Articles by "Top Story"
Showing posts with label Top Story. Show all posts
 एस्ट्रो धर्म :



होली का पर्व देशभर के हर हिस्से में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। होली की धूम और प्रसिद्धि की बात की जाए तो ब्रज की होली विश्वभर में बहुत प्रसिद्ध है। ब्रज की होली की परंपराएं बहुत ही अनोखी व जीवंत मानी जाती है। बरसाना की लट्ठमार होली का त्योहार देखने लाखों लोग यहां आते हैं। वहीं बरसाना में कटारा हवेली स्थित एक मंदिर है ब्रज दूलह मंदिर जहां ब्रज की राधा स्वरुप हरियारी कृष्ण को लाठियां मारती हैं। यहां की परंपरा अनुसार आज भी श्री कृष्ण की लाठियों से पिटाई होती है।

यहां सिर्फ महिलाएं करती है पूजा
बरसाना के कटारा हवेली स्थित ब्रज दूलह मंदिर बहुत प्रसिद्ध मंदिर है। मंदिर की खासियत है की यहां सिर्फ महिलाएं ही पूजा करती हैं। मान्यताओं के अनुसार यह मंदिर रूपराम कटारा ने बनवाया था। इसलिये यहां आज भी उनके परिवार की महिलाएं ब्रज दूलह के रूप में विराजमान भगवान श्री कृष्ण की पूजा करती हैं और यही नहीं यह मंदिर ब्रज का इकलौता ऐसा मंदिर है जहां श्री विग्रह कृष्ण को लाठियां मारी जाती है।
कटारा परिवार आज भी करता है नंदगांव के हुरियारे का स्वागत
लठामार होली वाले दिन नंदगांव के हुरियारे कटारा हवेली पहुंच कर श्रीकृष्ण से होली खेलने को कहते हैं। कटारा परिवार द्वारा हुरियारों का स्वागत किया जाता है। उनको भाग और ठंडाई पिलाई जाती है। ब्रज दूलह मंदिर की सेवायत की राधा कटारा ने बताया कि भगवान श्री कृष्ण कटारा हवेली में ब्रज दूलह के रूप में विराजमान हैं। यहां सभी व्यवस्थाएं महिलाएं करती हैं। होली के दिन लठामार होली की शुरुआत ब्रज दूलह के साथ होली खेलते हुए होती है।
इसलिये यहां का नाम ब्रज दूलह पड़ गया
पौराणिक मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण गोपियों को कई तरह से परेशान किया करते थे। कभी उनकी मटकी फोड़ देते तो कभी माखन चुरा कर खा लेते थे। एक बार बरसाना की गोपियों ने कृष्ण को सबक सिखाने की योजना बनाई। उन्होंने कृष्ण को उनके सखाओं के साथ बरसाना होली खेलने का न्यौता दिया। श्रीकृष्ण और ग्वाल जब होली खेलने बरसाना पहुंचे तो उन्होंने देखा कि बरसाना की गोपियां हाथ में लाठियां लेकर खड़ी हैं। लाठियां देख ग्वाल-बाल भाग गए। जब श्रीकृष्ण अकेले पड़ गए तो गायों के खिरक में जा छिपे। जब गोपियों ने कान्हा को ढूंढा और यह कह कर बाहर निकाला कि ‘यहां दूल्हा बन कर बैठा है, चल निकल बाहर होली खेलते हैं’। इसके बाद गोपियों ने श्रीकृष्ण के साथ जमकर होली खेली। तभी से भगवान का एक नाम ब्रज दूलह भी पड़ गया।
Aaj Ki Delhi.in/ The 24x7 news/ Indian news Online/ Prime News.live/Astro Dharm/ Yograaj Sharma/ 7011490810
एस्ट्रो धर्म :


भगवान शिव को सनातन धर्म के प्रमुख देवों में से एक माना गया है। आदि पंच देवों में जहां महादेव को खास स्थान प्राप्त है वहीं देवाधिदेव को संहार का देवता माना जाता है। सोमवार का दिन भगवान शिव का प्रमुख दिन माना गया है, ऐसे में आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जो कई मायनों में खास है। यहां तक की माना जाता है कि इस शिवलिंग की रखवाली खुद नाग करते हैं।
हम बात कर रहे हैं मध्यप्रदेश के ग्वालियर में स्थित भगवान शिव के उस धाम की जहां स्वयं नागों ने शिवलिंग की रक्षा के लिए मुगल सैनिकों पर तक हमला कर दिया था।
जानकारों के अनुसार ग्वालियर शहर में कोटेश्वर महाराज का मंदिर पूरे अंचल की आस्था का केन्द्र है। मंदिर में जो शिवलिंग है वो दिव्य है और सदियों पुराना है। कोटेश्वर महादेव के शिवलिंग को तोडऩे की कोशिश तत्कालीन मुगल बादशाह औरंगजेब ने भी की थी, लेकिन वो इसका कुछ नहीं बिगाड़ सके। बताया जाता है कि औरंगजेब के इस हमले के दौरान नागों ने शिवलिंग की रक्षा की थी।
ऐसे मिला कोटेश्वर महादेव नाम
कोटेश्वर महादेव का मंदिर पहले ग्वालियर दुर्ग पर स्थित था। 17 वीं शताब्दी में मुगल शासक औरंगजेब जब हिन्दू देवी देवताओं के मंदिर को तहस-नहस कर रहा था, तो ग्वालियर दुर्ग स्थित यह प्राचीन मंदिर भी उनके निशाने पर था। औरंगजेब की इस बर्बरता का शिकार कोटेश्वर महादेव मंदिर भी हुआ।
हमले के बावजूद शिवलिंग को नुकसान नहीं पहुंचा पाए औरंगजेब के सैनिक...
कहा जाता है कि जब औरंगजेब के सैनिक मंदिर को लूट रहे थे और तभी नागों ने इस दिव्य शिवलिंग को अपने घेरे में ले लिया, जिससे सैनिक शिवलिंग को नुकसान नहीं पहुंचा पाए।
लोगों के अनुसार मंदिर उजाड़ने का आदेश औरंगजेब ने अपने सैनिकों को दिया था। सैनिकों ने बाबा के मंदिर से शिवलिंग को उखाड़ने का प्रयास किया जिसके बाद वहां पर सैकड़ों की संख्या में नाग पहुंच गए और उन्होंने सैनिकों को डंस लिया था।
इसके बाद ये शिवलिंग दुर्ग से हटकर किले की कोटे में आ गिरा। किले के कोटे में शिवलिंग मिलने के कारण शिवलिंग को कोटेश्वर महादेव कहा गया।
जीवाजी राव सिंधिया ने करवाया था भव्य मंदिर का निर्माण
औरंगजेब के हमले के बाद कोटेश्वर मंदिर में रखा शिवलिंग सदियों तक किले की तलहटी में दबा रहा। मंदिर से जुड़े लोग बताते हैं कि संत देव महाराज को स्वप्न में नागों के द्वारा रक्षित मूर्ति के दर्शन हुए, उनके कानों में उसे बाहर निकलवा कर पुनस्र्थापित किए जाने का आदेश गूंजा। महंत देव महाराज के अनुरोध पर जीवाजी राव सिंधिया ने किला तलहटी में पड़े मलवे को हटा कर प्रतिमा को निकाला और संवत 1937-38 में मंदिर बनवा कर उसमें मूर्ति की पुन:प्रतिष्ठा करवाई।
ये भी है खास...
वहीं पूर्व में जब किले पर स्थित शिव मंदिर में अभिषेक होता था, तो यह जल मंदिर से नीचे बने एक छोटे से कुंड में एकत्रित होता था। इस कुंड से पाइप लाइन से यह पानी बहकर नीचे आता था। जो कि एक बड़े कुंड में एकत्रित होता था। इस कुंड में नीचे तक जाने की किसी को इजाजत नहीं थी।
जिसे भी अभिषेक किए गए जल का प्रसाद लेना होता था वह सीढ़ियों पर खड़े होकर जल ग्रहण कर लेता था। यहां से यह जल किले की पहाड़ी में वाटर हार्वेस्टिंग के जरिए पहुंचता था। वहीं वर्तमान में कोटेश्वर महादेव मंदिर के ठीक पीछे पहले बंजारों का शिव मंदिर और दो बावड़ी थीं। औरगंजेब ने इस मंदिर से शिवलिंग को निकालकर इसी बावड़ी में फेंक दिया था, यह बावड़ी लगभग 12 मंजिला गहरी है।
Aaj Ki Delhi.in/ The 24x7 news/ Indian news Online/ Prime News.live/Astro Dharm/ Yograaj Sharma/ 7011490810
खबर - विकास कनवा
रक्षा बंधन पर बहिनों ने बांधी शहीद भाईयों के राखी      

दोपहर बाद शुरू हुआ राखी बांधने का सिलसिला 
उदयपूरवाटी। भाई बहिन का लोकपर्व त्यौहार रक्षाबध्ंान शनिवार को धूमधाम से मनाया गया।रक्षाबंधन के पावन पर्व पर उन बहिनो ने अपने भाई को भारत मां की सुरक्षा के दौरान अपने भाई को ड्यूटी पर जाते वक्त जिन्दा देखा और जब भारत मां के उपर कोई विपदा आये तो उन मां के सैनिकों ने अपने बलिदान को न्यौछावर कर भी अपनी भारत मां के उपर से विपदा टालने का काम किया और यूद्व के दौरान अपनी मां के सुरक्षा के लिये उनके मन में मारने और मरने जैसी बाते उनके मन में रहती थी।इस पावन अवसर पर अपनी भाई की कलाई पर राखी बाध्ंाने के लिये भारत मां के लिये शहीद होने वाले भाई को उसके स्मार्क स्थल पर राखी लेकर पहुँची और अपने शहीद भाई को राखी बांधी और उसके गले लगकर रोने लगी।और भगवान से दुआये की मेरे भाई की आत्मा को शांति प्रदान कर स्वर्ग में जगह देना ।बहन और भाई के प्यार को कभी भुला नही सकते और भाई बहिन आपस में लडते झगडते भी है उसके तुरन्त बाद वैसे के वैसे ही हो जाते है। भगवान ने भाई बहिन की एक ऐसी अनमोल जोडी बनाई है।रंक्षा बंधन के पर्व पर शहीद शंकरसिंह चैधरी की प्रतिमा पर उसकी बहिन ने ज्यो ही राखी बांधी तो उसकी आंखे आसूओं से भर आई।शनिवार को रंक्षा बंधन को लेकर कस्बे के मुख्य बस स्टैण्डों पर महिलाओं की भीड नजर आई।राजस्थान सरकार के द्वारा रंक्षाबधंन के पावन त्यौहार पर महिलाओं के लिये रोडवैज बसों में निःशुल्क यात्रा करवाई जा रही थी ।जिसकों लेकर रोडवेज बसों में महिलाये ज्यादा नजर आई और पुरूष यात्रीयों को यात्रा के दौरान बसों की छत पर बैठना नसीब हुआ और वो इस तेज धूप के अन्दर तपते हुए अपने गतन्य स्थान की और रवाना हुए।जिसके बाद में अपनी प्यारी बहिना से राखी बधंवाई ।और कुछ अच्छा करने की,एवं धुम्रपान न करने,एंव शराब नही पीने की शपथ लेकर राखी बंधवाई।
Aaj Ki Delhi.in/ The 24x7 news/ Indian news Online/ Prime News.live/Astro Dharm/ Yograaj Sharma/ 7011490810

खबर - हिमांशु मिढ़ा 
हनुमानगढ़।  टाऊन स्थानिय माहेश्वरी समाज द्वारा आज महेश नवमी के उपलक्ष में श्री लक्ष्मीनारायण मन्दिर नई धान मंडी हनुमानगढ़ टाऊन में भगवान शिव का रूद्वाभिषेक किया गया । इस अवसर पर माहेश्वरी सभा,माहेश्वरी युवा संगठन,माहेश्वरी महिला संगठन के सभी सदस्य उपस्थित थे । रूद्वाभिषेक के पश्चात माहेश्वरी महिला संगठन द्वारा भजन कीर्तण का आयोजन किया गया। रूद्वाभिषेक के पश्चात भगवान शिव कि शोभा याक्षा निकाली गई जो नई धान मंडी से रवाना होकर माहेश्वरी भवन पर पहुची इस शोभा यात्रा में माहेश्वरी सभा के ओम प्रकाश माहेश्वरी,बृजरतन चाण्डक,किशनलाल चाण्डक,रतन लाहोटी,रविशंकर मून्धड़ा,गोपाल पचीसिया व अन्य माहेश्वरी बंधु मौजूद थे । माहेश्वरी भवन में भगवान शिव की आरती के बाद प्रसाद वितरण किया गया व अल्पहार का आयोजन किया गया । 
Aaj Ki Delhi.in/ The 24x7 news/ Indian news Online/ Prime News.live/Astro Dharm/ Yograaj Sharma/ 7011490810

बीकानेर। धार्मिक और सांस्कृतिक चेतना का प्रमुख केन्द्र बन चुका श्रीलालेश्वर महादेव मन्दिर शिवमठ, शिवबाड़ी के 136वें  प्रतिष्ठा महोत्सव कार्यक्रम के अन्तर्गत आज शिवालय परिसर में मुख्य कार्यक्रम का आयोजन बड़ी धूमधाम और  हर्षोउल्लास के वातावरण में स्वामी संवित् सोमगिरिजी महाराज की अध्यक्षता में मनाया गया। प्रातरू काल में मुख्य  मन्दिर परिसर में महादेव मण्डल द्वारा रुद्राभिषेक एवं यज्ञाचार्य पं. नथमलजी द्वारा किये गये रुद्रयज्ञ से सम्पूर्ण वातावरण  पूर्णतया शिवमय हो गया। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में स्वामी संवित् सोमगिरिजी ने कहा कि दर्शन सनातन संस्कृति की  आत्मा है तथा धर्म सनातन संस्कृति की नींव है। दर्शन यदि पूर्ण व्यापक, शास्त्रानुरूप नहीं होता तो संस्कृति के भटकने  का खतरा बढ़ जाता है। दर्शन अर्थात् सिद्धान्त जितना सही होगा साधक का आध्यात्मिक विकास भी उतना ही होगा।   प्रतिष्ठा महोत्सव कार्यक्रम की शुरूआत दीप प्रज्ज्वलन से हुई, डॉ. शशि गुप्ता व श्रीमती मंजू गंगल ने यति स्तुति प्रस्तुत  की, विवेक सारस्वत ने श्तुम से है जो जोडी, सांची प्रीत मोरी्य भजन प्रस्तुत किया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सोगी  रमणनाथ जी, सांभर एवं जोधपुर के स्वामी भूमानन्दजी सरस्वती थे। पू.पू. स्वामीजी द्वारा लिखित पुस्तक श्श्रीदक्षिणामुर्ति  स्त्रोत्य का विमोचन मंचस्थ मनीषियों द्वारा किया गया। विनोद शर्मा द्वारा वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए कहा कि  आज का दिन कृतज्ञता ज्ञापित करने एवं देश के प्रति कत्र्तव्य को निभाने का दिवस है। मुख्य अतिथि योगी रमणनाथ जी ने  कहा कि भगवान दक्षिणामूर्ति का प्रादूर्भाव पृथ्वी से भ्रष्टाचार का समूल नाश करने के लिये हुआ था। आज भी आचार्य  शंकर का अद्वैत दर्शन उतना ही उपयोगी व प्रासंगिक है। स्वामी भूमानन्द सरस्वती ने कहा कि जब से हमने शास्त्र की,  गुरु की, सत्संग की अवहेलना की है तब से व्यक्ति, परिवार व समाज में टूटन बढ़ी है। उन्होंने कहा कि माँ की गोद प्रत्येक  बालक का सर्वश्रेष्ठ विद्यालय है। कम आयु में बाल को विद्यालय में भेजने से उसका बचपन मुरझाना शुरू हो जाता है।  स्वामीजी द्वारा बीकानेर में निशानेबाजी खेल को पुनरू शीर्ष पर पहुंचाने के उद्देश्य से संवित् शूटिंग संस्थान की स्थापना  की गई यहाँ से प्रशिक्षित अनेक निशानेबाजों ने राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर ना केवल बीकानेर का अपितू भारत का  नाम भी रोशन किया है। प्रतिष्ठा महोत्सव कार्यक्रम में संवित् शूटिंग संस्थान के होनहार निशानेबाजों दीक्षिता कंवर,  हेमेन्द्र सिंह, कर्णव विश्नोई, शूटिंग कोच मनोज शर्मा के साथ-साथ राजेन्द्र सिंह, बजरंग सिंह, शैलेश व राकेश का  कार्यकर्ता के रूप में शाल ओढ़ा कर व स्मृति चिन्ह देकर सम्मान किया गया। मंच पर मानव प्रबोधन प्रन्यास के संरक्षक  बृज गोपाल व्यास, ट्रस्टी जगदीश सांखला, अविनाश मोदी, डा. केशवानन्द शास्त्री, स्वामी राजेश्वरगिरि आदि भी उपस्थित  थे। कार्यक्रम का समापन महाप्रसादी के साथ हुआ। कार्यक्रम का संचालन मानव प्रबोधन प्रन्यास के सचिव विनोद शर्मा ने  किया।

Aaj Ki Delhi.in/ The 24x7 news/ Indian news Online/ Prime News.live/Astro Dharm/ Yograaj Sharma/ 7011490810


 संवाददाता - हिमांशु मिढ़ा
हनुमानगढ़। टाऊन के निकट गांव नौरंगदेसर में श्रीश्याम मन्दिर कि मूर्ति स्थापना एवं प्रथम श्री श्याम सतरंगी महोत्सव आज हवन यज्ञ के साथ सम्पन्न हुआ। आज सुबह कथावाचक अजय व्यास श्रीमद्भागवत कथा के बारे मे विस्तार से बतलाया तथा महाआरती करते  हुए कथा का समापन किया । इसके पश्चात मुख्य यजमान शंकर गोयल, रमन बसंल ,गोपाल बंसल मुम्बई, अनिल बंसल, प्रवेश मुंजाल,आदि ने सपरिवार पुजा अर्चना करवाई काशी से आए पण्डित जी ने बिना माचिस के अगनी प्रज्जवलिज की तो सभी श्रदालु खाटू नरेश की जय अगनी देवता की जय जयकार करने लगे। इससे पुर्व बृहस्पिति वार को हुए जागरण मे  कलश व शोभा यात्रा पर बांटे गये कुपन की निकाली लाटरी के विजेता श्रीमति कैलाश भिडासरा कुपन नम्बर 464 को पुर्व धोषणानुसार गयारह हजार रूपये की राशी इनाम स्वरूप भेंट की तो उन्होने राशि प्राप्त करने के बाद धोषणा की कि ये राशी हमे श्याम बाबा ने दी है हम इसमे और राशी मिलाकर यानी इस राशी को बढा कर मन्दिर के कार्य के लिये आयोजको को वापस दे देगे उनकी इस उदारता को देख सारा पण्डाल तालियो से गुंज उठा और कथा वाचक अजय व्यास सहित काशी से अन्य पण्डितजनो ने श्रीमति कैलाश जी का पुष्पो से वर्षा कर स्वागत किया। कथा आयोजक श्ंाकर गोयल ने कथा वाचक अजय व्यास सहित काशी से अन्य पण्डितजनो को स्मृति चिन्ह दिया तथा । आयोजन समिति के पुष्प गोयल, कृष्ण गोयल, विष्णू गोयल,अश्वनी गोयल, गोपाल बंसल, संजय गर्ग सिरसा,राजेश अग्रवाल श्रीगंगानगर,अभिषेक तलवाड़ीया सिरसा,सुनील धूडिय़ा, विजय मिढ़ा, मनोज सिंवर रणजीत पुरा, देवदत भीडासरा,जीतू गढ़वाल,राम प्रताप कस्वां,खेता राम, महावीर प्रसाद,मुखराम,पूर्णाराम राकेश कुमार,राकेश सहारण,वेदप्रकाश जयदेव भीडासरा,पवन बंसल,मीडीया,पुलिस ,प्रशासन आदी  का सहयोग के लिये आभार व्यक्त किया
Aaj Ki Delhi.in/ The 24x7 news/ Indian news Online/ Prime News.live/Astro Dharm/ Yograaj Sharma/ 7011490810

संवाददाता - पवन शर्मा 
सूरजगढ़. कस्बें के ब्राह्मण सभा भवन में सोमवार को भगवान परशुराम की जयंती हर्षोउल्लास  के साथ मनाई गई। पंडित नरेश महमिया के आचार्यतत्व में विप्र जनों ने विधिवत पूजा अर्चना के साथ महाआरती की। आरती के बाद पदाधिकारियों ने कार्यक्रम को सम्भोधित करते हुए समाज में फैली बुराइयों का त्याग कर समाज को संघठित होकर विकास की और अग्रसर होकर करने का सुझाव दिया। इस अवसर पर मंत्री डॉ अरूण पुष्करणा,शंकरलाल शर्मा ,सत्यनारायण शर्मा ,मोतीलाल हलवाई ,गोपाल बिजनेवाला,महेश चोटिया,प्राचार्य डॉ रवि शर्मा,देवेन्द्र शर्मा,ओमप्रकाश कौशिक ,पंकज बिजनेवाला ,गोपाल दाधीच,मनोज धिंधवाल ,मनीष गुरु,मनोज चौमाल ,सुमंत शर्मा,पवन शर्मा,शुशील शर्मा ,आनंद शर्मा ,अनूप मिस्त्री राजेश शर्मा सहित काफी संख्या में विप्र जन मौजूद थे।
Aaj Ki Delhi.in/ The 24x7 news/ Indian news Online/ Prime News.live/Astro Dharm/ Yograaj Sharma/ 7011490810
Aaj Ki Delhi.in/ The 24x7 news/ Indian news Online/ Prime News.live/Astro Dharm/ Yograaj Sharma/ 7011490810


बीकानेर।  सर्व ब्राह्मण समुदाय के कुल देवता भगवान परशुराम की जयंती पर राजकीय अवकाश घोषित करने की मांग  राजस्थान ब्राह्मण महासभा ने मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से की है। इस संबंध में महासभा की प्रदेश उपाध्यक्ष सुनीता गौड़ ने  आज मु यमंत्री के नाम जिला कलक्टर को ज्ञापन दिया है। ज्ञापन में बताया गया है कि परशुराम जयंती वैसाख शुक्ल  अक्षय तृतीया  पर आती है। समाज के लोगों में कुल देवता का विशेष महत्व है। उक्त दिन समाज के लोग जयंती को  धूमधाम से मना सके इसलिए राजकीय अवकाश घोषित किया जाए। ज्ञापन में जम्मू कश्मीर सरकार की ओर से  परशुराम जयंती पर होने वाले अवकाश का उल्लेख भी किया गया है। ब्राह्मण समाज बीकानेर जिला स्तरीय  पदाधिकारी,जिला अध्यक्ष विश्वनाथ शर्मा,एस पी पुरोहित,आदर्श शर्मा वार्ड न. 37 पार्षद,सुरेंद्र व्यास,श्रीधर  शर्मा,जयनारायण व्यास,अनिल वशिष्ठ,गजानंद सारस्वत,भैरू सिंह राजपुरोहित,विनोद गौड़,लीलाधर शर्मा अध्यक्ष  संस्कृत महाविध्यालय,नवरतन शर्मा सहित ज्ञापन देने में उपस्थित रहे।
Aaj Ki Delhi.in/ The 24x7 news/ Indian news Online/ Prime News.live/Astro Dharm/ Yograaj Sharma/ 7011490810

बीकानेर।  शक्ति स्वरूपा, आद्यशक्ति, जगत्जननी मां दुर्गा के नवरात्रा पर देवी मंदिरों  में विधि विधान से पूजा अर्चना की  गई। स्थानीय नागणेचीजी मंदिर, आशापुरा मंदिर,  गायत्री मंदिर, उष्ट्रवाहिनी मंदिर, त्रिपुरा सुंदरी मंदिरों सहित अनेक  देवी मंदिरों में  अलसुबह से ही दर्शनार्थियों की भीड़ जुटने लगी। वहीं घर-घर में घटस्थापना विधि  विधान से की गई।  श्रद्धालुओं ने ज्योत लेकर मातारानी का विधि-विधान से पूजन  किया। व, कुंकुम, अक्षत, धूप-दीप, पुष्प नैवेद्य, फल  अर्पित कर महाआरती की।  यहां श्रीनागणेचीजी मंदिर समेत स्थानीय देवी मंदिरों में सुबह सवेरे ही श्रद्धालुओं की  भीड़ लग  गई। कई श्रद्धालु नंगे पांव ही मातारानी के दरबार में धोक देने के लिए दौड़  पड़े। कई तो कनक दण्डवत करते पहुंचे।  देशनोक स्थित मां करणी मंदिर में प्रात: 4  बजे मंगला आरती की गई। तत्पश्चात  घट स्थापना हुई। मां करणी में  दर्शनार्थियों  की भीड़ उमड़ी हुई थी, जिसे देखते हुए स्थानीय प्रशासन ने मंदिर परिसर में  बैरीकेट्स लगाये तथा क्लोज  कैमरे भी लगाये गये। इसके अलावा करणी माता के  मंदिर में तिल रखने की जगह भी नहीं थी। श्रद्धालुओं के पहुंचने का  सिलसिला  सूर्योदय से पूर्व ही शुरू हो गया है। शारदीय नवरात्रा के मौके पर श्रद्धालुओं ने देवी  मंदिरों को जयकारों से  गुंजायमान कर दिया। प्रसाद, लाल चूनरी, पुष्प माला चढ़ाकर  श्रद्धालुओं ने धोक दी। जयकारों और घंटों की घनघनाहट  थमने का नाम नहीं ले रही  थी।  नवरात्र में जहां देवी मंदिरों में दुर्गा सप्तशती के पाठ हो रहे हैं; वहीं, हनुमान और   श्रीरामजी के मंदिरों में रामचरित मानस के नवाह्न पारायण हो रहे हैं। हनुमान मंदिरों में  संगीतमय चौपाइयों ने वातावरण  को भक्तिमय बना दिया।  नवरात्रा पर नागणेचीजी माता मंदिर में तैयारियां चलती रही। मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ रही।  अलग-अलग कतारों में खड़े महिलाएं व पुरुषों ने श्जय नागणेची जी माता, जय माता दी्य का उद्घोष किया। मंदिर में  रंगीन रोशनी से सजावट की गई। मंदिर पुजारी व भक्तों ने नागणेची जी मंदिर परिसर में बने चामुण्डा माता व महादेव  मंदिर को स्वच्छ जल से धोया। मंदिर के बाहर विभिन्न प्रकार की दुकानें सज गई है। प्रसाद, फूल मालाएं, खिलौने व  खाने-पीने की स्टालों पर बच्चों व महिलाओं की भीड़ रही। नवरात्रा पर नौ दिनों तक यहां पर मेला लगा रहेगा।
जयपुर रोड स्थित वैष्णो धाम मंदिर में नवरात्रा पर्व पर भक्तों की भारी भीड़ रही। नव माता के दर्शनार्थ भक्त कतारों में खड़े  माता के दर्शन के  लिए अपनी बारी का इंतजार करते रहे। मंदिर के बाहर खाने-पीने व पूजन सामग्री बेचने वाले और  बच्चों के मनोरंजन के लिए झूले लगाये गये।
फोटो कैप्शन: बीकानेर में नवरात्रा के प्रथम दिन मॉ आशापुरा की श्रृंगारित प्रतिमा



अध्यात्म जगत में वे ही गुरु हो सकते हैं, जो मनुष्य को ऊपर उठा कर आत्मिक उज्ज्वलता को प्रकाशित कर सकें। इसलिए गुरु वे ही हो सकते हैं, जो महाकाल हैं। अन्य कोई गुरु नहीं हो सकता। और इस आत्मिक स्तर पर गुरु होने के लिए उन्हें साधना का प्रत्येक अंग, प्रत्येक प्रत्यंग, प्रत्येक क्षुद्र, वृहत अभ्यास सभी कुछ सीखना होगा, जानना होगा और सिखलाने की योग्यता रखनी होगी। इसे केवल महाकाल ही कर सकते हैं, अन्य कोई नहीं। जिन्होंने अपने जीवत्व को साधना द्वारा उन्नत कर शिवत्व में संस्थापित किया है, वे ही काल हैं। और जो स्वयं करते हैं तथा दूसरे को उसके बारे में दिग्दर्शन कराने का सामथ्र्य रखते हैं, वे ही महाकाल हैं। अतीत में महाकाल शिव आए थे और आए थे कृष्ण। गुरु होने के लिए महाकाल होना होगा, साधना जगत में सूक्ष्म विवेचन कर सभी चीजों की जानकारी रखनी होगी। केवल इतना ही नहीं, उन्हें शास्त्र-ज्ञान अर्जन करने के लिए जिन सभी भाषाओं को जानने की आवश्यकता है, उन्हें भी जानना होगा। अर्थात् केवल साधना सिखलाने के लिए ही नहीं, वरन् व्यावहारिक जगत के लिए भी सम्पूर्ण तथा चरम शास्त्र ज्ञान भी उनमें रहना होगा और तभी वे अध्यात्म जगत के गुरु की श्रेणी में आएंगे। जो साधना अच्छी जानते हैं, दूसरे की सहायता भी कर सकते हैं, किन्तु उनमें पांडित्य नहीं है, शास्त्र ज्ञान नहीं है, भाषा ज्ञान नहीं है तो वे आध्यात्मिक जगत के भी गुरु हो नहीं सकेंगे। गुरु अगर कहता है कि ‘वैसा करोगे, जैसा मैं कहूंगा’ तो उसे यह भी तो बताना होगा कि शिष्य वैसा क्यों करे। इसी के लिए शास्त्र की उपमा की आवश्यकता पड़ती है।
शास्त्र क्या है? शास्त्र कह कर एक मोटी पुस्तक दिखला दी, ऐसा नहीं है। ‘शासनात् तारयेत् यस्तु स: शास्त्र: परिकीर्तित:।’ जो मनुष्य पर शासन करता है तथा उसके छुटकारे का, मुक्ति का पथ दिखला देता है, उसे शास्त्र कहते हैं। इसलिए गुरु को शास्त्र पंडित होना होगा, अन्यथा वे मानव जाति को ठीक विषय का ज्ञान नहीं दे सकेंगे। ‘शास्त्र’ माने वह वेद, जो मनुष्य को शासन द्वारा रास्ता दिखाए। शास्त्र माने जो मनुष्य को सत् पथ पर चलाए, जिस पथ पर चलने से मनुष्य को ऋद्धि-सिद्धि की प्राप्ति होगी और कल्याण होगा।
अब यह शासन क्या है? ‘शासन’ यानी जिसे शास्त्र में अनुशासन कहा गया है। ‘हितार्थे शासनम् इति अनुशासनम्।’ कल्याण के लिए जितना शासन किया जाता है, उस विशेष शासन को कहा जाता है अनुशासन। अध्यात्म गुरु को जिस तरह अपनी साधना स्वयं जाननी होगी और दूसरे को उसे बताने का सामथ्र्य रखना होगा, उसी तरह शासन करने का सामथ्र्य रखना होगा। साथ ही पे्रम, ममता, आशीर्वाद करने का भी सामथ्र्य
रखना होगा।
केवल शासन ही किया, प्रेम नहीं किया तो ऐसा नहीं चलेगा। एक साथ दोनों ही चाहिए। और शासन की मात्रा कभी भी प्रेम की सीमा का उल्लंघन न करने पाए। तभी होंगे वे आध्यात्मिक जगत गुरु। ये सारे गुण ईश्वरीय सत्ता में ही हो सकते हैं।


Satyen Dadhich Sonu
Arth Creation
Mo : +91 93090 01689
E-mail s.j.dadhich@gmail.com
Twitter : @sonu92167
Facebook : satyen sonu
Aaj Ki Delhi.in/ The 24x7 news/ Indian news Online/ Prime News.live/Astro Dharm/ Yograaj Sharma/ 7011490810


बीकानेर। अमेरिका के राष्ट्रपति बाराक ओबामा व देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एक मार्च को बीकानेर आ रहे है। इन  दोनों के बीच यहां कई समझौतों पर हस्ताक्षर होंगे और दोनों देशों के मध्य व्यापारिक,समसामयिक हालातों पर चर्चा की  जायेगी। मौका होगा पुष्करणा स्टेडियम में आयोजित होने वाले फागणिया फुटबाल मैच का। एक मार्च को पुष्करणा  स्टेडियम के हरे भरे मैदान में हो जा रहे इस फुटबाल मैच में बॉलीबुड व हॉलीबुड के नायक नायिकाएं भी अपने खेल का  हुनर दिखायेगे। वही देव लोग से भी कई देवी देवता,पुष्करणा स्टेडियम में धरती लोग के लोगों के साथ फुटबाल खेलेंगे   तथा यम लोग से भी अनेक राक्षस फुटबाल में अपना जौहर दिखायेगें। इस आयोजन को लेकर शहर के होली के रसियों  ने तैयारियां शुरू कर दी है। फागणिया फुटबाल समिति के सचिव सीताराम कच्छावा ने बताया कि इस मैच को लेकर  युवाओं में खासा उत्साह है। विभिन्न श्वांग रूप धारण किये हुए युवा से बुर्जुग फिल्मी जगत की सनी लियोन,आलिया  भट्ट,दीपिका पादुकोण,अनुष्का शर्मा इत्यादि के साथ फुटबाल खेलेंगे। इनके अलावा विस्फोटक बल्लेबाज विराट कोहली,  शिखर धवन और धोनी बल्ला पकड़े फुटबाल के पीछे भागेंगे। महिला व पुरुष स्वांगों के बीच होने वाले इस ऐतिहासिक  फुटबाल मुकाबले में रावण, कंस और यमराज पुरूषों की टीम की अगुवाई करेंगे जबकि पर वसुन्धरा राजे,सुषमा  स्वराज,स्मृति ईरानी पर महिला टीम की रक्षा पंक्ति का भार होगा। बृजु भा व्यास की स्मृति में आयोजित होने वाले इस  मैच को लेकर शहर वासियों में खासा उत्साह है। अवकाश का दिन होने के कारण बड़ी संख्या में शहरवासी भी रंगबिरंगी  पाग पहने मैदान में हूटिंग करते नजर आयेंगे। आयोजन समिति के अध्यक्ष कन्हैया लाल रंगा,शंकर पुरोहित, भरत  पुरोहित, विजय शंकर हर्ष, गोपाल कृष्ण हर्ष व्यवस्थाएं संभालेंगे।
फागोत्सव शनिवार को 
आचार्य धरणीधर महादेव मंदिर प्रांगण में शनिवार को फागोत्सव आयोजन होगा। धरणीधर महादेव मंदिर विकास एवं  पर्यावरण समिति कें दुर्गा शंकर आचार्य ने बताय कि श्रीजी उपासना संगम, आचार्य धरणीधर ट्रस्ट, भक्त मंडल, सनातन  धर्म, सत्संग समिति के सयुक्त तत्वाधान में होने वाले फागोत्सव कार्यक्रम में धरणीधर महादेव का भव्य श्रृंगार अजमेंर से  मंगवाएॅ गुलाब के पुष्पों से किया जायेगा। होली ब्रज गीतों के रसिया गोपाल बिस्सा एंड पार्टी, लक्ष्मीनाथ मंदिर, फांग  मंडल, एवं महिला सदस्यों द्वारा फागोत्सव संगीत कार्यक्रम का आयोजन किया जायेगा। कार्यक्रम के सफल संचालन हेतु  विभिन्न समितियों का गठन किया है। फागोत्सव कार्यक््रम आयोजन ट्रस्ट अध्यक्ष रामकिशन आचार्य के निर्देशन में  आयोजित किया जायेगा।इस अवसर पर एक क्विटल गुलाब के पुष्प, रंग, गुलाब, सुगंध से भगवान को फाग खिलाया  जायेगा।
फागोत्सव निकली गेर
खेलनी सप्तमी के अवसर पर बुधवार को नागणेचेजी मंदिर में शाकद्वीपीय समाज के लोगों द्वारा फागोत्सव का आयोजन  हुआ। इस अवसर पर नागणेचेजी की प्रतिमा का अभिषेक पूजन कर फाग खिलाई गई। इस दौरान होली धमाल व फाग  गीतों की प्रस्तुतियां दी। परम्परानुसार शाकद्वीपीय समाज की गेर निकली। जो शहर के विभिन्न मार्गोंं से होती हुई सेवग  चौक तक पहुंची। इस दौरान सामूहिक भोज का आयोजन सामाजिक स्तर पर सूर्य भवन-नाथसागर, मुन्धाड़ा सेवगों की  बगेची-नत्थूसर गेट, हंसावतों की तलाई-गंगाशहर रोड, शिवशक्ति भवन-डागों चौक, जेनेश्वर भवन-जसोलाई तलाई व  मदन मोहन भवन-मोहताचौक में आयोजित हुए।


थम्भ पूजन 26 को
 होली के अवसर पर होने वाले आठ दिवसीय कार्यक्रमों का शुभारंभ 26 को शहर के विभिन्न मोहल्लों में सदियों पुरानी  परंपरा के साथ होगा। थम्भ पूजन परंपरा के क्रम में कीकाणी व्यासों का चौक, लालाणी व्यासों का चौक, चौथाणी ओझा  चौक व सुनारों की गुवाड़ में वेदोक्त मंत्रोचारण के साथ पहले भूमि पूजन, थम्भ शुद्विकरण व थम्भस्थ देवताओं का पूजन  कर थम्भ रोपण किया जायेेगा। थम्भ रोपण और पूजन के दौरान डफ पर होली धमाल गीतों की प्रस्तुतियां दी जायेगी।
 होलिका महोत्सव 2 मार्च को
 श्री माहेश्वरी नवयुवक मण्डल का होलिका महोत्सव व प्रीतिभोज कार्यक्रम 2 मार्च को नृसिंह भवन में आयोजित होगा।  मण्डल अध्यक्ष सुनील सारड़ा ने बताया कि कार्यक्रम शाम 7 बजे से रात 10 बजे तक चलेगा । चंग व नगाड़ों की थाप पर Aaj Ki Delhi.in/ The 24x7 news/ Indian news Online/ Prime News.live/Astro Dharm/ Yograaj Sharma/ 7011490810

बीकानेर। खेतेश्वर महाराज  मंदिर का दो दिवसीय प्रतिष्ठा दिवस समारोह   शुरू हुआ। खेतेश्वर बस्ती स्थित मंदिर में  राजपुरोहित समाज की और से पूजा अर्चना की गई। इंद्रा कॉलोनी से राजपुरोहित युवा विकास मण्डल की और से  शोभायात्रा निकाली गई जो विभिन्न मार्गों से होते हुए खेतेश्वर मंदिर पहुंची।  शोभायात्रा इंद्रा कॉलोनी अतिथि गृह से  रवाना होकर हनुमान हत्था, जुनागढ़, महात्मा गांधी मार्ग, स्टेशन रोड, गंगाशहर रोड होते हुए विभिन्न मार्गों से खेतेश्वर  बस्ती स्थित  मंदिर पहुंची।इसमें खेतेश्वर महाराज की शिक्षाओं, संदेश का प्रचार-प्रसार किया गया। शोभायात्रा में भाग  लेने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों से बड़ी सं या में समाज के महिला पुरूष शामिल हुए । महिलाओं ने पीले व लाल रंग के वस्त्र  धारण किये वहीं पुुरुष धोती-कुर्ता व साफा पहने हुए थे। रथ पर महाराज के शिष्य आसोतरा धाम के महंत तुलछाराम  महाराज विराजमान थे जिन्होंने पूरे मार्ग में भक्तों को प्रसाद का वितरण किया। यात्रा में वाहनों की लंबी कतारें नजर  आई।  बड़ी संख्या में युवा  खेतेश्वर महाराज के जयकारे लगाते हुए पैदल चल रहे थे। शोभायात्रा का जगह-जगह  पुष्पवर्षा कर स्वागत किया गया। यात्रा जिस मार्ग से गुजरी वहां सेवादारों ने पानी से लेकर चाय नाश्ते तक की सेवाएं दी।  जगह-जगह स्वागत द्वार लगाये गये। राजपुरोहित समाज के लोगों ने अपने प्रतिष्ठान बंद रखकर कार्यक्रम में शामिल  हुए।

Aaj Ki Delhi.in/ The 24x7 news/ Indian news Online/ Prime News.live/Astro Dharm/ Yograaj Sharma/ 7011490810

बीकानेर। नत्थूसर गेट के बाहर किराडू बगीची स्थित भालचन्द्र गणेश मंदिर में आयोजित दो-दिवसीय नौ-कुण्डात्मक  गणपति महायज्ञ व धार्मिक अनुष्ठान सोमवार को महा-आरती के साथ सम्पन्न हुए । धार्मिक अनुष्ठानों के दौरान श्रद्धालुवों  का दिन भर तांता लगा रहा । गणेश मंदिर में रविवार सुबह भालचन्द्र गणेश प्रतिमा का विधि विधान से पंचाामृत से  अभिषेक किया गया । नौ कुण्डात्मक महायज्ञ में महेशदास, रमेशदास, के.के.पुरोहित, बलदेव, नंदलाल, वैजनाथ,  दामोदरदास, मघु प्रकाश व नवनीत व्यास ने सपत्नीक पवित्र अग्नि में आहूतियां दी। निज मंदिर में विशेष सजावट व  गणेश प्रतिमा का आकर्षक शृंगार किया गया। भालचंद गणपति महायज्ञ के आचार्य पं. ललित ओझा ने बताया कि  गणपति को 1008 विशेष मंत्रों के साथ 1008 मोदक से भोग लगाया गया। मंदिर परिसर 21 वेद पाठी ब्राहम्णों के वेद मंत्रों  व गणेश भक्तों के गणपति बप्पा मोरिया के जयकारों से गूंजायमान हो उठा। महा-आरती में भी बड़ी संख्या में गणेश भक्तों  ने उपस्थिति दर्ज करवाई।
Aaj Ki Delhi.in/ The 24x7 news/ Indian news Online/ Prime News.live/Astro Dharm/ Yograaj Sharma/ 7011490810

बीकानेर। सीकर स्थित खाटू श्याम मंदिर के लिए  पदयात्रियों का एक जत्था गाजे बाजे से रानीबाजार स्थित मेढ़ क्षत्रिय  स्वर्णकार भवन से रवाना हुआ। इस अवसर पर मेढ़ क्षत्रिय स्वर्णकार भवन से जसपुर रोड स्थित खाटू श्याम मंदिर तक  शोभायात्रा निकाली गई। जिसमें महिलाएं व पुरुष नाचते और भजन गाते हुए खाटू श्याम की शोभायात्रा में शामिल हुए।  पैदल संघ के संचालक राजेश सोनी ने बताया कि भक्त पैदल खाटू श्याम दरबार पहुुंचकर भगवान की ज्योत व पूजा अर्चना  का कार्य करेंगे। 
Aaj Ki Delhi.in/ The 24x7 news/ Indian news Online/ Prime News.live/Astro Dharm/ Yograaj Sharma/ 7011490810

जयपुर। महाशिवरात्रि के अवसर पर भगवान श्री महाकाल मंदिर, 76/4, लैण्डस्केपिंग पार्क के सामने, शिप्रापथ, मानसरोवर, जयपुर में पूजा अर्चना की गई, दोपहर बाद भक्तों में ठंडाई वितरण की गई। इसके बाद शाम 7 बजे भगवान श्री महाकाल की विशाल भजन संध्या, विशेष झांकी एवं महाआरती का आयोजन किया।
महाकाल भक्त मण्डल जयपुर के सचिव दिनेश शर्मा ने बताया कि सुबह से ही भक्तों का तांता लगा हुआ था। भगवान श्री महाकाल का श्रृंगार किया गया। लोगों ने श्रद्धापूवर्क पूजा अर्चना की। इसके बाद सभी आने वाले भक्तों ने ठंडाई का आनंद लिया, तथा सड़क पर आने वाले लोगों को भी ठंडाई पिलाई गई।
शाम 7 बजे से भगवान श्री महाकाल की विशाल भजन संध्या, विशेष झांकी एवं महाआरती का आयोजन किया गया। लोगों ने जमकर भजनों का आनंद लिया। सैंकड़ो लोग भजन संध्या में शामिल हुए। इसके बाद प्रसाद वितरण किया गया।


Aaj Ki Delhi.in/ The 24x7 news/ Indian news Online/ Prime News.live/Astro Dharm/ Yograaj Sharma/ 7011490810

जयपुर। बचपन में आपने तमाम भूतिया कहानियां सुनी होगी या फिर कई सारी हॉरर मूवीज़ देखी होंगी, जिनमें आम तौर पर बताया गया होगा कि पीपल और बरगद के पेड़ों पर ही भूत रहते हैं। लेकिन इस खबर को पढ़ने के बाद वो मिथ्या समाप्त हो जायेगी, क्योंकिे ये दोनों पेड़ पर्यावरण के सबसे अच्छे दोस्त हैं। अब श्री कल्पतरु संस्थान जयपुर सहित प्रदेश में बरगद और पीपल के वृक्षों को संरक्षित करने में लगा हैं। संस्थान का मानना हैं कि बरगद और पीपल पर्यावरण के अच्छे मित्र हैं। पर्यावरणविद विष्णु लाम्बा लोगों इन पेड़ों का धार्मिक महत्व बताते हुए इन्हें रोपने के लिए जागरूक भी कर रहे हैं। आज वे संस्थान से जुड़े लोगों के सहयोग से हज़ार से ज्यादा पेड़ों को संरक्षित करने में लगे हैं। विलुप्त हो रहे बरगद और पीपल के पेड़ों को संरक्षित करने का बीड़ा उठाए लाम्बा बताते हैं कि इन पेड़ों को संरक्षित करने के लिए उन्होनें खंडहर सहित अन्य जगहों पर उग आए पीपल और बरगद के हज़ार से भी अधिक पौधों को एकत्र किया है। उन्होंने जयपुर वाशियों से अपील की है कि वे अपने पुरखों की स्मरण और शादी, जन्मदिन जैसे अन्य महत्वपूर्ण अवसर की याद को चिर स्मरणीय बनाए रखने के लिए इन पौधों का रोपण कर देखभाल की जिम्मेदारी लें। अपने इस अभियान के संबंध में लाम्बा ने बताया कि बरगद और पीपल के वृक्ष पर्यावरण के सबसे अच्छे मित्र हैं।

पीपल वैसे भी पूजनीय वृक्ष मना जाता है, यह ठंडक प्रदान करता है, धार्मिक ग्रंथों में भी इसका महत्वपूर्ण स्थान है, ग्रंथों में इसे भगवान् विष्णु का रूप मना गया है, मृतक संस्कार भी पीपल वृक्ष के बिना पूर्ण नहीं होते हैं। इन सबके बावजूद पीपल और बरगद के पेड़ों को संरक्षित करने का कोई प्रयास नहीं किया गया है। यहां तक कि सरकारी नर्सरी में भी इनका प्लांटेशन नहीं किया जाता है। पीपल और बरगद दोनों के पौधे बीज से पल्लवित नहीं होते, बल्कि ये पक्षियों के बीट से ही निकलते हैं। यही कारण है कि पीपल और बरगद के पौधे अक्सर खंडहर या पुराने इमारत के उन दीवारों में पाए जाते हैं, जहां पक्षी बैठा करते हैं। लाम्बा ने बताया कि पीपल और बरगद के पेड़ तेजी से विलुप्त होते जा रहे हैं। पुराने पेड़ों के नष्ट होने और नए पौधे न रोपे जाने से यह स्थिति निर्मित हुई है। इन दोनों पेड़ों को समय रहते संरक्षित नहीं किया गया तो इनके अस्तित्व पर ही खतरा मंडराने लगेगा। पर्यावरण संरक्षण के लिए कई पुरस्कार प्राप्त कर चुके लाम्बा ने शहरवासियों से अपील की है कि वे सड़क के किनारे सहित अन्य जगहों पर विभिन्न अवसरों पर रोपे गए पौधों की देखभाल में सहयोग करें। उन्होंने कहा कि रोपित पौधे आने वाली पीढ़ी की संपत्ति और इसकी देखभाल करना हम सबकी जिम्मेदारी। इस महत्वपूर्ण कार्य को सिर्फ सरकारी तंत्र के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता। लाम्बा ने कहा कि भारत समेत पूरे विश्व में ग्लोबल वार्मिग का जो खतरा मंडरा रहा है, उसका असर अब जयपुर में भी देखा जा रहा है। तेजी से असंतुलित होता मौसम इसका सबूत है। ग्लोबल वार्मिग और प्राकृतिक आपदा से बचने का एकमात्र उपाय पर्यावरण संरक्षण ही है ! राजस्थान के वृक्ष पुरुष के नाम से मशहूर लाम्बा नें कहा की जयपुर के इतिहास के चस्मदीद गवाह पुरानें वृक्षों को सरकार की और से किसी प्रकार का सरक्षण नहीं दिया जा रहा, जयपुर में वृक्षों के नाम पर अमरूदों का बाग़, कान महाजन का बड, खेजड़ी वालों का रास्ता जैसे अनेक उदाहरण है जो हमें प्रकृति सरक्षण का संदेस देते है.
Aaj Ki Delhi.in/ The 24x7 news/ Indian news Online/ Prime News.live/Astro Dharm/ Yograaj Sharma/ 7011490810


बीकानेर । हाथों में पाटी,घोटा,लोटड़ी लिये बटुक गली मौहल्लों में दौड़ते और 'पकडो पकडोÓ नहीं नहंीं जावण दे जावण  दे.......की स्वर लहरियां। शुक्रवार को शहर के हर गली मौहल्ले में यह एक ही स्वर सुनाई दे रहा था। मौका था पुष्करणा  समाज के सामूहिक विवाह समारोह में यज्ञोपवित संस्कारों का। शहर में बड़ी संख्या में यज्ञोपवित संस्कार के आयोजन  हुए। बड़े बर्जुगों से भिक्षा मांगी तथा काशी के लिये बटुकों ने दौड़ लगाई। बटुकों को पकडऩे के लिये उनके परिजन उनके  पीछे दौड़े। इस बीच गली मौहल्लों व पाटों पर मौजूद लोगों ने 'पकडो पकडोÓ नहीं नहंीं जावण दे जावण की आवाजे  लगाकर बटुकों को काशी जाने की जिद का समर्थन किया। यज्ञोपवित संस्कारों की रस्म के बाद ननिहाल पक्ष की ओर से  भात भरने की परम्परा का निर्वहन किया गया। वही 8 फरवरी को सामूहिक सावे में होने वाले विवाह वाले घरों में भी वेद  मंत्रों की गूंज रही। सुबह से देर रात तक मांगलिक कार्यों में हर वर्ग का व्यक्ति भाग ले रहा है। सावे को लेकर  मायरा,खिरोडा,प्रसाद,चेहरे रंगने की परम्परा के बीच केसरियो लाडो जीवतों रे... के स्वरों के साथ नृत्य करते युवक  युवतियां से सावे की रौनक परवान पर है।
हाथधान हुए,छींकी आज
पुष्करणा सावे के दौरान जिन युवक-युवतियों का विवाह होने वाला है उनके हाथधान लेने के मांगलिक कार्यक्रम हुए।  मांगलिक गीतों के साथ परिवार की महिलाओं ने पीठी का लेप कर लखदख व तेल चढ़ाने की परम्परा निभाई और विवाह  करने वाले युवक युवतियों को केसरिया वस्त्र धारण करवाये। केसरिया वस्त्र धारण करने के बाद बनड़ा व बनड़ी ने बड़े  बर्जुगों का आशीर्वाद ले ननिहाल लड्डू चढ़ाने पहुंचे। सावे कार्यक्रम के अनुसार शनिवार को मातृका स्थापना व गणेश  परिक्रमा 'छींकीÓ निकाली जायेगी। जिसके अन्तर्गत बनड़ा व बनड़ी अपने ससुराल जायेगें और विधिवत पूजन के बाद  उनकी खोल भराई की जायेगी।
खिरोड़ी सामग्री का वितरण
रमक झमक संस्था की ओर से विवाह वाले दिन वधु के घर जाने वाले खिरोडे की सामग्री का वितरण शुक्रवार को बारह  गुवाड़ में किया गया। संस्था अध्यक्ष प्रहलाद ओझा ने बताया कि भाजपा के युवा नेता विजय मोहन जोशी के नेतृत्व में  वितरण का कार्य शुरू किया गया। इसके अलावा सबसे छोटे बटुक का सम्मान भी किया गया।
प्रत्येक बाराती को पिलायेगें राबडिय़ा
पुष्करणा सावे पर निकलने वाली गणेश परिक्रमाओं के दौरान बाहर गुवाड़ चौक में प्रगतिशील विचार मंच द्वारा दूध  राबडिय़े का आयोजन किया जायेगा। सचिव शंकर लाल पुरोहित ने बताया दो क्विंटल दूध के राबडिय़े का वितरण किया  जायेगा।
दूल्हे होंगे सम्मानित
आठ फरवरी को होने वाले सावे के दौरान मोहता चौक और बारह गुवाड़ के चौक में प्रथम पहुंचने वाले दूल्हों का सम्मान  किया जायेगा। रमक झमक संस्था और मेघराज भादाणी परिवार की ओर से दूल्हों का सम्मान किया जायेगा। इतना ही  नहंीं भादाणी परिवार विवाह के बाद दुल्हन के साथ पहले आने वाले नवदम्पति को शील्ड प्रदान कर सम्मानित करेगा।


जयनारायण बिस्सा 
बीकानेर 

Aaj Ki Delhi.in/ The 24x7 news/ Indian news Online/ Prime News.live/Astro Dharm/ Yograaj Sharma/ 7011490810

जयपुर। श्री गिर्राज अन्नक्षेत्र, राधा सर्वेश्वर पीठ गोवर्धन के सेवार्थ श्रीमद् भागवत कथा ज्ञानयज्ञ का शुभारम्भ रविवार को  अम्बाबाड़ी के हनुमान मंदिर से 1500 महिलाओं की कलश यात्रा से शुरू हुआ। इस दौरान आसपास का क्षेत्र भक्ति और आस्थाके रंग में डूब गया। आज दोपहर 1500 महिलाओं की कलश यात्रा अम्बाबाड़ी के हनुमान मंदिर से हाथी, घोड़े सहित भव्य लवाजमे के साथ निकली। कलश यात्रा में महिलाऐं सिर पर मांगलिक कलश व पुरूष वर्ग श्रीमद् भागवत पोती लेकर चल रहे थे। वहीं बैण्ड वादक कभी राम बनके कभी श्याम बनके....., श्याम तेरी छटा निराली...., बोलो श्याम प्रभु जय...., श्री कृष्णा कृष्णा कृष्णा हरे जैसे मधुर संकीर्तन पर श्रद्धालु नाचते गाते चल रहे थे। वहीं बग्गी में परम पूज्य महामण्डलेश्वर राधामोहन दास जी महाराज चल रहे थे। जिनके आगे श्रद्धालु जयकारें लगाते हुए चल रहे थे कथा विभिन्न मार्गों से होती हुई कथा स्थल विद्याधर नगर सेक्टर 1 के स्थित राजपूताना पार्क पहुंची जहां पर प्रधान यजमान जगदीश शर्मा सहित अन्य जनों ने श्रीमद् भागवत जी की पूजा की।
अध्यक्ष रामप्रकाश जी बैद व प्रधान यजमान जगदीश शमा्र ने बताया कि सोमवार  को द्रोपदी चरित्र, 3 को विदुर चरित्र, कपिल देवहुति संवाद व सती चरित्र, 4 को अजामिल एवं प्रहलाद चरित्र, 5 को नंदोत्सव मनाया जाएगा। 6 को नामकरण, बाललीला, गिरिराज पूजन, 7 को महारास, उद्धव गोपी मिलन एवं 8 को सुदामा चरित्र की कला प्रसंग के साथ पूर्णाहुति होगी।
उन्होंने बताया कि कथा रोजाना दोपहर 2 बजे से शाम 5.30 बजे तक होगी। इस दौरान 7 फरवरी को सुबह 11.15 बजे से ऊॅं श्री रामसखा परिवार की ओर से संगीतमय सुंदरकाण्ड के पाठ होंगे।

Aaj Ki Delhi.in/ The 24x7 news/ Indian news Online/ Prime News.live/Astro Dharm/ Yograaj Sharma/ 7011490810

देवली न्यूज- यहां  उपखण्ड के आवां कस्बे में पारस्परिक सद्भावना व सौहार्द्र का प्रतीक दडा (फु टबॉल ) खेल मंकर संक्रांति को खेला जाता है  । वही गोपाल भगवान का आंगन जहां करीब पांच हजार खिलाडी पसीने से लथपथ , गुत्थम - गुत्था होकर टूट पड़ते है  भारी भरकम  दडे पर । गोपाल भगवान को साक्षी मानते हुए कस्बे सहित एक दर्जन गांवों में अकाल ओर सुकाल का फ ैसला करने वाला दडा महोत्सव नववर्ष की शुरूआत के बाद मकर सक्रांती को प्रथम त्योहार के रूप में मनाया जाता है । हर साल की तरह गांव के गोपालजी भगवान के मंदिर चौक में आसपास के बारहपुरों के ग्रामीणों अपनी राजस्थानी पोशाकों में सज -धज कर इस रौचक व अद्भुत खेल को खेलने मकर संक्रांति के दिन सुबह दस बजे से ही आने लग जाएंगे । जब यह चौक इन रंग - बिरगें सजे देहाती ग्रामीणों व  नौजवानों से खचाखच भर जाएगा, तब 80 से 100 किलो वजनी टाट व रस्सी से बनी गेंद जिसे दडा कहते हैं,गोपाल चौक के बीचों - बीच रिसायती गढ में से निकाल कर डाल दी जाएगी ओर फि र शुरू हो जाएगा यह रोमांचक खेल । दर्शकदीद्र्या का रूप होगी मकानों की छतें बारहपुरा से आए इन ग्रामीणों को खेल में जोश दिलाने के लिए रंग बिरंगे कपडों में सजी महिलाएं भी गोपाल चौक के चारों  और मकानों की छतों पर बैठ जाएगी । ये महिलाएं खिलाडियों लगातार  का होसला बढाती रहती है।
दो दरवाजों को बनाई जाती है गोल पोस्ट: दडे को फ ुटबॉल की तरह गोल पोस्ट के ओर धकेलने के लिए खेल के निर्णय के लिए प्राकृतिक रूप से दो गोल पोस्ट भी तय किए हुए हैं एक और अखनिया दरवाजा है, दूसरी ओर दूनी दरवाजा । आवंा के चारों तरफ  पहाडी इलाकों में बसे बारह गांव इस तरह से बंटे है कि आंवा में आने  वाले छह गांव के ग्रामीणों को दूनी दरवाजे से आना पडता है ओर छह गांवों के ग्रामीणों का आखनिया दरवाजे से । बस यही खिलाडियों का बटंवारा है । दूनी दरवाजे की ओर से आने वाले ग्रामीण इस दडे को अखनिया दरवाजे की ओर धकेलते है, जबकि बाकी छह गांवों के लोग जोर लगाने में जुट जाते हैं ओर दडें को दूनी दरवाजे को ले जाने में लगे रहते हैं ।
इस प्रकार लगता हैं अकाल सुकाल का पता : लोगो का माना  है कि फ ुटबाल  आवां में खेले जा रहे दडे का सुधरा हुआ रूप है। दडा खेल देश की आजादी के पहले से चला आ रहा हे । इसकी हार - जीत से खुशहाली का पूर्वानुमान लगाया जाता है,इस खेल से यह मान्यता भी जुडी है कि यदि दडा अखनिया दरवाजे की ओर चला जाए तो समझो अकाल से क्षेत्र के लोगो को रूबरू होना पडेगा। यदि दडा दूनी दरवाजे की तरफ  चला जाए तो पो बारह यानी खेत लहलहांएगे ओर अमन चैन रहेगा ।


दडे का निर्माण इस प्रकार किया जाता हैं :-
यह खेल मकर संक्र ांति को ही खेला जाता है । दडा (फु टबाल)हर साल इसे खेलने के बाद गढ की बावडी में डाल देते है, जिसे मकर संक्र ांति के दो दिन पहले निकाला जाता है । टाट चढकर इसे फि र गूंथकर तैयार कर एक रात के लिए पानी में भिगोने के लिए बावडी में डाल दिया जाता है, ताकि दडा ओर वजनी हो जाए । मकर संक्राति के दिन आठ -दस आदमी इसे उठाकर जब गोपाल चौक में लाते है । इस दडे का निर्माण भी राव राजा राजेन्द्र सिंह के छोटे भाई जयेन्द्र सिंह द्वारा करवाया जाता है । तथा उनियारा रिसायत ने आज भी इस खेल को जिंदा रखा है । उनियारा रिसायत के राव राजा स्व.सरदार सिंह अपनी सेना मेंनौजवानों की भर्ती करने के लिए परीक्षा के रूप में यह खेल आयोजित करते थें । वे देख लेते थे कि कौनसा  रणंबाकुरा हो सकता है, जिसे सेना में भर्ती किया जाए । अब न रिसायतें बची हे ओर न ही उनकी फ ौज ,फि र भी राज परिवार द्वारा जारी यह लोक कला और  संस्कृ ति का प्रतीक यह खेल अब भी जिंदा है ।

दोनो और से विना रैफि र के अनुशासन से खेला जाता हैं यह मैंच : अनगनित खिलाडियों व बिना रैफ री के रिसायतकालीन समय से चला आ रहा यह खेले राग द्वैष व विवाद को त्यागकर खेला जाता है । तीन घण्टे केइस खेल में रामपुरा , बालापुरा ,संग्रामपुरा, कल्याणपुरा, सीतापुरा ,हनुमानपुरा, कंवरपुरा,बिशनपुरा सहित एक दर्जन गांवो केलोग शामिल होते हे। जो स्वत: ही दोनो दरवाजों में दो दलों में बंट जाते है । गोपाल भगवान केमंदिर के सामने गढ के चोक में दोपहर 12 बजे पंचो केसानिध्य में दडा लाया जाता है  ओर दूनी दरवाजे व अखनिया दरवाजे से आने वाले ग्रामीण खेलने को आतुर हो जाते हैं । दडा मैदान में लातेही खिलाडी दोड पडते है ओर बिना रैफ री के खेल शुरू हो जाता है ।

सभी वर्ग के दर्शक बढाते हैं जोश-दडा खेल के दौरान गोपाल चोक के चारों ओर मकानों , स्कूल ,गढ व मंदिरों की दीवारें दर्शको से अट जाती है । पुरूषों के साथ साथ महिलाएं,बच्चो व बुर्जग भी छतों पर चढकर दडे के अखनिया दरवाजे या दूनी दरवाजे की तरफ जाने पर हताश खिलाडियों का जोश बढाती है । खेल क ेदोरान कई पुरूषों के कपडे फ ट जाते है ।

गौरव चतुर्वेदी 

संवाददाता टोंक 


Aaj Ki Delhi.in/ The 24x7 news/ Indian news Online/ Prime News.live/Astro Dharm/ Yograaj Sharma/ 7011490810