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एस्ट्रो न्यूज़ :



कौन ऐसा व्यक्ति होगा जो अपने घर में मां लक्ष्मी का आगमन नहीं चाहता होगा। जिस घर में मां लक्ष्मी का निवास होता है वहां कभी भी किसी चीज की कमी नहीं होती। जहां देवी लक्ष्मी धन, सुख और संपदा की देवी हैं और उनकी पूजा-अर्जना करने से धन और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है, दूसरी तरफ गरीबी, बीमारी और दरिद्रता की भी देवी हैं जिनका नाम अलक्ष्मी है। देवी अलक्ष्मी माता लक्ष्मी की बड़ी बहन है। कुछ कारणों से घर पर देवी लक्ष्मी की जगह उनकी बड़ी बहन और दरिद्रता की देवी अलक्ष्मी अपना निवास स्थान बना लेती हैं।
- देवी अलक्ष्मी उन ही घरों में जाती हैं जहां गंदगी रहती है।
- जिन घरों में हमेशा लोग लड़ाई- झगड़े करते हैं वहां पर दरिद्रता की देवी मां लक्ष्मी अपना डेरा जमा लेती हैं। इस कारण से इन घर में हमेशा आर्थिक परेशानियां रहती है।
- जो लोग गंदे कपड़े पहनते हैं और जीवों को परेशान करते हैं उन घरों पर अलक्ष्मी निवास करती हैं।
-  देवी लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने के बावजूद जिन लोगों को हमेशा पैसों की हानि होती रहती है, ऐसे लोगों पर देवी अलक्ष्मी का प्रभाव होता है। 

कैसे पाएं देवी लक्ष्मी की कृपा
- कभी भी देवी लक्ष्मी की ऐसी मूर्ति या फोटो को नहीं रखनी चाहिए जिसमें वह उल्लू पर बैठी हों।
- देवी लक्ष्मी की खड़ी हुई मूर्ति रखने से बचना चाहिए।
- कमल के फूल पर बैठी देवी लक्ष्मी की मूर्ति और तस्वीर शुभ मानी जाती जाती है। घर और दुकान पर ऐसी मूर्ति रखना धन लाभ के लिए शुभ फलदायी होती है।



नमस्तेस्तु   महामाये  श्रीपीठे  सुरपूजिते  |
शंखचक्रगदाहस्ते  महालक्ष्मी  नमोस्तुते  ||

नमस्ते  गरुडारुढे   कोलासूरभयंकरी  |
सर्वपापहरे  देवी  महालक्ष्मी  नमोस्तुते  ||

सर्वज्ञे  सर्ववरदे  सर्वदुष्टभयंकरी  |
सर्वदुःखहरे  देवी  महालक्ष्मी  नमोस्तुते  ||

सिद्धिबुद्धिप्रदे देवी भुक्तिमुक्तिप्रदायिनी  |
मन्त्रपूते  सदा  देवी  महालक्ष्मी  नमोस्तुते  ||

आध्यान्तराहित  देवी आदयशक्ति महेश्वरी  |
योगजे  योगसम्भूते  महालक्ष्मी  नमोस्तुते  ||

स्थूलसूक्ष्ममहारौद्रे  महा शक्ति महोदरे |
महापापहरे  देवी महालक्ष्मी  नमोस्तुते  ||

पद्द्न्यासनस्थिते देवी परब्रह्मस्वरूपिणी |
परमेशी   जगन्मातर्महालाक्ष्मी नमोस्तुते  ||

श्वेताम्बरधरे देवी नानालंकारभूषिते |
जगतस्थिते  जगन्मातर्महालाक्ष्मी नमोस्तुते  ||

महालक्ष्म्यष्टकं  स्तोत्रं  यः  पठेभ्दक्तिमान  नरः  |
सर्वसिद्धिमवाप्नोती  राज्यं  प्राप्नोति  सर्वदा  ||

एककाले  पठेन्नित्यं  महापापविनाशनम  |
व्दिकालम  यः  पठेन्नित्यं  धनधान्यसमन्वितः  |

त्रिकाल  यः  पठेन्नित्यं  महाशत्रुविनाशनम  |
महालक्ष्मिर्भवेन्नित्यम  प्रसन्न  वरदा शुभ  ||

!! इतिन्द्रकृतम  महालक्ष्म्यष्टकं संपूर्णम  !!
लक्ष्मी हिन्दू धर्म की एक प्रमुख देवी हैं । वो भगवान विष्णु की पत्नी हैं और धन, सम्पदा, शान्ति और समृद्धि की देवी मानी जाती हैं । दीपावली के त्योहार में उनकी गणेश सहित पूजा की जाती है । गायत्री की कृपा से मिलने वाले वरदानों में एक लक्ष्मी भी है । जिस पर यह अनुग्रह उतरता है, वह दरिद्र, दुर्बल, कृपण, असंतुष्ट एवं पिछड़ेपन से ग्रसित नहीं रहता । स्वच्छता एवं सुव्यवस्था के स्वभाव को भी 'श्री' कहा गया है । यह सद्गुण जहाँ होंगे, वहाँ दरिद्रता, कुरुपता टिक नहीं सकेगी । पदार्थ को मनुष्य के लिए उपयोगी बनाने और उसकी अभीष्ट मात्रा उपलब्ध करने की क्षमता को लक्ष्मी कहते हैं । यों प्रचलन में तो 'लक्ष्मी' शब्द सम्पत्ति के लिए प्रयुक्त होता है, पर वस्तुतः वह चेतना का एक गुण है, जिसके आधार पर निरुपयोगी वस्तुओं को भी उपयोगी बनाया जा सकता है । मात्रा में स्वल्प होते हुए भी उनका भरपूर लाभ सत्प्रयोजनों के लिए उठा लेना एक विशिष्ट कला है । वह जिसे आती है उसे लक्ष्मीवान्, श्रीमान् कहते हैं । शेष अमीर लोगों को धनवान् भर कहा जाता है । गायत्री की एक किरण लक्ष्मी भी है । जो इसे प्राप्त करता है, उसे स्वल्प साधनों में भी अथर् उपयोग की कला आने के कारण सदा सुसम्पन्नों जैसी प्रसन्नता बनी रहती है ।