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कैसा रहेगा आज का दिन आपके लिए? क्या कहते हैं आज के सितारे? दैनिक राशिफल 2020 के माध्यम से जानिए आज का राशिफल और पूरे दिन की घटनाओं की जानकारी। 

कर्क दैनिक राशिफल

दूसरों के विश्वास का सम्मान करें और नम्र बने रहें ǀ आप सफलता हासिल करने की राह पर बढ़ रहे हैं लेकिन हमेशा अंतिम समय पर सावधानी नही रखते ǀ जीवन अप्रत्याशित होता ही है,इसीलिए इन परेशानियों की अधिक चिंता ना करें ǀ जीवन के पथ पर उत्साह और जोश से आगे बढ़ते रहें ǀ

तुला दैनिक राशिफल

आपकी अपने पिछले समय में से किसी पुराने व्यक्ति से मिलने की सम्भावना है और यह व्यक्ति आपके भविष्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा ǀ सहायता करने और लेने में अपने पूर्वाग्रहों को आड़े ना आने दें ,इससे आपकी प्रगति के नए रास्ते खुल सकते हैं ǀ अब कोई भी बदलाव नयी सफलता ही लाएगा ǀ

मेष दैनिक राशिफल

आप आज ऊर्जा से भरे हैं,आपके आकर्षण और कुशलता से आज घर-ऑफिस में सब प्रभावित होंगे ǀ अपने दोस्तों या किसी ख़ास के साथ बाहर घुमने जाकर मजे करें ǀ दिन शांत और तनावरहित रहेगा ǀ आज अच्छा वित्तीय लाभ होने की सम्भावना तो बनी हुई है,लेकिन अपने खरीदारी के खर्चो पर भी नजर रखें ǀ

मिथुन दैनिक राशिफल

आज आप हर किसी पर विश्वास करने के मूड में रहेंगे ǀ इसका नुक्सान यह है की आप किसी ऐसे आदमी के साथ भी अपनी बाते साझी कर सकते हैं जो दिल से आपका भला नही चाहता ǀ इसीलिए पहले इस आदमियो के बारे सही से छानबीन कर लें ǀ अगर आप पिछले कुछ समय से कार्यस्थल या घर पर किसी की बातो से असहमत हैं तो आज दोस्ती का हाथ बढाने के लिए अच्छा समय हैǀ

सिंह दैनिक राशिफल

आज आप पायेंगे कि आप कितने ही अच्छे और सही सुझाव दें,कोई आपकी बात मानने को तैयार नही है ǀइससे आप काफी निराश अनुभव करेंगे लेकिन आपको यह अनुभव करने की जरुरत है कि आपके सुझाव तो बेशक अच्छे हैं , लेकिन आपका रवैया ऐसा है कि जैसे आप किसी पर कृपा कर रहे हैं ǀइसीलिए लोग आपकी सलाह का उल्टा कर रहें हैं ǀ खुद को और अपने रवैये में बदलाव लायें फिर बेहतर नतीजे मिलेंगे ǀ

वृषभ दैनिक राशिफल

आज आप साझेदारी के अंतर्गत घर और ऑफिस दोनों ही में बहुत अच्छा काम करेंगे ǀयदि अकेले काम करेंगे तो अस्पष्ट और असंभव सी लगने वाली मुसीबतों में फंस सकते हैं ǀ टीम के रूप में काम करने पर ये बाधाएं परेशान नही करेंगी ǀ आपसी सहयोग से आज आप किसी भी प्रयास में सफलता हासिल कर पायेंगे ǀ

कन्या दैनिक राशिफल

कोई लगातार पूरी वफादारी,सहायता और समर्थन से आपके साथ बना हुआ है ,आज आपके पास इसका बदला उतारने और उसका साथ देने का एक मौका आएगा ǀ आपको उसका साथ देने में एक मुश्किल स्थिति से भी गुजरना पद सकता है,पर अंतत इससे आपका रिश्ता मजबूत ही होगा ǀआपको दया और कृतज्ञता दिखाते हुए बहादुर बने रहना होगा ǀ

धनु दैनिक राशिफल

एकरसता आपको अच्छी न लगती ǀइससे आप बोर अनुभव करते हैं ǀआज आप काफी खुश और फ्लर्ट वाले मूड में होंगे ǀअपनी दिनचर्या बदलें ǀ इसमें फिटनेस को जगह दें ǀ किसी मनोरंजक गतिविधि में शामिल हो सकते हैं ǀ आपके नए विचार से वरिष्ठ अधिकारी प्रभावित होंगें ǀ ऑफिस में नयी पहचान बनेगी ǀ कुल मिलकर दिन हल्का-फुल्का गुजरेगा ǀ काम कम रहेगा ǀआप सकारात्मकता के श्रोत बने रहेंगे ǀ

कुंभ दैनिक राशिफल

आज आप थोड़े से अभिमान में रहेंगे और उसी के प्रभाव में रहकर सोचेंगे और काम करेंगे ǀइसी के कारण आप किसी बड़े अधिकारी से बात करते हुए आँखें नही मिला पायेंगे ǀयह अच्छा होगा या बुरा,यह आज आपको सोचना है ,हमारी सलाह यह है की आज अपने दिमाग की सुनें ǀ व्यवहार कुशलता का परिचय दें ǀ

मीन दैनिक राशिफल

आप आजकल हर किसी की नजर में हैं ǀजल्दी ही आप अपने दुश्मनों को पहचान जायेंगे ǀइनसे निपटते हुए सावधान रहें क्योंकि ये लोग आपको भड़काकर आपको गलत साबित करना चाहते हैं ǀयदि बहुत ज्यादा विरोध हो रहा हो तो पीछे हट जाएँ ǀहालाँकि आपको कोई ऐसा भी मिलेगा जिसपर आप यकीन कर सकते हो। 

वृश्चिक दैनिक राशिफल

आज का दिन आपके लिए विशेष है क्योंकि आज आप किसी दूसरे शहर में रहने वाले से या विदेश में किसी से संपर्क स्थापित करेंगे ǀयह आपके करियर के लिए फायदेमंद होगा ǀअपने मेल देख लें क्योंकि मेलबॉक्स में कोई महत्वपूर्ण अवसर आपकी प्रतीक्षा कर रहा हैǀ विदेश में रह रहा कोई मित्र आपको साथ काम करने के लिए आमंत्रित कर सकता है ǀशुभ रंग सफ़ेद है ǀ

मकर दैनिक राशिफल

वित्तीय लाभ की सूचना से आपको और आपके परिजनों को ख़ुशी होगी ǀइससे ये भावना आएगी कि सब अच्छा हो रहा है ǀ आप खुशमिजाज और आकर्षक हैं,नए लोगों से मिलें ǀइससे आपको नए अवसर मिलेंगे जो अंतत आपके लिए फायदे का सौदा साबित होंगे ǀआप परिवार या घर की बनावट में कोई बदलाव लाने के बारे में सोच सकते हैं ǀ



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साप्ताहिक राशिफल को इंग्लिश मे (weekly horoscope) भी कहा जाता है, इसमे पूरे हफ्ते के राशिफल की गणना एक साथ की जाती है, ऐसे ही भारत के कुछ राज्यों मे इसे सप्ताह फलादेश भी कहा जाता है 

1. मेष राशि

सप्ताह के शुरुआत की स्थिति प्रसन्नता और प्रतिष्ठा में वृद्धि के संकेत दर्शा रही है। आपकी कार्यकुशलता और कौशल में सुधार होगा। आपका मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य सप्ताह भर में ठीक रहेगा। आपको अपने वरिष्ठ अधिकारियों का सहयोग प्राप्त होगा, जिसका आप आनंद लेंगे। कार्यक्षेत्र में आपके कायों की सराहना होगी। सप्ताह के मध्य में आपको परिवार के सदस्यों के सहयोग से अधिक वित्तीय लाभ प्राप्त होंगे। परिवार में प्रसन्नता, खुशी और आपसी सौहार्द का वातावरण रहेगा। घरेलू सुखों में वृद्धि होगी और आपको माता का अतिरिक्त स्नेह, सहयोग और सलाह प्राप्त होने से पारिवारिक मामलों के लिए उत्तम रहेगा। संपत्ति/वाहन आदि विषयों के लिए स्थिति सुखद रहेगी। इस सप्ताह सामाजिक गतिविधियों में आप सक्रिय रुप से सम्मिलित रहेंगे। आपको करीबी दोस्तों और रिश्तेदारों का साथ प्रसन्नता देगा।

2. वृष राशि

सप्ताह के आरम्भ की अवधि में ग्रहों की स्थिति के प्रभाव से वित्तीय घाटा, ऊर्जा और धन का अनावश्यक व्यय हो सकता है। इस नकारात्मक स्थिति से बाहर आने के लिए आप धैर्य न खोयें और आत्मविश्वास बनाए रखें। इसके अतिरिक्त इस समय में आपको बिना किसी भी गलती के अपमान का सामना करना पड़ सकता है। यह आपको निराशा देगा। आशावादी बने रहें और कुछ समय के लिए नर्इ गतिविधियों और नए उपक्रमों को शुरु करने के मुहूतोंर् को स्थगित करें। सप्ताह का मध्य भाग सुस्ती, थकान, शारीरिक कमजोरी, आत्मविश्वास और ऊर्जा की कमी का संकेत दे रहा है। इस थकावट और निराशा की स्थिति से बाहर आने के लिए आपको पहले से अधिक प्रयास करने होंगे। आपकी सफलता कार्यक्षेत्र में कार्यकुशलता और विश्वास को फिर से बहाल करने में औसत स्तर की रहेगी। सप्ताह के शेष दिनों में आपको परिवार के सदस्यों का साथ मिलने से स्थिति बेहतर होगी। लेकिन फिर भी आपमें आत्मविश्वास की कमी होने से आप जीवन की शांति का आनंद नहीं ले पायेंगे। इसके अलावा धन की कमी और परिवार में सामंजस्य की कमी से संबंधित मुद्दों का समाधान करना आपके लिए मुश्किल होगा।

3. मिथुन राशि

सप्ताह के शुरु के दिनों में देवी काली की पूजा करना हानिकारक ग्रहों के प्रभाव पर नियंत्रण पाने में फायदेमंद साबित होगी। इससे वित्तीय लाभ भी अधिक होने की संभावना बन रही है। सप्ताह के अंतिम महत्वपूर्ण कायों को पूरा करने के लिए अनुकूल नहीं हैं। इसके अतिरिक्त नए कायों को शुरु करने के लिए भी समय अनुकूल नहीं है। आपके खर्च नियंत्रण से बाहर जा सकते हैं। कुछ यात्राएं थकाने वाली और आपकी सेहत और धन की हानि का कारण बन सकती है। इसके कारण आपके मूड (मिजाज) में बदलाव की स्थिति बन सकती है। आप परेशान होने से बचें, महत्वपूर्ण कायों को स्थगित करें, कायों को धैर्य और आत्मविश्वास के साथ करने की कोशिश करें। सप्ताह का अंतिम भाग आपके लिए कुछ शुभ रहेगा। इस अवधि में आप अपनी सारी ऊर्जा व ध्यान केंद्रित कर आय वृद्धि और आय के नये साधन प्राप्त करेंगे। इस समय आप आय के संसाधनों को बहुगुणित करने के लिए प्रयासरत रहेंगे। यह सप्ताह धन आगमन की वृद्धि के लिए विशेष रहेगा।

4. कर्क राशि

सप्ताह के शुरु की अवधि आपके पेशेवर जीवन के लिए उत्कृ”टसाबित होगी। यह समय सुनिश्चित कर रहा है कि आपको वरिष्ठ अधिकारियों की वांछित सलाह, एहसान, समर्थन और सहयोग प्राप्त होगा। नौकरी में पदोन्नति की शीघ्र उम्मीद बन रही है। यह समय देवी काली की पूजा के लिए सबसे उपयुक्त मुहूर्त है। आपके शानदार प्रदर्शन की वजह से अचानक से आपके धन और आय में बढ़ोत्तरी होगी। भार्इ-बहनों और जीवनसाथी का सहयोग, सलाह, समर्थन आपके धन के प्रवाह में वृद्धि करेगा और आपको अतिरिक्त लाभ हो सकता है। सप्ताह के समापन के दिन आपके बच्चों के स्वास्थ्य और मन की स्थिति के लिए शुभ नहीं है। आप अपने जीवनसाथी की सेहत को लेकर चिंतित रहेंगे। अपने कायों को समयावधि में पूरा करने के लिए कठिन होगा कार्यक्षेत्र में आपको अपनी छवि खोने का डर रहेगा।

5. सिंह राशि

यह सप्ताह आपके लिए सबसे अच्छा सप्ताह हो जाएगा। सप्ताह की शुरुआत देवी काली की पूजा के लिए शुभ है। इस समय प्रार्थना कायों में भाग्य का विशेष सहयोग प्राप्त हो रहा है। इस समय किसी भगवान या देवी के मंदिर की यात्रा की संभावना बन रही है। यह समय ग्रहों की स्थिति के कारण उपाय करने के लिए विशेष अनुकूल है। सप्ताह के मध्य भाग में वरिष्ठ अधिकारियों का छुपा हुआ सहयोग प्राप्त होगा। यह आपको पेशेवर मोर्चे पर आगे रखेगा। प्रबंधकीय विषयों के जटिल मुद्दों से निपटने में आपको विशेष मान्यता मिलेगी। आपको सरकारी और प्राधिकरण क्षेत्रों में यह आपको सम्मान देगा। लेकिन कुछ वरिष्ठ अधिकारियों से आपको जलन हो सकती है और उनमें आपके खिलाफ षडयंत्र करने की प्रवृत्ति का विकास हो सकता है। इसलिए अपनी योजनाओं का खुलासा करने से बचें। सप्ताह का अंतिम भाग जोखिमपूर्ण क्षेत्रों से धन अर्जित करने के लिए फायदेमंद साबित हो रहा है। इसके साथ ही पैसे, लटेरी और जुआ आदि में निवेश भी आपके लिए लाभकारी रहेगा।

6. कन्या राशि

सप्ताह की शुरुआत आपके स्वास्थ्य, खुशी, आत्मविश्वास और धैर्य के लिए बहुत बुरा रह सकता है। इस समय की ग्रह स्थिति आपके लिए असहनीय, निराशापूर्ण और हताशापूर्ण बनी हुर्इ है। इस समय आपको अपना आत्मविश्वास और धैर्य बनाए रखना होगा तथा आपके माता-पिता को सेहत का ध्यान रखने की सलाह दी जाती है। इन्हें सांस लेने के व्यायाम और ध्यान से लाभ मिल सकता है। सप्ताह के मध्य दिन आपके माता-पिता की सेहत, दोस्तों और ससुराल पक्ष के लिए अनुकूल रहेगी। स्वयं को तरोताजा करने के लिए आप किसी यात्रा पर जा सकते हैं। इसके साथ ही आपके आत्मविश्वास की कमी भी दूर होगी। सप्ताह के अंत के दिनों में आपका आत्मविश्वास और कार्यों की प्रगति सही रहेगी। आप भी इससे संतुष्ट रहेंगे। आपको अपने वरिष्ठ अधिकारियों, सरकारी क्षेत्रों के अधिकारियों का सहयोग प्राप्त होगा। पेशेवर जीवन में इससे आपकी प्रतिष्ठा और विश्वसनीयता में वृद्धि होगी।

7. तुला राशि

सप्ताह की शुरुआत में आपमें आत्मविश्वास कुछ कम रहेगा फिर भी आय में वृद्धि के उद्देश्यों को लेकर जीवनसाथी के साथ आपसी सहयोग और तालमेल अच्छा रहेगा। सप्ताह के मध्य में कुछ मूड संबंधित समस्याएं रहेंगी और जोखिमपूर्ण क्षेत्र, लटरी और जुआ या कुछ अन्य अप्रत्याशित स्रोत से अचानक वित्तीय लाभ प्राप्त हो सकते हैं। यह लाभ आपके परिवार में आयेंगे। आपको कुछ निराशा और स्वास्थ्य से संबंधित परेशानियों का भी सामना करना पड़ सकता हैं हालांकि धैर्य बनाए रखने से यह स्थिति शीघ्र ही ठीक हो जाएगी। सप्ताह के शेष भाग के लिए यात्राएं फायदेमंद होकर शुभ रहेंगी। इसके अलावा व्यवसाय से जुड़ी यात्राएं या किसी सामाजिक सभा को संबोधित करने के अवसर बन सकते हैं। भार्इयों का समर्थन प्राप्त होने में भाग्य की भूमिका महत्वपूर्ण रहेगी।

8. वृश्चिक राशि 

सप्ताह के आरम्भ से ही विश्वास के साथ आप अपने शत्रुओं और खचोंर् को रोकेंगे। यात्राओं पर जाना आपके लिए सुखद रहेगा। आप अपने खर्च और प्रतियोगी परीक्षाओं का प्रबंधन करने की योजना बनाएंगे। आप बाजार की कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करने संबंधित विपणन की योजना को आकार देने के मामले में एक अच्छे रणनीतिकार सिद्ध होंगे। सप्ताह के मध्य में आप अपने दांपत्य जीवन में अत्यधिक संलग्न रहेंगे। भाग्य और जीवनसाथी की सलाह अधिक लाभ कमाने में आपकी मदद करेगा। भागीदार भी आपसे प्रसन्न रहेंगे। आप और आपके जीवनसाथी के बीच उत्तम तालमेल रहेगा। यह आपके वैवाहिक जीवन में आनंद बढ़ायेगा। सप्ताह के शेष दिन आपके स्वास्थ्य, खुशी, आत्मविश्वास और कार्य कुशलता के लिए शुभ नहीं रहेंगे। मिजाज (मूड) में बदलाव और खर्च आपके नियंत्रण से बाहर हो जाएगा। इससे कायों को समय पर पूरा करना आपके लिए मुश्किल हो सकता है। फिर भी यात्राएं आपके लिए आनंदमयी रहेंगी।

9. धनु राशि

सप्ताह आरम्भ में संकेत मिल रहे हैं कि आप अपने बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य पर खर्च करेंगे। इसके अलावा मनोरंजन से संबंधित गतिविधियों पर भी खर्च होंगे। यह समय जुआ, ल‚टरी, शेयर बाजार में निवेश और सट्टा गतिविधियों के लिए अनुकूल है। आपके भावनात्मक संबंध अचानक से मजबूत होंगे। कुछ मुकद्दमेबाजी के मामलों को सुलझाने और स्वास्थ्य समस्याओं का र्इलाज कराने में ही व्यय हो सकते हैं। सप्ताह मध्य में आपको बैंकरों को रिश्वत देने से बचना होगा और किसी भी प्रकार की अवैध गतिविधियों में शामिल न हों। सप्ताह के अंतिम भाग में संकेत मिल रहे हैं कि आप अपने जीवन साथी पर व्यय करेंगे। इसके अलावा यह भी संकेत मिल रहे हैं कि आप अपने जीवन साथी के साथ किसी पर्यटन स्थल या पर्वतीय स्थल की यात्रा पर जा सकते हैं। इस समय आपका वैवाहिक जीवन आनंदमय रहेगा। संपूर्ण सप्ताह में जीवन साथी के साथ अनुकूलता बनी रहेगी। यह समय पारिवारिक जीवन और प्रतिष्ठा के लिए पूरी तरह से शुभ रहेगा।

10. मकर राशि

सप्ताह के आरम्भ में स्थिति बहुत तनावपूर्ण, थकाऊ, घर-परिवार में कड़वाहट का माहौल रहेगा, इसका प्रभाव आपकी कार्यकुशलता, आत्मविश्वास और स्वास्थ्य पर पड़ेगा। अपनी माता के सेहत को लेकर आप चिंतित रहेंगे। इन सभी कठिनाइयों के बावजूद आपको अपना धैर्य बरकरार रखना होगा। सप्ताह के मध्य में आप शेयर बाजार, जुआ और जोखिमपूर्ण क्षेत्रों से आय प्राप्ति की अच्छी योजनाएं बनाने में सफल रहेंगे। आप अपने बच्चों के प्रदर्शन से खुश रहेंगे। आप और आपके बच्चों के मध्य आपसी समझ अच्छी रहेगी। भावनात्मक संबंधों में पहले से अधिक प्रेम रहेगा। सप्ताह के शेष भाग में आप प्रतियोगियों, ऋण, मुकदमेबाजी और रोगों से संबंधित मुद्दों से निपटने के कारण थकान का अनुभव करेंगे। अप्रत्याशित यात्राओं और अचानक खचोंर् में वृद्धि होने से आपके खर्च बढ़ेंगे।

11. कुंभ राशि

सप्ताह की शुरुआत में आपकी सामाजिक गतिविधियां अपने उच्च स्तर पर रहेंगी। इससे आपको अपने सामाजिक जीवन से मान्यता प्राप्त होगी। व्यावसायिक / कार्यक्षेत्र और सामाजिक जीवन में अपने उल्लेखनीय प्रयासों के लिए आपके दोस्त और रिश्तेदार सराहना करेंगे। मित्रों और रिश्तेदारों से अच्छे संबंध आपकी सफलता में सहयोगी बनेंगे। इसके अलावा सामाजिक कायों में सम्मिलित होने से भी आपके संबंध बेहतर होंगे। सप्ताह मध्य की अवधि आपके पारिवारिक प्रसन्नता के अनुकूल है। लेकिन किसी से वाद-विवाद या अन्य कुछ होने के कारण आपकी मानसिक शांति भंग होने की संभावना बन रही है। सप्ताह के शेष भाग में आप अत्यधिक व्यस्त रहेंगे। आपकी सलाह आपके मित्रों के काम आयेगी। शिक्षा प्राप्ति, स्वास्थ्य और संतान सुख के लिए यह एक अच्छा समय है। इसके अतिरिक्त सट्टा गतिविधियों, मनोरंजन और भावनात्मक संबंधों के लिए भी यह समय उतना ही फायदेमंद रहेगा।

12. मीन राशि

सप्ताह की शुरुआत में आपकी समृद्धि, परिवार में एकता और अखंडता के संकेत मिल रहे हैं। परिवार के सभी सदस्य आपसी रिश्तों को मजबूत करने के लिए प्रयासरत रहेंगे। परिवार में शुभ समारोह संपन्न होने की संभावना रहेगी। सप्ताह के मध्य में आप सामाजिक गतिविधियों में भाग लेंगे और परिवार के सदस्यों का उत्साहजनक रवैया आपके आत्मविश्वास में वृद्धि करेगा। आपको अपने दोस्तों, रिश्तेदारों और भार्इ-बहन से बहुत स्नेह प्राप्त होगा। आपका स्वास्थ्य और आत्मविश्वास सप्ताह भर बरकरार रहेगा। हालांकि इस समय आपकी प्रगति का मार्ग बाधित नहीं हो रहा परन्तु सप्ताहांत में आपको मामूली मानसिक तनाव हो सकता है। आपको अपने माता-पिता की विशेष देखभाल करनी होगी।


सप्ताहिक राशिफल में जातक अपनी राशि से आने वाले वाले सात दिनों की सम्पूर्ण जानकारी ले सकता है | साप्ताहिक फलादेश में पूरे हफ्ते के राशि चक्र की गणना कर जातक के आने वाले सात दिनों के अच्छे और बुरे दिनो का सटीक अनुमान लगाया जाता |
आप सभी लोग राशिफल से भलीभाँति परिचित होंगे | दैनिक और मासिक राशिफल की तरह साप्ताहिक राशिफल भी राशिफल का रूप है, जिसमे जातक के पूरे हफ्ते की भविष्यवाणी की जाती | आप सभी लोग भलीभाँति जानते होगे की ग्रहों की स्थिति हर दिन करवट लेती है, और कभी-कभी तो यह सप्ताह भर के अंदर कई बार पूर्ण रूप से परिवर्तित हो जाती है, इस कारण जातक के लिए दैनिक राशिफल के साथ-साथ साप्ताहिक राशिफल का जानना बहुत जरूरी है |
साप्ताहिक राशिफल पूरे सप्ताह मे आने वाली दिक्कतों, मुसीबतें, पारिवारिक सुख-दुख, प्रोपर्टी, यात्रा विवरण, लाभ-हानि जैसी समस्त बातों की सम्पूर्ण जानकारी प्रदान करता है | साप्ताहिक राशिफल पढ़कर जातक आने वाले सात दिनो के भीतर की समस्याओं से रूबरू होने के लिए अपने आप को शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार कर लेता है, और जातक के लिए आने वाले सात दिन मंगलकारी होंगे या होगा अमंगल इसका भी पहले से ही अनुमान लग जाता |

साप्ताहिक फलादेश की गणना कैसे की जाती?

हम सभी जानते हैं कि एक सप्ताह मे सात दिन सोमवार, मंगलवार, बुधवार, बृहस्पतिवार, शुक्रवार, शनिवार और रविवार होते हैं | सातों दिन का समूह मिलकर बनता है माह, और माह जुड़ कर बनते हैं वर्ष | यदि देखा जाये तो सप्ताह जातक के लिए सबसे सूक्ष्म इकाई होती है, और हर कोई आने वाले दिनो को जाने के लिए आतुर होता है | अगर मनुष्य को अपना वर्तमान और भविष्य का पता चल जाय तो वह पहले से ही आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार हो जाएगा | आइये हम जानते हैं साप्ताहिक राशिफल गणना से जुड़ी कुछ जरूरी बातें |
साप्ताहिक राशिफल गणना के लिए बेहद जरूरी है भिन्न भिन्न राशियों के ग्रह, नक्षत्र, सूर्य, चन्द्रमा का सही अध्ययन, इन सभी का सही अध्ययन वही व्यक्ति कर सकता है जिसे खगोलशास्त्र, पिण्डो, और ज्योतिष ज्ञान मे पारंगत हासिल हो | ज्योतिष शास्त्र में कुल 12 राशियाँ हैं, जिन्हें मेष, वृष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुम्भ और मीन के नाम से जानते हैं | इन सभी राशियों कि अपनी इच्छा, गुण, अवगुण, ताकत, कमजोरी होती है | वैदिक ज्योतिष के अनुसार किसी भी जातक के जन्म के समय कि ग्रहों कि स्थिति का अध्ययन कर उसके भविष्यफल का सटीक अनुमान लगाया जा सकता है |

फ्युचर पॉइंट क्यूँ है खास?

आप भी जानना चाहते अपना साप्ताहिक राशिफल या अपनी कुण्डली कि सम्पूर्ण जानकारी तो फ्युचर पॉइंट के ज्योतिष विशेषज्ञ आपकी सम्पूर्ण मदद करेंगे | फ्युचर पॉइंट के अनुभवी ज्योतिष जातक के जन्म के समय चंद्रमा और ग्रहों की स्थिति का गहन अध्ययन कर बिना कोई शुल्क के आपकी साप्ताहिक राशिफल बताते हैं | आप हमारे अनुभवी ज्योतिषों से साप्ताहिक राशिफल के साथ शुभ अंक, रंग, रत्न, सभी मुखी रुद्राक्षों के बारे मे जानकारी प्राप्त कर सकते हैं |

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शनिश्चरी अमावस्‍या, सूर्यदेव और देवी छाया के पुत्र भगवान शनि के अवतरण दिवस के रूप में मनाया जाता है, इस उत्सव को शनि जयंती भी कहा जाता है। श्री शनि, शनि ग्रह को नियंत्रित करते हैं, और इनकी मुख्यतया शनिवार के दिन पूजा व अर्चना की जाती है। श्री शनिदेव को न्याय का देवता माना जाता है।
श्री हनुमान जी ने रावण की कैद से शनिदेव को मुक्त कराया था, इसलिए शनिदेव के कथनानुसार, जो भी भक्त श्री हनुमंत लाल की पूजा करते हैं, वे भक्त शनि देव के अति प्रिय और कृपा पात्र होते हैं। अतः शनिदेव के साथ-साथ हनुमान जी की पूजा का भी विधान माना गया है।
श्री शनिदेव के नाम
शनि देव को कोणस्थ, पिंगल, बभ्रु, रौद्रान्तक, यम, सौरि, शनैश्चर, मंद, पिप्पलाश्रय नाम से भी जाना जाता है।
मंत्र : ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नमः।, ऊँ शं शनैश्चाराय नमः।
अमावस्या मुहूर्त...
मई 21, 2020 को 21:38:10 से अमावस्या आरम्भ
मई 22, 2020 को 23:10:10 पर अमावस्या समाप्त
वहीं इसे ज्येष्ठ अमावस्या भी कहते हैं, इसी दिन शनि जयंती भी मनाई जाती है, अतः इस कारण से ज्येष्ठ अमावस्या का महत्व और भी बढ़ जाता है। इस दिन शनि देव के पूजन का विशेष विधान है।
सूर्य पुत्र शनि देव हिन्दू ज्योतिष में नवग्रहों में से एक हैं। मंदगति से चलने की वजह से इन्हीं शनैश्चर भी कहा जाता है। शनि जयंती के साथ-साथ उत्तर भारत में महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिये इस दिन वट सावित्री व्रत भी रखती हैं।
ज्येष्ठ अमावस्या/शनिश्चरी अमावस्या व्रत और धार्मिक कर्म...
ज्येष्ठ अमावस्या पर दान,धर्म, पिंडदान के साथ-साथ शनि देव का पूजन और वट सावित्री व्रत भी रखा जाता है। इस दिन होने वाले धार्मिक कर्मकांड इस प्रकार हैं-
: इस दिन नदी, जलाशय या कुंड आदि में स्नान करें और सूर्य देव को अर्घ्य देकर बहते जल में तिल प्रवाहित करना चाहिये।
: पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान करें और किसी गरीब व्यक्ति को दान-दक्षिणा दें।
: शनि देव को कड़वा तेल, काले तिल, काले कपड़े और नीले पुष्प चढ़ाएं। शनि चालीसा का जाप करें।
: वट सावित्री का व्रत रखने वाली महिलाओं को इस दिन यम देवता की पूजा करनी चाहिए और यथाशक्ति दान-दक्षिणा देना चाहिए।
ऐसे करें व्रत और पूजन
शनिवार की सुबह स्नान आदि करने के बाद एक साफ स्थान पर बैठें। आप चाहें तो मंदिर जाकर भी शनिदेव की पूजा कर सकते हैं। कई जगहों पर मान्यता है कि शनिदेव की मूर्ति घर में नहीं रखते हैं इसलिए मन ही मन शनिदेव का ध्यान करें। शनिदेव की पूजा के लिए सरसों तेल का दीया जलाएं और शनिदेव को नीले फूल अर्पित करें।
इस चमत्कारी मंत्र का जप है लाभकारी
रुद्राक्ष की माला से शनिदेव के मंत्रों का जप करें। बेहतर होगा कि आप 5 माला जप करें। शनि देव का बीज मंत्र- ओम प्रां प्रीं प्रौं शः शनैश्चराय नमः’ आप चाहें तो शनि पत्नी मंत्र और तांत्रिक मंत्र से भी जप कर सकते हैं।
पितरों को करें प्रसन्‍न
दशरथ कृत शनि स्तोत्र का 11 बार पाठ करना उत्तम रहेगा। इस अवसर पर पितरों को भी प्रसन्न करके आप जीवन में आ रही बाधाओं से मुक्ति पा सकते हैं। इसके लिए पीपल की पूजा करके पीपल के पत्तों पर 5 प्रकार की मिठाइयों को रखकर पितरों का ध्यान पूजन करें। पितरों को अर्पित किया गया प्रसाद घर नहीं लाएं, पूजन स्थल पर मौजूद लोगों में प्रसाद वितरण कर दें।
इन वस्‍तुओं का करें दान
शनि अमावस्या के दिन काले उड़द काले जूते, काले वस्‍त्र, तेल का दान और शनि महाराज की पूजा और दीपदान करना बहुत ही शुभ फलदायी कहा गया है। इससे शनि महाराज अपनी महादशा, अन्तर्दशा और गोचर के दौरान अधिक नहीं सताते हैं और परेशानियों का सामना करने की क्षमता भी देते हैं।
ये उपाय भी हैं काम के...
- इस दिन सुरमा, काले तिल, सौंफ आदि वस्‍तुओं से मिले जल से स्‍नान करने से ग्रहदशा दूर होती है।
- शनि अमावस्‍या के दिन शाम के वक्‍त पीपल के वृक्ष के चारों ओर 7 बार कच्‍चा सूत लपेटें। मन ही मन शनि मंत्र का जप करते रहें।
- यदि आपके ऊपर शनि की दशा चल रही है तो शनि अमावस्‍या के दिन काले घोड़े की नाल या नाव की सजह की कील का छल्‍ला बनाकर मध्‍यमा उंगली में धारण करें।
- शाम के वक्‍त पीपल के वृक्ष के नीचे तिल के तेल या फिर सरसों के तेल का दीपक जलाकर न्‍याय के देवता शनिदेव से क्षमा प्रार्थना करें।
भूलकर भी न करें इस दिन ये गलतियां...
: ऐसे भोजन से करें परहेज :
शनिश्‍चरी अमावस्‍या के दिन तामसिक भोजन जैसे मांस-मदिरा के सेवस से परहेज करना चाहिए और सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए। वैसे तो मांस-मदिरा का सेवन कभी नहीं करना चाहिए क्योंकि जीव-हत्या पापा है। इससे ना सिर्फ आपको पाप लगता है बल्कि आपका मन भी अशुद्ध होता है।
: ऐसे लोगों को न करें परेशान
शनिश्‍चरी अमावस्‍या के दिन कभी भी गरीब व असहाय लोगों को परेशान नहीं करना चाहिए। शनिदेव की कृपा पाने के लिए इसे अपनी आदत में जरूर बना लें। शनिदेव गरीबों का प्रतिनिधित्व करते हैं। जो गरीबों का अपमान करता है, उस पर शनिदेव की कभी कृपा नहीं रहती है।
: इन चीजों को घर ना लाएं
इस दिन भूलकर भी अपने घर पर लोहा और लोहे से बनी चीजें, नमक, काली उड़द दाल, काले रंग के जूते और तेल घर में नहीं लाना चाहिए। बताया जाता है इनको घर में लाने से दरिद्रता आती है। साथ ही इस दिन पढ़ाई-लिखाई से जुड़ी चीजें भी नहीं खरीदना चाहिए।
: पति-पत्नी ध्यान रखें यह बात
शनिश्‍चरी अमावस्‍या पर स्त्री और पुरुष दोनों को यौन संबंध बनाने से बचना चाहिए। गरुण पुराण के अनुसार, अमावस्या पर यौन संबंध बनाने से पैदा होने वाली संतान को जीवन में कई तरह के कष्टों का सामना करना पड़ सकता है। इस समय शरीर, बुद्धि तथा मन में समांजस्य बनाए रखना चाहिए।
: इन चीजों को ना खरीदें
शनिवार के दिन भूलकर भी कैंची नहीं खरीदनी चाहिए। इस दिन खरीदी गई कैंची रिश्तों में तनाव लाती है। अगर आपको कैंची खरीदनी है तो शनिवार के अलावा किसी और भी दिन आप खरीद सकते हैं। इस दिन काली मिर्च और काले तिल भी खरीदना अशुभ माना गया है।
: ऐसी जगहों पर जाने से बचें
अमावस्या की रात किसी भी तरह की सुनसान जगह जैसे श्मशान घाट या कब्रिस्तान जाने या उसके आस-पास घूमना से बचना चाहिए। अमावस्या की रात नकारात्मक शक्तियां सक्रिय हो जाती हैं। अमावस्या की रात ऐसी जगहों पर कई तरह की बुरी शक्तियां सक्रिय हो जाती हैं।
: सुबह देर तक न सोएं
अमावस्या की सुबह देर तक भूलकर भी नहीं सोना चाहिए। इस दिन सुबह जल्दी उठें और काले तिल डालकर स्नान करें। इसके बाद सूर्य देव को जल अर्पित करके पूजा-पाठ करना चाहिए।
: घर में ना करें ये कार्य
शनिश्‍चरी अमावस्‍या के दिन किसी भी तरह के वाद-विवाद से बचना चाहिए। घर में अशांति का वातावरण हमेशा नकारात्मक शक्ति को जन्म देता है। घर में वाद-विवाद होने से पितरों की कृपा नहीं मिलती है। इस दिन स्नान, दान से मोक्ष फल की प्राप्ति होती है।
ज्येष्ठ अमावस्या और शनि जयंती का महत्व
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ज्येष्ठ अमावस्या पर शनि देव का जन्म हुआ था, इसलिए ज्येष्ठ अमावस्या का धार्मिक महत्व और भी बढ़ जाता है। वैदिक ज्योतिष में शनि देव सेवा और कर्म के कारक हैं, अतः इस दिन उनकी कृपा पाने के लिए विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। शनि देव न्याय के देवता हैं उन्हें दण्डाधिकारी और कलियुग का न्यायाधीश कहा गया है। शनि शत्रु नहीं बल्कि संसार के सभी जीवों को उनके कर्मों का फल प्रदान करते हैं।
शनि जन्म कथा
शनि देव के जन्म से संबंधित एक पौराणिक कथा बहुत प्रचलित है। इस कथा के अनुसार शनि, सूर्य देव और उनकी पत्नी छाया के पुत्र हैं। सूर्य देव का विवाह संज्ञा से हुआ था और उन्हें मनु, यम और यमुना के रूप में तीन संतानों की प्राप्ति हुई। विवाह के बाद कुछ वर्षों तक संज्ञा सूर्य देव के साथ रहीं लेकिन अधिक समय तक सूर्य देव के तेज को सहन नहीं कर पाईं।
इसलिए उन्होंने अपनी छाया को सूर्य देव की सेवा में छोड़ दिया और कुछ समय बाद छाया के गर्भ से शनि देव का जन्म हुआ। हालांकि सूर्य देव को जब यह पता चला कि छाया असल में संज्ञा नहीं है तो वे क्रोधित हो उठे और उन्होंने शनि देव को अपना पुत्र मानने से इनकार कर दिया। इसके बाद से ही शनि और सूर्य पिता-पुत्र होने के बावजूद एक-दूसरे के प्रति बैर भाव रखने लगे।


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ऐस्ट्रो  धर्म : 

सूर्यदेव को पुत्र शनिदेव को न्याय का देवता भी माना जाता है। सप्ताह के दिनों में इनका दिन शनिवार माना गया है। वहीं इनका रंग काला व रत्न नीलम माना गया है। शनिवार का दिन विशेष रूप से शनिदेव का दिन माना जाता है।
पंडित सुनील शर्मा के अनुसार शनि का प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर सकारात्मक और नकारात्मक दोनों रूपों से पड़ सकता है। शानि के नकारात्मक प्रभाव काफी हानिकारक होते हैं जो व्यक्ति के जीवन को पूरी तरह से तहस नहस कर सकते हैं। यदि किसी व्यक्ति पर शनि की साढ़ेसाती या शनि की ढैय्या चल रही हो तो ऐसे में व्यक्ति शनिवार के दिन कुछ विशेष उपाय करके शनि ग्रह के हानिकारक प्रभावों से खुद को बचा सकता है।
शनिवार के कुछ ऐसे उपाय भी हैं, जिन्हें करने से शनि के काफी हानिकारक प्रभावों से छुटकारा मिलता सकता है। साथ ही माना जाता है कि इन्हें आजमाने से आपका दुर्भाग्य भी सौभाग्य में तब्दील हो सकता है।
इन ख़ास उपायों को करने से मिलता है मनवांछित फल...
: वैदिक ज्योतिष के अनुसार जिनके जीवन पर शनिदेव की कृपा होती है उन्हें जीवन के हर क्षेत्र में लाभ मिलता है। वहीं दूसरी तरफ यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि अपने हानिकारक प्रभाव डालता है तो ऐसी स्थिति में व्यक्ति को जीवन में बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
ऐसी मान्यता है कि शनि हर इंसान को उसके कर्मों के अनुसार ही फल देता है। हालाँकि शनिदेव को प्रसन्न कर और शनिवार के दिन कुछ विशेष उपायों को करने से जीवन में आने वाली विभिन्न परेशानियों से छुटकारा पाया जा सकता है।
: माना जाता है कि शनि ग्रह के अच्छे फल प्राप्त करने के लिए और बुद्धि एवं ज्ञान में वृद्धि के लिए यदि शनिवार को रात के समय अनार की कलम से किसी भोजपत्र पर चंदन से “ऊं हृीं” लिखकर पूजा अर्चना की जाए तो ये विद्यार्थियों के लिए लाभप्रद साबित होता है।
: जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के लिए यदि शनिवार के दिन चीटियों के आगे काला तिल, आटा और शक्कर मिलाकर रखा जाए तो इससे शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है।
: शनिदेव के हानिकारक प्रभावों से बचने के लिए, शनिवार को काली गाय को रोटी खिलाना, चिड़िया के आगे दाने डालना और काले कुत्ते को रोटी खिलाने से विशेष लाभ मिलता है।
: माना जाता है कि शनिवार के दिन यदि किसी जरुरतमंद को तेल से बना भोज्य पदार्थ खिलाया जाय तो इससे भी शनिदेव का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।
: वहीं जीवन पर पड़ने वाली शनि की बाधाओं से मुक्ति पाने के लिए शनिवार के दिन काले घोड़े की नाल या नाव की कील से बनी अंगूठी धारण करना विशेष फलदायी होता है।
: पंडित शर्मा का कहना है कि यदि आपके मन में कई दिनों से कोई ख़ास कामना है जिसकी पूर्ति नहीं हो पा रही है तो, इसके लिए शनिवार के दिन यदि आप शाम के वक़्त अपनी लम्बाई के अनुसार रेशमी लाल धागा लेते हैं और उसे पानी से अच्छी तरह से धोकर आम के पत्ते से लपेटने के बाद अपनी कामना का ध्यान करते हुए नदी में प्रवाहित करते हैं तो आपकी कामना पूरी हो सकती है।
: वे लोग जिनकी शनि की साढ़ेसाती या शनि की ढैय्या चल रही हो उन्हें हर शनिवार को पीपल के पेड़ की पूजा करनी चाहिए और उसके चारों तरफ सात बार परिक्रमा कर “ऊं शं शनैश्चराय नम:” मंत्र का जाप करना चाहिए इससे मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
: शनि के हानिकारक प्रकोप से बचने के लिए शनिवार के दिन यदि विशेष रूप से हनुमान चालीसा का पाठ किया जाए तो इससे भी अच्छा फल प्राप्त होता है।
: इसके अलावा यदि आप आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं तो शनिवार के दिन पीपल के पेड़ के नीचे चार मुख वाला दिया जलाएं। ऐसा करने से आर्थिक तंगी से निजात मिलती है और घर में सुख शांति का वास होता है।
: शनिवार के दिन गरीबों को यदि काला चना, काली उड़द दाल और काले कपड़े दान किए जाएं तो इससे शनि के हानिकारक प्रभावों को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
:शनिवार के दिन यदि आप किसी विशेष काम के लिए जा रहे हों तो, उसमें सफलता प्राप्त करने के लिए काले कपड़े पहन कर जाना शुभ फलदायी होता है।
: शनि की साढ़ेसाती या शनि की ढैय्या से मुक्ति पाने के लिए नियमित रूप से प्रत्येक शनिवार के दिन नीले रंग के फूल से शनिदेव की पूजा अर्चना करें और “ॐ शं शनैश्चराय नमः” मन्त्र का करीबन 108 बार जाप करें।
: शनिवार के दिन यदि तांबे के बर्तन में जल और तिल डालकर उसे शिवजी को अर्पित किया जाए तो इससे व्यक्ति के सभी रोगों का अंत होता है।
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ऐस्ट्रो  धर्म : 

ज्योतिष अर्थात ज्योति-विज्ञानं छह शास्त्रों में से एक है, इसे वेदों का नेत्र कहा गया है… ऐसी मान्यता है की वेदों का सही ज्ञान प्राप्त करने के लिए ज्योतिष में पारंगत होना आवश्यक है… महाप्रतापी त्रिलोकपति रावण जिसे चारो वेद कंठस्थ थे, ज्योतिष का सिद्ध ज्ञाता था.. उसने रावण संहिता जैसा ग्रंथ रचा था जिसके बल पर उसने शनी और यमराज तक को अपना दास बना लिया था… ज्योतिष ज्ञान से ही नारद त्रिकालज्ञ हुए.. भगवान कृष्ण, भीष्म पितामह, कर्ण आदि महान योद्धा भी ज्योतिष के अच्छे जानकर थे..
ब्रह्मा के मानस पुत्र भृगु ने भृगु-संहिता का प्रणयन किया. छठी शताब्दी में वरामिहिर ने वृहज्जातक, वृहत्सन्हिता और पंचसिद्धांतिका लिखी. सातवी सदी में आर्यभट ने ‘आर्यभटीय’ की रचना की जो खगोल और गणित की जानकारियाँ है… ऋषि पराशर रचित होरा शास्त्र ज्योतिष का सिद्ध ग्रन्थ है… नील कंठी वर्षफल देखने का एक अच्छा ग्रन्थ है… मुहूर्त देखने के लिए मुहूर्त चिंतामणि एक अच्छा ग्रन्थ है…भाव प्रकाश, मानसागरी, फलदीपिका, लघुजातकम, प्रश्नमार्ग भी बहुप्रचलित ग्रन्थ है… बाल बोध ज्योतिष, लाल किताब, सुनहरी किताब, काली किताब और अर्थ मार्तंड अच्छी पुस्तकें है… कीरो व बेन्ह्म जैसे अंग्रेज ज्योतिषियों ने भी हस्तरेखा ज्योतिष पर भी किताबें लिखी… नस्त्रेदाम्स की भविष्यवाणी विश्व प्रसिद्ध है…
पंचांग का ज्ञान——-
पंचांग दिन को नामंकित करने की एक प्रणाली है। पंचांग के चक्र को खगोलीय तत्वों से जोड़ा जाता है। बारह मास का एक वर्ष और 7 दिन का एक सप्ताह रखने का प्रचलन विक्रम संवत से शुरू हुआ। महीने का हिसाब सूर्य व चंद्रमा की गति पर रखा जाता है। गणना के आधार पर हिन्दू पंचांग की तीन धाराएँ हैं- पहली चंद्र आधारित, दूसरी नक्षत्र आधारित और तीसरी सूर्य आधारित कैलेंडर पद्धति। भिन्न-भिन्न रूप में यह पूरे भारत में माना जाता है। एक साल में 12 महीने होते हैं। प्रत्येक महीने में 15 दिन के दो पक्ष होते हैं- शुक्ल और कृष्ण। प्रत्येक साल में दो अयन होते हैं। इन दो अयनों की राशियों में 27 नक्षत्र भ्रमण करते रहते हैं।
पंचांग भारतवर्ष की ज्योतिष विधा का प्रमुख दर्पण है । जिससे समय की विभिन्न इकाईयों ज्ञान प्राप्त किया जाता है :- संवत्,महीना,पक्ष,तिथि,दिन आदि का विधाओ को जानने पंचांग एक मात्र साधन है । धार्मिक व सभी प्रकार शादी, मुण्डन,भवन निर्माण आदि तिथियों के समय पर अनुष्ठान का ज्ञान पंचांग द्वारा लगाया सकता है । काल रूपी ईश्वर के विशेष अगंभूत पंचांग है :- तिथि,नक्षत्र,योग,दिन के ज्ञान को सादर प्रणाम किया जाता है । आज इतना दैनिक में विशेष प्रचलित राशि फल ,ग्रह परिवर्तन, त्यौहार व व्रत आदि इसी पंचांग से देखा जाता है । प्राचीन काल में पंचांग के विशेष पांच अग है :- वार, तिथि, नक्षत्र, योग, करण थे । दिन-रात, सूर्य का अस्त-उदय, धडी पल और भारतीय समय का ज्ञान ,मौसम परिवर्तन भी इसीसे देखा जाता है
पंचांग के मुख्यत: तीन सिद्धान्त प्रयोग में लाये जाते हैं—-
सूर्य सिद्धान्त – अपनी विशुद्धता के कारण सारे भारत में प्रयोग में लाया जाता है।
आर्य सिद्धान्त – त्रावणकोर, मलावार, कर्नाटक में माध्वों द्वारा, मद्रास के तमिल जनपदों में प्रयोग किया जाता है, एवं ब्राह्मसिद्धान्त – गुजरात एवं राजस्थान में प्रयोग किया जाता है।
—विशेष—-
—-ब्राह्मसिद्धान्त सिद्धान्त अब सूर्य सिद्धान्त सिद्धान्त के पक्ष में समाप्त होता जा रहा है। सिद्धान्तों में महायुग से गणनाएँ की जाती हैं, जो इतनी क्लिष्ट हैं कि उनके आधार पर सीधे ढंग से पंचांग बनाना कठिन है। अतः सिद्धान्तों पर आधारित ‘करण’ नामक ग्रन्थों के आधार पर पंचांग निर्मित किए जाते हैं, जैसे – बंगाल में मकरन्द, गणेश का ग्रहलाघव। ग्रहलाघव की तालिकाएँ दक्षिण, मध्य भारत तथा भारत के कुछ भागों में ही प्रयोग में लायी जाती हैं।
सिद्धान्तों में अन्तर के दो महत्त्वपूर्ण तत्त्व महत्त्वपूर्ण हैं —–
वर्ष विस्तार के विषय में। वर्षमान का अन्तर केवल कुछ विपलों का है, और कल्प या महायुग या युग में चन्द्र एवं ग्रहों की चक्र-गतियों की संख्या के विषय में। यह केवल भारत में ही पाया गया है। आजकल का यूरोपीय पंचांग भी असन्तोषजनक है।
— ज्योतिष शास्त्र के महत्वपूर्ण भाग—-
१. पंचांग अध्ययन
२. कुंडली अध्ययन
३. वर्षफल अध्ययन
४. फलित ज्योतिष
५. प्रश्न ज्योतिष
६. हस्त रेखा ज्ञान
७. टैरो कार्ड ज्ञान
८. सामुद्रिक शास्त्र ज्ञान
९. अंक ज्योतिष
१०. फेंगशुई
११. तन्त्र मन्त्र यंत्र ज्योतिष आदि
पंचांग–
ज्योतिष सिखने के लिए पंचांग का ज्ञान होना परम आवश्यक है—- पंचांग अर्थात जिसके पाँच अंग है – तिथि, नक्षत्र, करण, योग, वार, इन पाँच अंगो के माध्यम से गृहों की चाल की गणित दर्शायी जाती है…
सौर मण्डल : —-
सौर मण्डल वह मंडल जिसमे हमारे सभी ग्रह सूर्य के एक निश्चित मार्ग पर पश्चिम से पूर्व दिशा की ओर सूर्य के गिर्द परिक्रमा करते रहते है ज्योतिस शास्त्र के अनुसार सौर परिवार बुध, शुक्र, पृथ्वी,चन्द्र ,मगंल, बृहस्पति ,शनियूरेनस, नेप्चून,प्लूटो |
बुध सबसे छोटा ग्रह और सूर्य के सबसे ज्यादा नजदीक है । सभी ग्रह स्वंय प्रकशित नही होते व सूर्य से प्रकाश लेकर अपनी कक्षा में सूर्य के गिर्द च्रक लगाते है । सूर्य से हमे प्रकाश,शक्ति, गर्मी,और जीवन मिलता है इस प्रकाश को पृथ्वी पर पहुँचने में साढ़े आठ मिनट लगभग है ।
पृथ्वी को सूर्य के गिर्द घूमते लगभग सवा 365 दिन लगते है तब एक चक्कर पूरा होता है । बुध को 88 दिन में चककर लगाता है । शुक्र 225 दिनों में, मंगल 687 दिनों में, बृहस्पति लगभग पौने बारह वर्षो में, शनि साढ़े 29 वर्षो में, यूरेनस 84 वर्षो में, नेपचून 165 वर्षो में, प्लूटो 248 वर्षो एवं 5 मासो में सूर्य के गिर्द परिक्रमा पूरा करता है । सभी ग्रह अपने पथ पर क्रान्तिवृत से 7-8 दक्षिणोत्तर होकर सूर्य की परिक्रमा कर रहे है|
उपग्रह हमेशा अपने ग्रहो के गिर्द घूमते है । पृथ्वी हमेशा सूर्य के गिर्द घूमती है । इस लिए आकाश गतिशील स्थिति में रहता है । यह गति लगभग 30 किलोमीटर प्रति सेकेन्ड है ।
काल विभाजन—–
सूर्य के किसी स्थिर बिंदु (नक्षत्र) के सापेक्ष पृथ्वी की परिक्रमा के काल को सौर वर्ष कहते हैं। यह स्थिर बिंदु मेषादि है। ईसा के पाँचवे शतक के आसन्न तक यह बिंदु कांतिवृत्त तथा विषुवत्‌ के संपात में था। अब यह उस स्थान से लगभग 23 पश्चिम हट गया है, जिसे अयनांश कहते हैं। अयनगति विभिन्न ग्रंथों में एक सी नहीं है। यह लगभग प्रति वर्ष 1 कला मानी गई है। वर्तमान सूक्ष्म अयनगति 50.2 विकला है। सिद्धांतग्रथों का वर्षमान 365 दिo 15 घo 31 पo 31 विo 24 प्रति विo है। यह वास्तव मान से 8। 34। 37 पलादि अधिक है। इतने समय में सूर्य की गति 8.27″ होती है। इस प्रकार हमारे वर्षमान के कारण ही अयनगति की अधिक कल्पना है। वर्षों की गणना के लिये सौर वर्ष का प्रयोग किया जाता है। मासगणना के लिये चांद्र मासों का। सूर्य और चंद्रमा जब राश्यादि में समान होते हैं तब वह अमांतकाल तथा जब 6 राशि के अंतर पर होते हैं तब वह पूर्णिमांतकाल कहलाता है। एक अमांत से दूसरे अमांत तक एक चांद्र मास होता है, किंतु शर्त यह है कि उस समय में सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में अवश्य आ जाय। जिस चांद्र मास में सूर्य की संक्रांति नहीं पड़ती वह अधिमास कहलाता है। ऐसे वर्ष में 12 के स्थान पर 13 मास हो जाते हैं। इसी प्रकार यदि किसी चांद्र मास में दो संक्रांतियाँ पड़ जायँ तो एक मास का क्षय हो जाएगा। इस प्रकार मापों के चांद्र रहने पर भी यह प्रणाली सौर प्रणाली से संबद्ध है। चांद्र दिन की इकाई को तिथि कहते हैं। यह सूर्य और चंद्र के अंतर के 12वें भाग के बराबर होती है। हमारे धार्मिक दिन तिथियों से संबद्ध है1 चंद्रमा जिस नक्षत्र में रहता है उसे चांद्र नक्षत्र कहते हैं। अति प्राचीन काल में वार के स्थान पर चांद्र नक्षत्रों का प्रयोग होता था। काल के बड़े मानों को व्यक्त करने के लिये युग प्रणाली अपनाई जाती है। वह इस प्रकार है:
कृतयुग (सत्ययुग) 17,28,000 वर्ष
द्वापर 12,96,000 वर्ष
त्रेता 8, 64,000 वर्ष
कलि 4,32,000 वर्ष
योग महायुग 43,20,000 वर्ष
कल्प 1000 महायुग 4,32,00,00,000 वर्ष
सूर्यसिद्धांत में बताए आँकड़ों के अनुसार कलियुग का आरंभ 17 फ़रवरी 3102 ईo पूo को हुआ था। युग से अहर्गण (दिनसमूहों) की गणना प्रणाली, जूलियन डे नंबर के दिनों के समान, भूत और भविष्य की सभी तिथियों की गणना में सहायक हो सकती है।
समय की निशिचत आधार होता है । सयम का आधार सूर्य ही है । यह समय ही सूर्य के वश चक्रवत परिवतिर्त होता है । मनुष्य के सुख-दुःख, और जीवन -मरण काल पर आधरित होता है और उसी में लीन हो जाता है । भच्रक में भ्रमण करते हुए सूर्य के एक च्रक को एक वर्ष की संज्ञा दी जाती है । समय का विभाजन धण्टे,मिनट और सेंकिड है ज्योतिष विज्ञानं के रूप अहोरात्र,दिन,घड़ी,पल,विपल आदि है । हिन्दुओं में समय का बटवारा एक विशेष प्रणाली से होता है । यह ततपर से आरम्भ और कल्प पर समाप्त होता है । एक कल्प 4,32,0 000,000 सम्पात वर्षों के बराबर होता है । हिन्दुओं में एक दिन सूर्य उदय से अगले सूर्य उदय पर समाप्त होता है ।
१ पलक छपकना – 1 निमेष
३ निमेष – १ क्षण
५ क्षण – १ काष्ठ
१५ काष्ठा – १ लधु
१५ लधु – १ घटी (24 मिनट )
२ -१/२ घटी – १ घंटा
६० घटी – २४ घण्टे
२ घटी = १ मुहूर्त
३० मुहूर्त = 1 दिन-रात यानि अहोरात
१ याम = एक दिन का चौथा हिस्सा ( 1 प्रहर )
8 प्रहर = 1 दिन -रात
7 दिन -रात = 1 सप्ताह
4 सप्ताह = 1 महीना
12 मास = 1 वर्ष (365 -366 दिनो)
घण्टो- मिनटों को हिन्दुओ धर्मशास्त्र के अनुसार पलों में परिवर्तन करना और उन नियम अनुसार देखना :-
1 मिनट – 2 -1/2 पल
4 मिनट – 10 पल
12 मिनट- 30 पळ
24 मिनट – 1 घटी
60 मिनट – 60 घटी यानि 1 घण्टा
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार समय :-
60 विकला = 1 कला
60 कला = 1 अंश
30 अंश = 1 राशि
12 राशि = मगण
सूर्योदय से सूर्यास्त तक = एक दिन या दिनमान
सूर्यास्त अगले दिन सूर्योदय = रात्रिमान
उषाकाल = सूर्याद्य से 8 घटी पहले
प्रात:काल = सूर्यादय से 3 घटी तक
संध्याकाल =सूर्यास्त से 3 घटी तक
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आचार्य रणजीत स्वामी  
आज के भौतिक युग में एक फैशन सा हो गया है कि लोग उन्हे जाने, पहचाने, मान दे, सम्मान दें अर्थात् हर व्यक्ति चाहता है एक यथोचित प्रसिद्धि।
लोगों मे योग्यता भी होती है, अवसर भी मिलते हैं, प्रयास भी किए जाते हैं परन्तु सबके बावजू़द सफलता नही मिल पाती या कम मिलती है इस कारण कभी-कभी लोग निराश भी हो जाते हैं, कि पूरी मेहनत के बाद भी यथोचित उपलब्धि क्यों नही मिल पा रही है, इन अड़चनो को और मार्ग की बाधाओं को सरल बनाता है घर में वास्तु के अनुसार थोड़ा-बहुत हेर-फेर ।
यदि कोई व्यक्ति भारतीय वास्तुशास्त्र के नीचे लिखे नियमों का पालन अपने निवास स्थान, व्यवसाय स्थल या आफीस मे करे तो वह अपने जीवन मे यथोचित प्रसिद्धि पा सकता है—-
1 निवास एवं व्यवसाय स्थल की उत्तर, पूर्व एवं ईशान दिशा का दबी, कटी एवं गोल होना काफी अशुभ होता है जबकि इसका बड़ा होना बहुत शुभ होता है। अतः यदि दबी, कटी या गोल हो तो इन्हे ठीक करवाकर समकोण करना चाहिये।

2 भवन के उत्तर, पूर्व एवं ईशान में भुमिगत पानी की टंकी, कुआ या बोर होना बहुत शुभ होता है। इससे आर्थिक सम्पन्नता के साथ-साथ प्रसिद्धि भी मिलती है।
उपरोक्त दिशाओं के अलावा अन्य किसी भी दिशा में होना अशुभ होता है। भवन के मध्य मे तो किसी भी प्रकार का गढ्ढा, कुआ, बोरींग इत्यादि होने से गृहस्वामी पर भयंकर आर्थिक संकट एवं अपयश मिलता है। अतः इसको जितना जल्दी हो सके भर देना चाहिये।

3 यदि आप ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) में बेडरूम बनाएंगे तो इस कमरे में सोने वाला कम से कम आठ-दस घंटे तो यहां बिताएगा ही।
4 किसी भी व्यक्ति के लिए ऊर्जा से परिपूर्ण इस क्षेत्र में इतने लंबे समय तक रहने का मतलब है खुद का नुकसान। क्योंकि इस जगह पर किसी को भी इतनी देर नहीं रहना चाहिए।

5 यदि आपने यह कमरा अपने बेटे को दिया है तो संभव है उस पर मोटापा हावी हो जाए। जिसके परिणामस्वरूप वह सुस्त और ढीला हो जाएगा। इससे उसमें हीन भावना आ जाएगी।।   
6 अगर बेटी को यह कमरा दिया गया है तो वह चिड़चिड़े स्वभाव की और झगड़ालू हो जाएगी। इतना ही नहीं, उसे कम उम्र में ही स्त्री रोगों से जुड़ी समस्याएं भी झेलना पड़ सकती हैं।

7 किसी दंपत्ति का बेडरूम बनाने के लिए ईशान कोण अशुभ फलदायी जगह है। किसी नव विवाहित दंपत्ति को तो भूलकर भी ईशान कोण में अपना बेडरूम नहीं बनाना चाहिए।
8 नवविवाहिता अगर ईशान कोण पर बने बेडरूम में रहती है तो यह निश्चित है कि या तो वह गर्भधारण ही नहीं कर पाएगी या उसे बार-बार गर्भपात का शिकार होना पड़ेगा।
9 ईशान कोण पर बने बेडरूम में सोने वाले दंपतियों को शारीरिक, मानसिक, आर्थिक और आध्यात्मिक तरह की कठिनाइयां झेलना पड़ सकती हैं।।             
10 आवासीय भवन में ड्रांइग रूम के लिए पूर्व , उत्तर एंव ईशान कोण का क्षेत्र उचित है। ईशान कोण में अधिक से अधिक स्थान खाली रखें। अन्यथा पूर्व और उत्तर दिशा के क्षेत्र को खाली या हल्के रखें। उत्तर एंव पूर्व दिशा की सकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि के लिए इन दिशाओं में बड़ी-बड़ी खिड़कियाँ अथवा स्लाइडिंग दरवाजों का प्रावधान रखें।
11 निवास एवं व्यवसाय स्थल का उत्तर, ईशान व पूर्व का भाग दक्षिण, नैऋत्य व पश्चिम के मुकाबले नीचा होना चाहिये।
12 निवास एवं व्यवसाय स्थल के मुख्य द्वार के सामने द्वार वैध नही होना चाहिये जैसे बिजली का खम्बा, स्तम्भ, वृक्ष, खुली नाली या कोई सामने के भवन का धारदार कोना इत्यादि।
13 व्यक्ति को अफीस या घर मे कही पर भी लटकती बीम या दुछत्ती के नीचे बैठना या लेटना नहीं चाहिये।
14 ईशान कोण मे टायलेट होने से पैसा बर्बाद होता है स्वास्थ्य खराब होता है और अपयश मिलता है।
15 ईशान क्षेत्र में कभी भी बच्चों का बेडरूम न बनाएं। अगर आप ने यहां पूजा घर नहीं बनाया है तो यहां बच्चों के लिए स्टडी रूम बना सकत
16 अगर ईशान ऊँचा हो तो धन हानि,संतान हानि एवम् अनेक परेशानिया हो सकती है।
17 यदि ईशान में रसोई हो तो गृह कलह व् धन हानि होती है
18 पूर्वी दिशा का क्षेत्रफल घट कर पूर्वी  सीमा  पर भवन निर्माण हो तो गृहस्वामी की तीसरी पीढ़ी में वंश ही खत्म हो जाता है।
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वास्तु और फेंगशुई पूरी तरह से सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा के सिद्धांतों पर ही काम करता है। घर में सकारात्मक वातावरण और सकारात्मक वस्तुएं रहेंगी, तो निश्चित ही हमें कार्यों में भी सफलता प्राप्त होगी और धन संबंधी परेशानियों से मुक्ति मिलेगी। वास्तु के अनुसार 8 दिशाएं बताई गई हैं। इन आठों दिशाओं का अलग-अलग महत्व है और हर दिशा के लिए अलग-अलग नियम हैं।यदि घर में किसी दिशा में कोई गलत वस्तु रखी है, तो इसका बुरा असर वहां रहने वाले सभी सदस्यों पर पड़ता है। जानिए, घर की किस दिशा में किन बातों का ध्यान रखना चाहिए…
 उत्तर-पूर्व दिशा                 (ईशान कोण)
यह दिशा दैवीय शक्तियों के लिए श्रेष्ठ होती है। इस दिशा का प्रतिनिधित्व स्वयं दैवीय शक्तियां ही करती हैं। इसलिए यहां मंदिर होना बहुत शुभ रहता है। इस स्थान पर हमेशा साफ-सफाई रहनी चाहिए। इस स्थान पर मंदिर के साथ ही पानी से संबंधित उपकरण भी रखे जा सकते हैं। यदि कोई स्त्री अविवाहित है, तो उसे इस कोने में सोना नहीं चाहिए। इस कोने में कोई अविवाहित स्त्री सोती है तो उसके विवाह में विलंब हो सकता है या स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। घर के इस कोने में बाथरूम और टॉयलेट नहीं होना चाहिए। साथ ही, यहां भारी वस्तुएं भी नहीं रखें।


दक्षिण-पूर्व दिशा।            (आग्नेय कोण)

इस कोण का प्रतिनिधित्व अग्नि करती है। इसलिए इस दिशा में विशेष ऊर्जा रहती है। इस स्थान पर रसोईघर होना सबसे अच्छा रहता है। यहां विद्युत उपकरण भी रखे जा सकते हैं। अग्नि स्थान होने के कारण यहां पानी से संबंधित चीजें नहीं रखनी चाहिए। आग्नेय कोण में खाना भी नहीं खाना चाहिए, यानी इस स्थान पर डायनिंग हॉल अशुभ होता है।
दक्षिण-पश्चिम दिशा          (नैऋत्य कोण)
इस स्थान का प्रतिनिधित्व पृथ्वी तत्व करता है। इसीलिए यहां प्लांट रखना बहुत शुभ होता है। पौधों में यह शक्ति होती है कि वे हर प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा को ग्रहण कर सकते हैं। इस स्थान पर पौधे रखेंगे, तो आपके घर की पवित्रता और सकारात्मकता बनी रहती है।
यहां मुख्य बेडरूम भी शुभ फल देता है। इसके अलावा, यहां स्टोर रूम भी बनाया जा सकता है। नैऋत्य कोण में भारी वस्तुएं भी रखी जा सकती हैं। यहां कार पार्किंग का स्थान का बनाया जा सकता है। इन बातों का ध्यान रखेंगे तो आपके घर में ऊर्जा का संतुलन बना रहेगा।
उत्तर-पश्चिम दिशा             (वायव्य कोण)
वायु इस कोण का प्रतिनिधित्व करती है। इस वजह से यहां खिड़की या रोशनदान का होना बहुत शुभ रहता है। यहां ताजी हवा के लिए स्थान होगा तो हमें स्वास्थ्य संबंधी कई लाभ प्राप्त होते हैं। यहां ताजी हवा आने का स्थान होगा, तो कुछ ही दिनों में पारिवारिक रिश्तों में मधुरता आ जाती है।

घर में किसी प्रकार का क्लेश नहीं होता है और ना ही स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां रहती हैं। इस स्थान पर कन्या का कमरा बनाया जा सकता है। यहां मेहमानों के रहने की व्यवस्था की जा सकती है। यहां दूसरे फ्लोर पर जाने के लिए सीढ़ियां भी बनाई जा सकती हैं।

पूर्व दिशा
इस दिशा से आपके घर में खुशियां और सकारात्मक ऊर्जा आती है। इस वजह से यहां मुख्य दरवाजा बनाया जा सकता है। यहां खिड़की, बालकनी बनाई जा सकती है। यहां पर बच्चों के लिए कमरा भी बनवाया जा सकता है। यदि आप इस स्थान पर पढ़ाई या अध्ययन संबंधी कार्य करते हैं तो आपका मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए। आपके घर में यदि यहां रसोईघर है, तो खाना बनाते समय आपका मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए।

यदि यह संभव न हो तो आप अपना मुख पश्चिम दिशा की ओर भी रख सकते हैं, लेकिन ध्यान रहे कि इस स्थान पर खाना बनाते समय आपका मुख दक्षिण दिशा की ओर नहीं होना चाहिए। ऐसा होने पर स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां हो सकती हैं और यह वास्तु दोष उत्पन्न करता है।

पश्चिम दिशा
वास्तु के अनुसार, इस दिशा के स्वामी वरुण देव हैं। इस स्थान पर डायनिंग हॉल बनवा सकते हैं। यहां सीढ़ियां बनवाई जा सकती हैं। यहां कोई भारी निर्माण कार्य भी करवाया जा सकता है। पश्चिम दिशा में दर्पण लगाना भी बहुत शुभ होता है। यहां बाथरूम भी बनवाया जा सकता है। गेस्ट रूम भी बनवाया जा सकता है। यहां स्टडी रूम भी शुभ फल प्रदान करता है।


उत्तर दिशा

इस दिशा का प्रतिनिधित्व धन के देवता करते हैं। इस वजह से यहां नकद धन और मूल्यवान वस्तुएं रखी जा सकती हैं। यहां मुख्य दरवाजा भी श्रेष्ठ फल देता है। यहां बैठक की व्यवस्था भी की जा सकती है या ओपन एरिया भी रखा जा सकता है। यहां बाथरूम भी बनवा सकते हैं। ध्यान रखें, इस दिशा में बेडरूम नहीं बनवाना चाहिए। यहां स्टोर रूम, स्टडी रूम या भारी मशीनरी नहीं होनी चाहिए।
दक्षिण दिशा

यह स्थान मृत्यु के देवता का स्थान है। यहां भारी सामान रखा जा सकता है। इस स्थान पर रसोईघर भी हो सकता है। यहां पानी का टैंक बनवा सकते हैं और सीढ़ियां बनवा सकते हैं। यहां बच्चों का कमरा नहीं बनवाना चाहिए। स्टडी रूम, बाथरूम और खिड़की नहीं होनी चाहिए। यदि इस स्थान पर बेडरूम है तो सोते समय हमारा सिर दक्षिण दिशा की ओर होना चाहिए।

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