाप्त हो रहा है। अतः व्रती इस दिन भगवान श्रीहरि विष्णु जी की पूजा दोपहर 12 बजकर 04 मिनट तक कर सकते हैं। 
निर्जला एकादशी पूजा विधि 
व्रती गंगा दशहरा के दिन से तामसी भोजन का त्याग कर दें। साथ ही लहसुन और प्याज मुक्त भोजन ग्रहण करें। रात में भूमि पर शयन करें। अगले दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सबसे पहले भगवान श्रीहरि विष्णु जी का स्मरण करें। इसके पश्चात नित्य कर्मों से निवृत होकर गंगाजल युक्त पानी से स्नान ध्यान करें। अब आमचन कर व्रत संकल्प लें। फिर पीला वस्त्र (कपड़े) पहनें। इसके बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें।
तदोपरांत, भगवान श्रीहरि विष्णु जी की पूजा पीले पुष्प, फल, अक्षत, दूर्वा, चंदन आदि से करें। इसके लिए सबसे पहले षोडशोपचार करें। इस समय ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें। अब निर्जला एकादशी की कथा का पाठ करें। अंत में आरती-अर्चना करें। इस दिन निर्जला उपवास रखने का विधान है। इसलिए अपनी सेहत के अनुसार व्रत करें। दिन भर निर्जला उपवास रखें। संध्या बेला में आरती-अर्चना के बाद फलाहार करें। अगले दिन नित्य दिनों की तरह पूजा कर व्रत खोल पहले ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा देने के बाद भोजन ग्रहण करें।
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हिन्दू धर्म में मुंडन का विधान है। यह सोलह मुख्य संस्कारों में आठवां संस्कार है। इस संस्कार में शिशु के सिर से बाल हटाए जाते हैं। यह संस्कार एक साल के बाद किया जाता है। यह संस्कार चूड़ाकर्म के नाम से भी जाना जाता है। इस संस्कार के पहले अन्नप्राशन संस्कार होता है, जिसमें शिशु को अन्न खिलाया जाता है। हालांकि, इस संस्कार को लेकर लोगों के मन में कल्मष ( सवाल ) पैदा होने लगे हैं कि क्या यह जरूरी है? अगर आपके मन में भी मुंडन संस्कार को लेकर कोई सवाल है तो आइए जानते हैं कि मुंडन के वैज्ञानिक ( शारीरिक ) और धार्मिक लाभ क्या हैं-
डॉक्टर हमेशा शिशुओं को सुबह-सुबह धूप में नंगे बिठाने या लिटाने की सलाह देते हैं। इस बारे में उनका कहना होता है कि इससे शिशुओं को विटामिन डी प्राप्त होता है, जो कि उनकी सेहत के लिए बहुत जरूरी है। अगर शिशु के सिर से बाल हटा दिए जाए तो उन्हें विटामिन डी अधिक मात्रा में प्राप्त होता है। इसके साथ ही डॉक्टर का कहना है कि मुंडन करने से बालों का विकास सही से होता है।
जबकि धार्मिक मान्यता है कि हिन्दू धर्म में 84 लाख योनियों के बाद आत्मा को मानव तन प्राप्त होता है। ऐसा माना जाता है कि प्रत्येक योनी का मानव जन्म पर अपना प्रभाव पड़ता है। इन प्रभावों से शिशु को बचाने के लिए मुंडन किया जाता है।
इस संस्कार को करने से शिशु को पिछली योनियों से मुक्ति मिल जाती है और शिशु का शरीर शुद्ध हो जाता है। कुछ जानकारों का ऐसा भी कहना है कि मुंडन करने से शिशु के मस्तिष्क का विकास सही ढंग से होता है। मुंडन संस्कार में कुछ रीति-रिवाजों को पूरा करने के बाद शिशु के सिर से बाल हटाए जाते हैं। इसलिए यह संस्कार किया जाता है।

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जाने-माने ज्योतिषाचार्य और अपने अलग अंदाज से भविष्यवाणी करने के लिए मशहूर बेजान दारूवाला का 90 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। शुक्रवार, 29 मई को गांधीनगर के एक निजी अस्पताल में उन्होंने आखिरी सांस ली। अस्पताल के अनुसार उनकी मृत्यु कोरोना पॉजिटिव होने के कारण हुई। बेजान दारूवाला न सिर्फ देश के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य थे बल्कि अपनी सटीक भविष्यवाणियों के कारण पूरी दुनिया में उनका नाम था। बेजान दारूवाला की कई भविष्यवाणियां सच साबित हुई। उनके पास राजनेता, उद्योगपति, खेल की जानी-मानी हस्तियां और सिनेमा जगत के लोग उनसे ज्योतिषी सेवाएं लेते थे। विश्व प्रसिद्ध ऐस्ट्रोलॉजर बेजान दारूवाला की ज्योतिष यात्रा और उनके जिंदगी से जुड़े कुछ यादगार लम्हों के बारे में विस्तार से जानते हैं। 

1- बेजान दारूवाला का जन्म 11 जुलाई 1931 को एक पारसी के घर में हुआ था। बेजान दारूवाला ने अपनी शिक्षा अंग्रेजी में पीएचडी से पूरी की। इसके बाद अहमदाबाद में अंग्रेजी के प्रोफेसर के तौर पर छात्रों को पढ़ाया था।
2- पारसी समुदाय से संबंध होने के बावजूद वे भगवान गणेश के परम भक्त थे। उन्हें वैदिक ज्योतिष और पश्चिमी ज्योतिष विद्या दोनों में बराबर महारत हासिल थी। इसके अलावा वे टैरो रीडिंग और हस्तरेखा शास्त्र में भी अच्छे जानकार थे।
3- बेजान दारूवाला की रुचि न सिर्फ ज्योतिष में थी बल्कि उन्हें कविता, लेखन और कार्टूंस भी थी।


4- बेजान दारूवाला की लोकप्रियता इतनी ज्यादा थी कि न सिर्फ उनसे बड़े-बड़े राजनेता और सितारे उनका आशीर्वाद लेना के लिए उत्साहित रहते थे, बल्कि एक बार तो बौद्ध धर्म के गुरु दलाई लामा ने भी एक बार उनसे अपने सिर पर हाथ रखने को कहा था। 

5- बेजान दारूवाला के दो बेटे हैं। एक बेटे का नाम नस्तूर दारूवाला है जबकि दूसरा बेटा चिराग है जिन्होंने उसको गोद लिया है। बेजन दारुवाला का पूरा परिवार ज्योतिष विद्या के क्षेत्र से जुड़े हुए हैं।  

6- बेजान दारूवाला जब भी किसी के बारे में भविष्यवाणी करते थे उनका तरीका बिल्कुल भी अलग तरह का होता था। वे सबसे पहले उस व्यक्ति को देखते थे फिर उन्हें उससे एक ऊर्जा मिलती थी। इसके बाद समय का ध्यान लगाकर देखते हैं कि दिन कैसा है अच्छा, बुरा या उदासीन। फिर मन में गणना करने के बाद भगवान गणेश का नाम लेकर भविष्यवाणी करते थे।

7- बेजान दारूवाला की कई भविष्यवाणियां एकदम सही साबित हुई थी जिसकी वजह से उन्हें इतनी ख्याति प्राप्ति हुई। जिनमें प्रमुख रूप से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपपेयी, मोरार जी देसाई, मनमोहन सिंह और मौजूदा पीएम नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बारे में थी। 

8- इसके आलावा संजय गांधी की दुर्घटना में मृत्यु, इंदिरा गांधी की हत्या, करगिल युद्ध और गुजरात में आए विनाशकारी भूकंप के बारे में इनकी भविष्यवाणियां एकदम सही साबित हुई थी।
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वैदिक ज्योतिष के अनुसार हर समय ग्रह-नक्षत्र अपनी चाल बदलते रहते हैं। इन ग्रहों की चाल बदलने से कभी शुभ तो कभी अशुभ योग का निर्माण होता रहता है। इस घटना से हमारे सभी तरह के मांगलिक कार्यों में इसका प्रभाव पड़ता है। वैदिक ज्योतिष में ग्रहों का अस्त और उदय होना एक महत्वपूर्ण घटना मानी जाती है। 31 मई से शुक्र वृष राशि में रहते हुए अस्त हो रहा है जो 9 जून को उदय होगा। शुक्र के अस्त होने की अवधि में किसी भी तरहा कोई भी शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किया जा सकता है। अस्त हुए शुक्र के दौरान न सिर्फ शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं बल्कि इस दौरान न तो किसी से विवाह,व्यापार, जमीन संबंधी सौदे और नौकरी के प्रस्ताव पर चर्चा करते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार साल में कुछ दिनों के लिए आकाश में कुछ ग्रह लुप्त हो जाते हैं। क्योंकि इस दौरान वे सूर्य के बहुत ही समीप पहुंच जाते हैं। इसे ही ग्रहों का अस्त कहा जाता है। 

शुक्र कब से कब तक रहेगा अस्त
शुक्र ग्रह वृषभ राशि में रहते हुए 31 मई से 8 जून तक सूर्य से 10 डिग्री से भी कम की दूरी पर रहेगा।  शुक्र के अस्त होने पर इस ग्रह का शुभ प्रभाव कम हो जाएगा। जिसके चलते शुक्र ग्रह से संबंधित से कार्य नहीं हो सकेगा। 8 दिनों तक शुक्र के अस्त होने तक 9 जून को फिर शुक्र उदय हो जाएगा।

वैदिक ज्योतिष में शुक्र ग्रह और इसका प्रभाव
ज्योतिष में शुक्र ग्रह को सुख, संपन्नता, ऐश्वर्य और विलासिता का कारक ग्रह माना जाता है। जिसकी कुंडली में शुक्र ग्रह मजबूत होता है उसका जीवन ऐशो-आराम से बीतता है। शुक्र ग्रह वैवाहिक जीवन पर असर डालने वाला ग्रह होता है। ऐसे में शुक्र ग्रह के अस्त होने पर किसी शुभ कार्य को करने पर सफलता नहीं मिलती। जब शुक्र अस्त होता है इस दौरान किसी भी तरह के शुभ और अच्छा काम नहीं किया जाता है। 

2 राशियों पर शुभ-अशुभ प्रभाव
शुक्र के अस्त होने पर कई राशियों पर इसका शुभ और अशुभ प्रभाव देखने को पड़ेगा।

शुभ प्रभाव- मेष, मिथुन, कर्क, कन्या और वृश्चिक
अशुभ प्रभाव- धनु, मकर और मीन
मिला-जुला असर- सिंह, तुला, वृषभ और  कुंभ

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ग्रहों की स्थिति-सूर्य और शुक्र वृषभ राशि में हैं। मिथुन राशि में राहु और बुध का गोचर है। सिंह राशि में चंद्रमा चल रहे हैं। धनु राशि में केतु चल रहे हैं। मकर राशि में गुरु और शनि चल रहे हैं। कुंभ राशि में मंगल का गोचर चल रहा है। ग्रहों की स्थिति अभी भी पहले जैसी ही है। कोई बहुत सुधार नहीं दिख रहा है। हर दृष्टिकोण से सभी के लिए बहुत बचकर चलना अच्‍छा होगा। स्‍वास्‍थ्‍य के मामले में खासतौर से सचेत रहें।

राशिफल-
मेष
-इस राशि के विद्यार्थियों के लिए अच्‍छा समय है। कुछ सफलता की ओर जाएंगे। अच्‍छे विचार मन में आएंगे। भावुकता पर नियंत्रण रखें। प्रेम में तू-तू, मैं-मैं न करें। रोजगार और स्‍वास्‍थ्‍य दोनों पहले से सुधार की ओर अग्रसर हैं। सूर्यदेव को जल दें।

वृषभ-घर या भौतिक सुख सम्‍पदा से सम्‍बन्धित कुछ अच्‍छे समाचार की प्राप्ति हो सकती है। स्‍वास्‍थ्‍य पर ध्‍यान दें। प्रेम में तू-तू, मैं-मैं न करें। अपने प्रेम को थोड़ा समय और स्‍पेस दें। हरी वस्‍तु पास रखें।

मिथुन-उदर रोग से थोड़ा परेशान हो सकते हैं। बाकी सारी चीजें ठीक हैं। पहले से बेहतर हुआ है। रोजगार के क्षेत्र में नए अवसर मिल सकते हैं। प्रेम में थोड़ी दूरी अभी बरकरार रहेगी। आगे चलकर अच्‍छा होगा। गणेश जी की वंदना करें।

कर्क-धन का आवक बना रहेगा। स्‍वास्‍थ्‍य में सुधार होगा। अपनों से न उलझें। निवेश अभी रोक कर रखें। प्रेम में दूरी, रोजगार के क्षेत्र में थोड़ी कठिनाइयां रहेंगी। बजरंग बाण का पाठ करें।

सिंह-नायक-नायिका की भांति चमकते दिख रहे हैं। पहले से बेहतर स्थिति है आपकी। प्रेम में दूरी बनी रहेगी। भावुकता पर नियंत्रण रखकर कामों को करें। जैसे चल रहा है, चलने दें। कुछ नया करने की आवश्‍यकता अभी नहीं दिख रही है। केसर का तिलक लगाएं।

कन्‍या-चिंताकारी सृष्टि का सृजन हो रहा है। सिरदर्द या नेत्र विकार से पीडि़त हो सकते हैं। स्‍वास्‍थ्‍य पर ध्‍यान दें। प्रेम में दूरी बनी रहेगी। रोजगार के क्षेत्र में कोई बहुत अच्‍छे अवसर अभी नहीं दिख रहे हैं। शनिदेव को मानसिक तौर पर प्रणाम करना अच्‍छा रहेगा।

तुला-शुभ समाचार की प्राप्ति होगी। नए अवसर दिखाई पड़ेंगे लेकिन कोई बहुत अच्‍छा समय नहीं है। शनि का वक्री होना आपके जीवन में बहुत अच्‍छा फल नहीं देगा। कुल मिलाकर मध्‍यम समय है। लेकिन आज थोड़ा अच्‍छा अवसर दिखाई दे रहा है। स्‍वास्‍थ्‍य, प्रेम, व्‍यवसाय तीनों मध्‍यम दिख रहा है। हरी वस्‍तु पास रखें। सूर्यदेव को जल दें।

वृश्चिक-शासन सत्‍ता पक्ष का सहयोग मिलेगा। उच्‍चाधिकारी प्रसन्‍न होंगे। राजनीतिक लाभ मिलेगा। पिता के स्‍वास्‍थ्‍य पर ध्‍यान दें। स्‍वास्‍थ्‍य और प्रेम पहले से बेहतर होगा। सूर्यदेव को जल दें।

धनु-धर्म-कर्म में भाग लेंगे। पूजा-पाठ में मन लगेगा। कुछ संस्‍कारिक काम करने को सोचेंगे। बस स्‍वास्‍थ्‍य पर ध्‍यान दें। व्‍यापार अभी मध्‍यम गति से चलता रहेगा। बजरंग बाण का पाठ करें।

मकर-परिस्थितियां प्रतिकूल हैं। स्‍वास्‍थ्‍य पर ध्‍यान दें। व्‍यापार और प्रेम की स्थिति अभी मध्‍यम दिख रही है। सूर्यदेव को प्रणाम करें। उन्‍हें जल दें। अच्‍छा होगा।

कुंभ-नए सुअवसर की ओर जा रहे हैं। बस स्‍वास्‍थ्‍य पर ध्‍यान दें। प्रेम में तू-तू, मैं-मैं न करें। गणेश जी की वंदना करें।

मीन-शत्रु उपद्रव सम्‍भव है लेकिन शत्रु शमन भी हो जाएगा। बुजुर्गों का अशीर्वाद मिलेगा। गूढ़ ज्ञान की प्राप्ति होगी। स्‍वास्‍थ्‍य पर ध्‍यान दें। प्रेम की स्थिति अच्‍छी है। भगवान शिव की अराधना करें।
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आखिर श्रेष्ठ कौन है
मंदिरों के शिखर और मस्जिदों की मिनारें ही ऊंची नहीं करनी हैं, मन को भी ऊंचा करना हैं ताकि आदर्शों की स्थापना हो सकें। एक बार गौतम स्वामी ने महावीर स्वामी से पूछा, ‘भंते ! एक व्यक्ति दिन-रात आपकी सेवा, भक्ति, पूजा में लीन रहता हैं, फलतः उसको दीन-दुखियों की सेवा के लिए समय नहीं मिलता और दूसरा व्यक्ति दुखियों की सेवा में इतना जी-जान से संलग्न रहता हैं कि उसे आपकी सेवा-पूजा, यहां तक कि दर्शन तक की फुरसत नहीं मिलती। इन दोनों में से श्रेष्ठ कौन है।
अज्ञानी जीव-अमृत में भी जहर खोज लेता है
भगवान महावीर ने कहा, वह धन्यवाद का पात्र है जो मेरी आराधना-मेरी आज्ञा का पालन करके करता है और मेरी आज्ञा यही है कि उनकी सहायता करों, जिनको तुम्हारी सहायता की जरूरत है। अज्ञानी जीव-अमृत में भी जहर खोज लेता है और मन्दिर में भी वासना खोज लेता है। वह मन्दिर में वीतराग प्रतिमा के दर्शन नहीं करता, इधर-उधर ध्यान भटकाता है और पाप का बंधन कर लेता है। पता है चील कितनी ऊपर उड़ती है? बहुत ऊपर उड़ती है, लेकिन उसकी नजर चांद तारों पर नहीं, जमीन पर पड़े, घूरे में पड़े हुए मृत चूहे पर होती है।
ज्ञानी सम्यकदृष्टि जीव दलदल में भी अनुभव परमात्मा का ही करता है
यहीं स्थिति अज्ञानी मिथ्या दृष्टि जीव की है। वह भी बातें तो बड़ी-बड़ी करता है, सिद्वान्तों की विवेचना तो बड़े ही मन को हर लेने वाले शब्दों व लच्छेदार शैली में करता है, लेकिन उसकी नजर घुरे में पड़े हुए मांस पिण्ड पर होती है, वासना पर होती है और ज्ञानी सम्यकदृष्टि जीव भले ही दलदल में रहे, लेकिन अनुभव परमात्मा का ही करता है।
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सनातन धर्म की पौराणिक कथाओं में नचिकेता और यमराज की कथा काफी प्रचलित है। इसमें जहां एक पिता द्वारा अपने पुत्र को यमराज को दान कर दिया गया और नचिकेता निकल गए यमराज की खोज में... इसके बाद जब वे यमराज से मिले तो नचिकेता की बातों से यमराज तक इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने स्वयं ही नचिकेता को मौत का रहस्य की पूरी जानकारी दी।
यह कथा आपने भी सुनी होगी, लेकिन क्या आप उस जगह के बारे में जानते हैं जिसके बारे में मान्यता है कि यहीं यमराज ने नचिकेता के सामने मृत्यु के रहस्य खोला था।
पंडित सुनील शर्मा के अनुसार पौराणिक कथाओं के अनुसार बालक नचिकेता के मन में भी मृत्यु से जुड़े ऐसे कई सवाल थे, जिनका जवाब पाने के लिए वो खुद यमराज से मिलने चल पड़ा।
वहीं मान्यता के अनुसार देवभूमि उत्तराचंल के उत्तरकाशी के पास मौजूद नचिकेता ताल ही वो जगह है, जहां मृत्यु के रहस्य सुलझे थे। खुद यमराज ने धरती पर आकर बालक नचिकेता को मौत का रहस्य बताया था।
यहां ताल के पास ही एक गुफा है, मान्यता है कि यमराज इसी रास्ते से धरती पर आए थे और बालक नचिकेता के सवालों के उत्तर दिए थे। शास्त्रों और पुराणों में लिखा गया है कि धरती पर नचिकेता ही एक ऐसे इंसान थे, जिन्हें मृत्यु के रहस्यों का पता चला था।
ऐसे पहुंचे नचिकेता ताल...
उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से करीब 27 किलोमीटर की दूरी पर चौरंगीखाल नाम की एक जगह है, जहां से 3 किलोमीटर का पैदल रास्ता पार कर श्रद्धालु नचिकेता ताल पहुंचते हैं। नचिकेता ताल की खूबसूरती और आस-पास मौजूद हरियाली पर्यटकों का मन मोह लेती है। इस ताल को लेकर तरह-तरह की बातें मशहूर हैं।
ताल के पास से सुनाई देती हैं शंख और घंटों की आवाजें...
कहा जाता है कि आज भी इस ताल में देवी-देवता स्नान करने आते हैं। रात के समय ताल के पास से शंख और घंटों की आवाजें भी सुनाई देती हैं। ताल के पास मौजूद गुफा के बारे में कहा जाता है कि जो भी इस गुफा के भीतर जाता है, वो कभी वापस नहीं आता। यही नहीं इस जगह पर तपस्या से मंत्रसिद्धि जल्द मिलने की भी बात कही जाती है।

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हम जो कुछ भी है वो हमने आज तक क्या सोचा इस बात का परिणाम है। यदि कोई व्यक्ति बुरी सोच के साथ बोलता या काम करता है, तो उसे कष्ट ही मिलता है। यदि कोई व्यक्ति शुद्ध विचारों के साथ बोलता या काम करता है, तो उसकी परछाई की तरह ख़ुशी उसका साथ कभी नहीं छोड़ती। हजारों खोखले शब्दों से अच्छा वह एक शब्द है जो शांति लाये। अतीत पे ध्यान मत दो, भविष्य के बारे में मत सोचो, अपने मन को वर्तमान क्षण पे केन्द्रित करों।
जैसे मोमबत्ती बिना आग के नहीं जल सकती, मनुष्य भी आध्यात्मिक जीवन के बिना नहीं जी सकता। तीन चीजें ज्यादा देर तक नहीं छुप सकतीं, सूर्य, चंद्रमा और सत्य। अपने मोक्ष के लिए खुद ही प्रयत्न करें, दूसरों पर निर्भर ना रहे। किसी विवाद में हम जैसे ही क्रोधित होते हैं हम सच का मार्ग छोड़ देते हैं, और अपने लिए प्रयास करने लगते हैं। किसी जंगली जानवर की अपेक्षा एक कपटी और दुष्ट मित्र से अधिक डरना चाहिए, जानवर तो बस आपके शरीर को नुक्सान पहुंचा सकता है, पर एक बुरा मित्र आपकी बुद्धि को नुक्सान पहुंचा सकता है।
आपके पास जो कुछ भी है है उसे बढ़ा-चढ़ा कर मत बताइए, और ना ही दूसरों से ईर्ष्या कीजिये। जो दूसरों से ईर्ष्या करता है उसे मन की शांति नहीं मिलती। घृणा घृणा से नहीं प्रेम से ख़त्म होती है, यह शाश्वत सत्य है। क्रोध को पाले रखना गर्म कोयले को किसी और पर फेंकने की नीयत से पकड़े रहने के सामान है; इसमें आप ही जलते हैं। शक की आदत से भयावह कुछ भी नहीं है।

शक लोगों को अलग करता है। यह एक ऐसा ज़हर है जो मित्रता ख़त्म करता है और अच्छे रिश्तों को तोड़ता है। यह एक कांटा है जो चोटिल करता है, एक तलवार है जो वध करती है। अगर आप वास्तव में स्वयं से प्रेम करते हैं, तो आप कभी भी किसी को ठेस नहीं पहुंचा सकते। अंत में ये चीजें सबसे अधिक मायने रखती हैं: आपने कितने अच्छे से प्रेम किया? आपने कितनी पूर्णता के साथ जीवन जिया? आपने कितनी गहराई से अपनी कुंठाओं को जाने दिया।