भारतवर्ष की भूमि पर एक अद्भुत भू-आध्यात्मिक रेखा मौजूद है, जिसे शिव-शक्ति रेखा के नाम से जाना जाता है। यह रेखा 79 डिग्री देशांतर (Longitude) पर स्थित है और इस पर 7 प्रमुख शिव मंदिर एक सीध में बसे हुए हैं। इनमें से दो ज्योतिर्लिंग भी शामिल हैं, जो भारत के सबसे पवित्र शिवस्थलों में गिने जाते हैं।
मान्यता
है कि ये सभी शिवालय पृथ्वी की उस ऊर्जा रेखा पर स्थित हैं, जहां शिव (पुरुष ऊर्जा) और शक्ति (स्त्री ऊर्जा) संतुलन
में प्रवाहित होती हैं। यह संतुलन साधकों को मानसिक, शारीरिक
और आत्मिक स्तर पर विशेष शांति और चेतना का अनुभव कराता है।
इतना ही
नहीं, यह
रेखा न केवल अध्यात्म से जुड़ी है बल्कि प्रकृति के पांच मूल तत्वों — पृथ्वी,
जल, अग्नि, वायु और आकाश
— का भी प्रतिनिधित्व करती है। ये सातों मंदिर न केवल अपनी पौराणिक
महत्ता के लिए प्रसिद्ध हैं, बल्कि वास्तु और खगोलीय दृष्टि
से भी अद्वितीय हैं।
आश्चर्य
की बात यह है कि जब प्राचीन काल में विश्व के अधिकांश हिस्सों को देशांतर या
अक्षांश की कोई समझ नहीं थी, तब भारत में इन मंदिरों का निर्माण इतनी सटीकता से
हुआ कि वे आज भी उसी सीध में मौजूद हैं।
इस रेखा की उत्तरी सीमा पर केदारनाथ ज्योतिर्लिंग स्थित है, जो हिमालय की गोद में बसा है। वहीं, दक्षिणी छोर पर रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग स्थित है, जिसे भगवान राम ने स्वयं स्थापित किया था। इनके मध्य स्थित अन्य शिवालय भी पौराणिक कथाओं और भौगोलिक महत्व से परिपूर्ण हैं।
जानते हैं
कौन से ये मंदिर
केदारनाथ
धाम (उत्तराखंड) - भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक यह मंदिर
उत्तर भारत में पड़ता है। इसके बाद 2400 किमी की दूरी पर
स्थिति बाकी मंदिरों का एक सीधी रेखा में बनना उस भारतीय ज्ञान को दिखाता है।
श्रीकालाहस्ती
मंदिर (आंध्र प्रदेश) - यह मंदिर वायु तत्व का प्रतीक हैं। यहां स्थापित शिवलिंग को स्वयंभू और
जीवित लिंग माना जाता है। इसके पास जल रही दीपक की लौ हवा के बावजूद भी नहीं बुझती
है।
एकाम्बेश्वरनाथ
मंदिर (कांचीपुरम, तमिलनाडु) - यह मंदिर पृथ्वी तत्व का प्रतीक है
और कांचीपुरम के प्रमुख शिव मंदिरों में गिना जाता है। रेत से बना यहां का शिवलिंग
पृथ्वी की दृढ़ता को दिखाता है।
अरुणाचलेश्वर
मंदिर (तिरुवन्नामलाई, तमिलनाडु) - कहते हैं कि यहां भोलेनाथ अग्नि के
रूप में प्रकट हुए थे। लिहाजा, इसे अग्नि तत्व का प्रतीक
माना जाता है।
जम्बुकेश्वर
मंदिर (तिरुचिरापल्ली, तमिलनाडु) - यहां के गर्भगृह में भूमिगत जल
धारा से शिवलिंग पानी में डूबा रहता है। इसी वजह से इस मंदिर को जल तत्व से जुड़ा
हुआ माना जाता है।
थिल्लई
नटराज मंदिर (चिदंबरम, तमिलनाडु) - यह मंदिर आकाश तत्व का प्रतीक है।
यहां भगवान शिव की निराकार रूप में पूजा की जाती है और यह मंदिर उनके नटराज रूप को
समर्पित है।
रामेश्वरम
मंदिर (तमिलनाडु) - कहते हैं कि रावण के खिलाफ युद्ध करने के लिए लंका पर चढ़ाई से पहले भगवान
राम ने यहां पूजा की थी। यह मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में
शामिल हैं।
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