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एस्ट्रो धर्म :



ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली में कई तरह के योग होते हैं जिनमें से एक योग है गज केसरी योग। इसमें गज का अर्थ हाथी व केसरी का अर्थ सोने (GOLD) या सिंह से लगाया जाता है। इस योग को काफी शुभ माना गया है। इस योग के कुंडली में बनने से व्यक्ति को जीवन में ऊंचाइयां मिलती है।
समाज में मान प्रतिष्ठा बढ़ती है। धन संबंधी सभी परेशानियां दूर होती है। लेकिन कई बार इस योग के होने पर भी शुभ फल प्राप्त नहीं हो पाते हैं। इसका कारण आपके कुंडली के किसी ग्रह की खराब स्थिति या फिर चंद्रमा या बृहस्पति के कमजोर होने से होता है।
पंडित सुनील शर्मा के अनुसार कुण्डली में गजकेसरी योग होने पर गज के समान शक्ति व धन दौलत प्राप्त होती है। सभी योगों की भांति इस योग का भी सभी लोगों को अच्छा फल नहीं मिलता है। किसी जातक को गजकेसरी योग का बहुत प्रचुर मात्रा में फल मिलता है तो अन्य लोगों को सामान्य फल ही प्राप्त हो पाता है।
इसका कारण ये है कि इस योग का फल भाव, राशि, नक्षत्र और की गुरु की पोजीशन के आधार पर मिलता है। वहीं जब गुरु व चन्द्र बलवती होकर गजकेसरी योग का निर्माण कर रहें हो और साथ केमुद्रम योग भी बन रहा हो तो गजकेसरी योग निष्फल रहता है।
ऐसे बनता है कुंडली में गजकेसरी योग
पं. शर्मा के मुताबिक कुंडली में गुरु और चंद्रमा के मजबूत होने से गज केसरी योग बनता है। अगर कुंडली में चंद्रमा और बृहस्पति केंद्र में एक दूसरे की तरफ दृष्टि कर के बैठे हों तब यह शक्तिशाली योग बनता है। लेकिन अगर आपकी कुंडली में बृहस्पति कमजोर हो या फिर चंद्रमा कमजोर हो तब इस योग का फल नहीं मिल पाता है।
वहीं यदि गज केसरी योग कुंडली के आठवें भाव या दूसरे भाव में है तो यह उतना प्रभावशाली नहीं होता है। लेकिन अगर कुंडली के केंद्र में है या फिर एक त्रिकोण बना रहा है तो इसका विशेष फायदा जातक को मिलेगा। इसी के साथ कुंडली में उच्च का चंद्रमा वृषभ राशि में होने से और उच्च का बृहस्पति कर्क राशि में होने से इस योग के अच्छे फल प्राप्त होते हैं।
गजकेसरी योग: ऐसे समझें...
केन्द्रे देवगुरौ लग्नाच्चन्द्राद्वा शुभदृग्युते ।
नीचास्तारिगृहैर्हीने योगोऽयं गजकेसरी
गजकेसरीसञ्जातस्तेजस्वी धनवान् भवेत् ।
मेधावी गुणसम्पन्नो राजप्रियकरो नरः।।
: यदि बृहस्पति चंद्रमा से केंद्र भावों में स्थित है और किसी क्रूर ग्रह से संबंध नहीं रखता है तो गज-केसरी योग बनता है।
: हालांकि अगर कोई अशुभ ग्रह से संबंध होता है तो इस योग से मिलने वाले फलों में कमी आएगी।
: जन्म कुंडली के अनुसार यदि किसी का जन्म गज-केसरी योग में हुआ होता है तो वह दयालु प्रवृत्ति का माना जाता है और वह दूसरों के प्रति स्नेह व विनम्रता का भाव रखता है।
: ऐसे जातकों के मन में अधिकांश वेद और पुराण में आपकी गहरी रुचि रहती है और इनका धार्मिक ज्ञान अच्छा होने की वजह से लोग इनसे मार्गदर्शन लेते हैं।
: ऐसे जातकों के पास पास चल और अचल संपत्ति के रूप में बहुत सारा धन होने की संभावना होती है। वहीं ऐसे जातकों के संबंध उच्च वर्ग के लोगों के साथ होते हैं।
: ऐसे जातक जीवन में सभी तरह की भौतिक वस्तुओं का सुख प्राप्त करते हैं। वहीं सरकारी सेवाओं में इन्हें उच्च पद की प्राप्ति भी हो सकती है।
कुंडली में गज केसरी योग होने के फायदे...
– व्यक्ति को करियर में काफी ऊंचाइयां देखने को मिलती है।
– इस योग के होने से इंसान की सारी महत्वाकांक्षाएं पूरी होती है।
– धन-संपत्ति बढ़ती है, सन्तान का सुख, घर खरीदने का सुख, वाहन सुख इत्यादि सुख प्राप्त होते हैं।
– गज केसरी योग से जातक को राजसी सुख और समाज में मान-सम्मान प्राप्त होता है।
ऐसे समझें गजकेसरी योग वाले व्यक्ति को...
: ऋषि पराशर के अनुसार गजकेसरी योग के फलस्वरूप व्यक्ति कुशल, राजसी सुखों को भोगने वाला, उच्च पद प्राप्त करने वाला, वाद-विवाद व भाषण कला में निपुण होता है।
: गज को गणेश जी का प्रतीक माना जाता है। गणेश जी बुद्धि के देवता है अर्थात व्यक्ति अपनी बौद्धिक शक्ति के आधार धन-दौलत, मान-सम्मान प्राप्त करता है। जिनकी कुण्डली में गजकेसरी योग उन्हें बुद्धि से काम करना से चाहिए न कि दिल से वरना हानि ही होगी।
: ज्योतिष में बृहस्पति को धन का कारक माना जाता है। यदि गजकेसरी योग उत्तम प्रकार का है तो व्यक्ति को गज के समान धन की प्राप्ति होती है। इस योग के कारण व्यक्ति अपनी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने में सफल होता है।
: गजकेसरी योग हाथी और सिंह के संयोग से बनता है। गज में अभिमान रहित अपार शक्ति और सिंह में दूरदर्शी बुद्धि के साथ-साथ, चुस्ती-फुर्ती, लक्ष्य के प्रति सजगता व अदम्य साहस होता है। इसी प्रकार जिसकी कुण्डली गजकेसरी योग बलवती होता है, वह अपनी सूझबूझ, दूरदर्शी सोंच, अदम्य साहस के बल पर अच्छें-अच्छों को निरूत्तर कर देता है। समय के साथ चलकर सफलता के झंडे गाड़ता है।
: जिस भाव में गुरु व चन्द्र बैठकर गजकेसरी योग का निर्माण करते है, उस भाव से सम्बन्धित शुभ फलों की प्राप्ति भी होती है। गजकेसरी योग जब चतुर्थ व दशम भाव में बनता है तो व्यक्ति अपने व्यवसाय व करियर में ऊंचे मुकाम हासिल करता है।
गज केसरी योग को मजबूत करने के उपाय
माना जाता है कि भगवान शिव की अराधना करने से इस योग का विशेष फायदा मिलता है। वहीं ये भी मान्यता है कि पीला पुखराज या मोती पहनना ऐसे जातकों के लिए अधिकांशत: लाभकारी साबित होता है ( लेकिन पंडित शर्मा के अनुसार कोई भी रत्न सदैव किसी ज्योतिष के जानकार की सलाह के बाद ही धारण करें )।
जानिये कुंडली किस भाव में दिखाता है क्या असर...
1. पहले/लग्न भाव में असर...
लग्न में यह योग बने तो जातक कोई नेता या अभिनेता होता है। ऐसे जातक को देखने के लिए जनता उतावली हो जाती है। उसका रहन सहन राजाओं जैसा होता है। यह योग जातक को गलत रास्ते पर भी जाने से रोकता है। जातक ईश्वर को मानने वाला होता है।
2. दूसरे/धन भाव में...
ये योग दूसरे भाव में बने तो जातक उच्च घराने में जन्म लेता है, वाणी का धनी होता है, धन सम्पदा की कमी नहीं रहती। ऐसे जातक की बात को गौर से सुना जाता है। ऐसे जातक कथा वाचक और बड़े-बड़े साधू संत भी देखे गए हैं।
3. तीसरे/ पराक्रम व भाई बहन के भाव में...
तीसरे भाव में यह योग बने तो भाई बहन को भी उच्च पद पर ले जाता है। जातक बहुत पराक्रमी और मान-सम्मान वाला होता है।
4. चौथे/ सुख व मां के भाव में...
चौथे भाव में यह योग बने तो मां से अत्यंत प्यार और लाभ मिलता है। भूमि और वाहन का उच्च सुख प्रदान होता है। रहने के लिये अच्छा निवास स्थान होता है।
5. पंचम/पुत्र या बुद्धि भाव में...
पंचम भाव में यह योग बने तो बुद्धि के बल पर धन कमाने का संकेत होता है। जातक बुद्धिमान होता है। ऐसा जातक अच्छा स्कूल टीचर, वैज्ञानिक, नए नए अविष्कार करने वाला होता है। ऐसा जातक उच्च कोटि का लेखक भी बन सकता है। ऐसे जातक को पूर्ण संतान का सुख मिलता है, संतान के उच्च पद पर आसीन होने के योग भी बनते हैं।
6. छठे/ शत्रु या रोग भाव में...
छठे भाव में यह योग कुछ कमजोर पड़ जाता है। छठे भाव में गुरु शत्रुहंता होता है। शत्रु दब कर रहते हैं साथ में चंद्रमा मन और माता के लिए ठीक नहीं होता उनका स्वास्थ्य बिगड़ा सा रहता है।
7. सप्तम/विवाह भाव में...
यह भाव जीवन साथी का होता है जीवन साथी उच्च पद पर आसिन होता है। उच्च घराने में शादी करवाता है। जीवन साथी उच्च विचारों वाला होता है।
8. अष्टम/ आयु भाव में...
अष्टम भाव का गजकेसरी योग भी कमजोर पड़ जाता है। यह योग जातक को गुप्त विद्या में ले जाता है इस योग में बड़े-बड़े तांत्रिक और साधू संत देखे जाते हैं। यह योग कई बार अचानक धन भी दिलवा देता है। यह योग गुप्त धन की प्राप्ति जरूर देता है। जातक कल्पना भी नहीं कर सकता वहां से धन की प्राप्ति हो जाती है।
9. नवम/ भाग्य भाव में...
नवम भाव में गजकेसरी योग जातक को कर्म से ज्यादा भाग्य के द्वारा मिल जाता है। नवम भाव धर्म और भाग्य का माना गया है। ऐसा जातक बहुत भाग्य शाली होता है और भगवान के प्रति सच्ची श्रद्धा रखता है।
10. दशम/ कर्म या पिता भाव में...
दसवें भाव में गजकेसरी योग पिता को उच्च पद पर ले जाता है। जातक को भी उच्च पद प्राप्त होता है। जातक भाग्य से ज्यादा कर्म को महत्व देता है समाज में मान-सम्मान दिलवाता है।
11. ग्यारहवें/आय भाव में...
ग्यारहवे भाव में गजकेसरी योग जातक की आय के एक से अधिक स्रोत होते हैं। जातक को कई प्रकार से इनकम आती है कम मेहनत मे ज्यादा पैसा का संकेत होता है। ऐसा जातक घर बैठे पैसा कमाता है।
12. बारहवें/व्यय भाव में...
बारहवें भाव में गजकेसरी योग कुछ कमजोर पड़ जाता है। जातक धर्म-कर्म पर पैसा खर्च करने वाला घर से दूर सफलता का-सूचक होता है।

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
प्रणम्य शिरसा देवं गौरीपुत्रं विनायकम् ।
भक्तावासं स्मरेन्नित्यमायु: कामार्थसिद्धये ।।१।।

प्रथमं वक्रतुण्डं च एकदंत द्वितीयकम् ।
तृतीयं कृष्णपिड्:गाक्ष गजवक्त्रं चतुर्थकम् ।।२।।

लम्बोदरं पंचमं च षष्ठं विकटमेव च ।
सप्तमं विघ्नराजेंद्रं धूर्मवर्णं तथाष्टकम् ।।३।।

नवमं भालचन्द्रं च दशमं तु विनायकम् ।
एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम् ।।४।।

द्वादशैतानि नामानि त्रिसंध्यं य: पठेन्नर: ।
न च विघ्नभयं तस्य सर्वसिद्धिकरं प्रभो: ।।५।।

विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम् ।
पुत्रार्थी लभते पुत्रान्मोक्षार्थी लभते गतिम्।।६।।

जपेद्गगणपतिस्तोत्रं षड्भिर्मासै: फलं लभेत् ।
सम्वत्सरेण सिद्धिं च लभते नात्र संशय: ।।७।।

अष्टेभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्च लिखित्वा य: समर्पयेत् ।
तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशास्य प्रसादत: ।।८।

गाइये गणपति जगवंदन | शंकर सुवन भवानी के नंदन ॥
गाइये गणपति जगवंदन ...

सिद्धि सदन गजवदन विनायक | कृपा सिंधु सुंदर सब लायक॥
गाइये गणपति जगवंदन ...

मोदक प्रिय मुद मंगल दाता | विद्या बारिधि बुद्धि विधाता॥
गाइये गणपति जगवंदन ...

मांगत तुलसीदास कर जोरे | बसहिं रामसिय मानस मोरे ॥

 गणपति जगवंदन ...

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जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा .
माता जाकी पारवती पिता महादेवा

एकदन्त दयावन्त चारभुजाधारी
माथे पर तिलक सोहे मूसे की सवारी .
पान चढ़े फल चढ़े और चढ़े मेवा
लड्डुअन का भोग लगे सन्त करें सेवा ..

अंधे को आँख देत कोढ़िन को काया
बाँझन को पुत्र देत निर्धन को माया .
' सूर' श्याम शरण आए सफल कीजे सेवा
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा

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